सत्तापक्ष व विपक्ष के नेताओं को राजभवन के ‘एट होम’ में शामिल होने का समय था, पर बोड़ेया के पीड़ित परिवार को ढांढ़स बंधाने का समय नहीं था
अरे मरनेवालों की संख्या कितना भी रहे, पर मरनेवाला का परिवार तो पंडित ही था न, अगर दलित-आदिवासी या पिछड़ा होता, तो कोई बात भी थी। पंडित का परिवार था, मर गया तो मर गया, उससे हम राजनीतिज्ञों या राजनीतिक दलों को क्या फर्क पड़ता है? ऐसे भी पन्द्रह अगस्त का बहुत सारा मिठाई बचा हुआ हैं – खाओ, पीओ और मस्ती में रहो। शायद यही सोच झारखण्ड के सभी राजनीतिक दलों की हैं, नहीं तो रांची के बोड़ेया में जहां एक ही परिवार के तीन लोग 11000 वोल्ट के सम्पर्क में आने के कारण मौत के मुंह में चले गये, वहां अब तक सभी राजनीतिक दलों के बड़े-बड़े नेताओं का वहां तांता लग जाता।
विद्रोही24 ने इस बात को लेकर राज्य के सभी बड़े-बड़े राजनीतिक दलों के दरवाजे खटखटाएं, जिन नेताओं ने फोन उठाया, उनका कहना था कि उनके पार्टी के नेता जो उस इलाके के हैं, वो वहां गये थे, मतलब ये कहने पर उन्हें शर्म भी नहीं आ रही थी। कुछ नेताओं ने तो फोन ही नहीं उठाया, ये वो नेता थे, जो एक समय मेरा फोन खूब उठाते थे, अब उठायेंगे कैसे, सत्ता में जो हैं?
आश्चर्य देखिये 72 घंटे होने चले, किसी भी पार्टी (चाहे सत्तापक्ष हो या विपक्ष) के किसी बड़े नेता के पास इतना समय नहीं है कि वो उस घर जाकर(जहां पीएम मोदी व राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हर घर तिरंगा अभियान के आह्वान पर एक परिवार अपने घर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने जा रहा था और इसी क्रम में 11000 वोल्ट की तार से संपर्क में आने पर उस परिवार के तीन सदस्यों की जान चली गई), उस परिवार के आंसू पोछें, उसे वाजिब हक दिलवाये, सभी अपनी-अपनी मस्ती में डूबे हैं, इन नेताओं को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम ‘एट होम’ में जाकर झक-झूमर करने का समय था, पर उस गरीब के घर जाने की फुर्सत नहीं।
राजनीतिक पंडित ठीक ही कहते है कि आखिर भाजपा हो या कांग्रेस या राजद या झामुमो, सभी जानते है कि पंडित यानी ब्राह्मण समुदाय की राजनीतिक औकात कुछ नहीं, और अगर इस जाति में गरीब हैं तो उसको पूछनेवाला तो दूर, मरने के बाद कंधा देनेवाला भी नहीं, लेकिन अगर वो अमीर है, दबंग है, तो लीजिये राज्य का कौन ऐसा नेता हैं चाहे वो सत्ता में हो या सत्ता से बाहर उसके घर जाकर नाक नहीं रगड़ेगा।
आश्चर्य है कि वह गरीब परिवार बार-बार विद्युत विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा कि उसके घर के उपर से 11000 वोल्ट का तार गुजरा है, उसे हटाया जाय, पर क्या मजाल कि विद्युत विभाग के अधिकारियों के कान पर जूं रेंगे, शायद विद्युत अधिकारियों और सरकार को इस बात का इंतजार होगा कि कही कोई ऐसी हृदय विदारक घटना घटे, तब जाकर इस इलाके से 11000 वोल्ट का तार हटायेंगे, लीजिये घटना घट गई, और सुनने में आ रहा है कि बिजली का तार भी हटा दिया गया।
