विधानसभा की सदस्यता चली गई फिर भी CM हेमन्त ‘हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया’, कुछ भी कर लीजिये फिर आयेंगे हेमन्त
सचमुच मानना पड़ेगा, इस संसार में कई लोग ऐसे हैं, जिनके उपर आफत आती हैं तो वे अपना सारा काम-काज बंद कर, जो आफत आई हैं, उस पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं, पर हेमन्त सोरेन को देखिये, इन सारी बातों को नजरंदाज करते हुए वे नेतरहाट पहुंचे हुए हैं, और उस काम को निष्पादित कर रहे हैं, जो पूर्व प्रायोजित है।
उस प्रायोजित कार्यक्रम में भी दहाड़ रहे हैं, विपक्षियों को लताड़ लगा रहे हैं, केन्द्र को भी निशाने पर ले रहे हैं, साफ कह रहे हैं कि केन्द्र और उनकी भाजपा उनके खिलाफ जो भी हमले कर लें, वे टस से मस नहीं होंगे। ऐसे भी जो राजनीतिक पंडित हैं, वे जानते है कि हेमन्त सोरेन धीरे-धीरे झारखण्ड की राजनीति में इतने मजबूत हो गये हैं कि उनके बिना न तो केन्द्र की कांग्रेस और न ही भाजपा फिलहाल एक कदम बढ़ सकती है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो अगर अभी झारखण्ड विधानसभा का चुनाव हो जाये तो झामुमो के पक्ष में अप्रत्याशित परिणाम आ सकते हैं, क्योंकि चुनाव आयोग के द्वारा आये सीलबंद लिफाफे को खोलने और उस पर निर्णय लेने में झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस ने इतना देर कर दिया कि जन-सहानुभूति हेमन्त सोरेन ने बटोर ली।
हालांकि अधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हुई हैं, अभी तक किसी सक्षम अधिकारी ने कोई बयान नहीं दिया है, फिर भी ये बातें हवा में तैरने लगी है कि राज्य के राज्यपाल ने निर्णय ले लिया है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विधानसभा सदस्यता को रद्द कर दिया है। इसकी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी हैं, निर्णय अब चुनाव आयोग को लेना है, फिर बातें झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष तक आयेगी, यानी इतना सब होने में भी दो से तीन दिन तक लग जायेंगे।
बरहेट में जब भी चुनाव होंगे, हेमन्त सोरेन ही जीतेंगे
राजनीतिक पंडितों की मानें तो बरहेट में दुबारा चुनाव होने पर भी हेमन्त ही जीतेंगे, क्योंकि भाजपा के लिए बरहेट सीट पर इस माहौल में जीत पाना नामुमकिन है, यानी झारखण्ड में हेमन्त का विकल्प फिलहाल कोई नहीं, मतलब हारेंगे तो हेमन्त और जीतेंगे तो हेमन्त।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे साफ कहते है कि इधर कुछ दिनों में हेमन्त सोरेन ने ऐसे-ऐसे निर्णय लिये है कि वे जनता से नजदीक होते चले गये हैं, जैसे नेतरहाट फायरिंग रेंज का मामला हो, पुलिसकर्मियों की मांग हो, ओल्ड पेंशन स्कीम हो, पारा टीचरों की मांग हो, सर्वजन पेंशन योजना या कोई भी अन्य मांगे, सभी जगह हेमन्त ने भाजपा से काफी लीड ले ली है।
हेमन्त सोरेन ने सोशल साइट पर विपक्षियों को घेरा, किये खुलकर प्रहार
शायद यही कारण है कि हेमन्त सोरेन ने अपने सोशल साइट पर जमकर अपने उद्गार प्रकट किये हैं, जो बताते है कि हेमन्त सोरेन के इस समय भी हौसले बुलंद है। आज भी झामुमो, कांग्रेस और राजद के इस गठबंधन और उसके नेता हेमन्त को झुका पाना भाजपा के लिए वर्तमान में संभव नहीं, अंततः अब हेमन्त सोरेन के इस बुलंद हौसले के बयान को देखिये, जो उनके ही फेसबुक से लिये गये हैं, और पता लगाइये कि इस शख्स को वर्तमान में भला कौन चुनौती दे सकता है, कुछ भी कर लीजिये, अंत में फिर घुमा-फिराकर हेमन्त सोरेन ही बनेंगे मुख्यमंत्री और अब राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सोशल साइट पर उद्धृत बयान…
“संघर्ष यात्रा के दौरान जब मैं महुआडांड़ आया था उस समय कई लोगों से मेरी मुलाकात हुई। उसमें कई बुजुर्ग भी थे। वह यह देखने आये थे कि यह दिशोम गुरुजी का बेटा है और इसमें गुरुजी जैसा दम है कि नहीं”।
“उसी दिन मैंने मन में ठान लिया था कि फायरिंग रेंज की समस्या जड़ से खत्म कर दूँगा। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। जो संघर्ष और राज्य के प्रति समर्पण का भाव आदरणीय गुरुजी में है, वही समर्पण भाव के साथ हम आप लोगों के बीच में हैं”।
“हमारी ताकत आप ही हैं। और आपकी इसी ताकत से हम विरोधियों से लंबी लड़ाई बड़ी मजबूती से लड़ते हैं। केंद्र से राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया क्या माँगा, इन्होंने परेशान करने के लिए एजेंसियों को मेरे पीछे लगा दिया”।
“जब इन्होंने देखा कि मुझे कुछ कर नहीं पा रहे हैं तो आदरणीय गुरुजी, जो एक उम्र के पड़ाव पर खड़े हैं, तो उन्हें परेशान कर मुझ तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। यह आदिवासी का बेटा है। इनकी चाल से हमारा न कभी रास्ता रुका है, न हम लोग कभी इन लोगों से डरे हैं”।
“हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय को निकाल दिया है। हम आदिवासियों के डीएनए में डर और भय के लिए कोई जगह ही नहीं है”।
“दुर्भाग्य है हमारा, हम आदिवासियों का कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर देश के प्रधानमंत्री एवं आदिवासी राष्ट्रपति ने देश के आदिवासी समाज को शुभकामना सन्देश देना भी उचित नहीं समझा। इनकी नजर में हम आदिवासी नहीं, वनवासी हैं”।
“झारखण्ड के अंदर बाहरी ताकतों का गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह ने विगत 20 वर्षों से राज्य को तहस-नहस करने का संकल्प लिया था। जब उन्हें 2019 में उखाड़ कर फेंका गया तो उन षड्यंत्रकारियों को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा कि अगर हम यहाँ टिक गए तो उनका आने वाला समय मुश्किल भरा होने वाला है”।
“हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया झारखण्ड गरीब राज्य है यहाँ के लोगों के लिए पेंशन और स्वीकृत करें। वह उन्होंने कभी नहीं किया। यह व्यापारियों की जमात है। यह पैसा देना नहीं, पैसा लेना जानती है”।
“देश में झारखण्ड पहला राज्य है जिसने सभी गरीब-वंचित को सर्वजन पेंशन से जोड़ने का काम किया। सरकारी कुर्सी के भूखा हम लोग नहीं है बस एक संवैधानिक व्यवस्था की वजह से आज हमें रहना पड़ता है क्योंकि उसी के माध्यम से हम जन-कल्याण के काम करते हैं”।
“क्या कभी किसी ने सोचा था कि हर बूढ़ा-बुजुर्ग, विधवा और एकल महिला को पेंशन मिलेगा? आपके बेटा ने आपके आशीर्वाद से वह करके दिखाया। हमारे विरोधी राजनैतिक तौर पर हमसे सक नहीं पा रहे हैं तो संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। लेकिन हमें इसकी चिंता नहीं है। हमें यह कुर्सी विरोधियों ने नहीं बल्कि जनता ने दी है”।
“आज का कार्यक्रम मेरा पहले से तय था। यह कुछ कर लें। मेरी जनता के लिए मेरा काम कभी नहीं रुक सकता। नेतरहाट की इस जमीन पर आदरणीय दिशोम गुरुजी ने पैर रखा था और आंदोलन में योगदान दिया था। मैंने प्रण लिया था कि जनता का आशीर्वाद मिलेगा तो मैं आंदोलन को अंजाम तक जरूर पहुँचाऊँगा। इस समस्या को जड़ से खत्म करूँगा”।
“इस आंदोलन से जुड़े जितने भी केस हैं वह सारे केस भी सरकार वापस लेगी। हमारा राज्य में ऐसी कई जगह हैं जहाँ पहले किसी सरकार की नजरें नहीं जाती थी, न उनकी आवाज जाती थी। मैं यह नहीं कहता कि मेरे पास जादू की छड़ी है जिससे सब कुछ बदल दूँगा। लेकिन आपने एहसास किया होगा कि सरकार आपके द्वार के माध्यम से सभी पदाधिकारियों को आपके दरवाजे तक पहुँचाया गया”।
आपकी लेखनी में कुछ ना कुछ बात तो जरूर है। आपकी बेबाक तरीके से बोलना यह साबित करता है कि आप एक ईमानदार व्यक्ति हैं।