विद्रोही24 ने जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश से बात की, तब उनका कहना था कि वे कल यानी बुधवार को उस परिवार से मिलने जायेंगे। आजसू नेता देव शरण भगत का कहना था कि उस इलाके के नेता उस परिवार से मिलने गये थे। विद्रोही24 ने कहा कि उस इलाके के नेता तो जायेंगे ही वहां, क्योंकि उस इलाके में घटना घटी, आपकी पार्टी के बड़े नेता क्यों नहीं गये। जवाब नहीं दे पाये। कांग्रेस पार्टी की तो बात ही निराली है, इस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को विद्रोही24 फोन लगाता रह गया, पर वे क्यों फोन उठायेंगे, उनको विद्रोही24 से क्या मतलब? रही सरकार की तो वो तो पहले से ही इस मुद्दे पर चुप है, बस ट्विट कर दिया, उनका काम हो गया, ऐसे भी इस गरीब पंडित की वोट से इनकी सरकार थोड़े ही बनी है, ये तो सरकार आदिवासियों-मूलवासियों की है।
मतलब स्थिति ऐसी खराब है, इस राज्य की। जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है। इस राज्य के बड़े नेता हो या छोटे नेता, सब की जमीर लगता है, मर चुकी है। गरीबों के लिए तो इनके दिलों में दया ही नहीं हैं, पर अमीरों के लिए देखिये, ये बिना बोले ही दौड़ पड़ेंगे। वहां घंटों खड़ा रहेंगे। जब तक सारी मीडिया न पहुंचे जाये, फोटो खिंचाने के लिए फोटो सेशन तक करा लेंगे, पर गरीब और उस में भी पंडित निकल गया तो वो गया काम से।
एक पोर्टल वाले को देखा कि वो वहां गया था, पर वो कर क्या रहा है, उसका ध्यान है कि उसके विडियो को कम से कम लाखों लोग देखे, इसी सोच को लेकर वो सारी विडियो बना रहा है और अपने पोर्टल पर इसे अपलोड भी कर दिया, मैंने स्वयं देखा कि उसकी यहां से बनाई गई विडियो लाख को स्पर्श कर रही है, पर उस पोर्टल वाले वीर बहादुर ने एक शब्द भी सरकार या विद्युत विभाग के अधिकारियों को इस मुद्दे पर नहीं घेरा, अब क्यों नहीं घेरा?
ये उसका जमीर जाने, जो सोचते है कि ऐसी घटनाओं के बाद पतली गली से निकल जायेंगे और सरकार की जय-जय कर, प्रशासन का निहोरा कर हम भारत रत्न पा लेंगे तो वे सोच लें, हो सकता है कि वे भारत रत्न पा भी लें, पर ये भी याद रखे कि आज भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जो पत्रकार भी थे, उनकी पुण्य तिथि भी हैं, अंत में उनकी क्या स्थिति हुई, खुद भाजपा वाले भी कहते है कि वैसी स्थिति किसी की न हो। डरो ईश्वर से और यह ईश्वर तुम्हारे दिल के अंदर है, उस दिल में बसे परमात्मा को तुम धोखा देकर निकलने की कोशिश कर रहे हो, तो यही तुम्हारी सबसे बड़ी भूल है।
मौत में पंडित, दलित, आदिवासी, मूलवासी, अगड़ा-पिछड़ा देखनेवाला चाहे वो नेता हो या और कोई, उसे कभी सुख मिल ही नहीं सकता, वो बेमौत मरेगा, ईश्वर के कोप से वो बच ही नहीं सकता। फिलहाल अभी देखिये, 72 घंटे बीत गये, न तो राज्य सरकार ने और न ही विद्युत विभाग और न ही किसी सामाजिक संगठन ने रांची के बोड़ेया जाकर उस परिवार की मदद करने के लिए कदम बढ़ाया है। शायद कबीर की पंक्ति इन लोगों को याद ही नहीं कि…