अपराध

जहां ‘शाहरुख’ जैसे लम्पट भरे पड़े हो, वहां ‘अंकिता’ जैसी बेटियां बचेगी कैसे, नेताओं की तो अपनी पड़ी हैं, उसे किसी की बेटी की इज्जत से क्या मतलब?

अब राजनीतिक उठापटक से थोड़ा समय निकल गया हो, तो थोड़ी दुमका की अंकिता सिंह की भी बात कर लें। बताया जाता है कि दुमका की इस बच्ची को वहां के शाहरुख हुसैन नामक एक मुस्लिम युवक ने गत् 23 अगस्त को पेट्रोल डालकर जला दिया, हालत इतनी भयावह थी कि दुमका से उसे रिम्स रांची भेजने की बात आई, पर वो भी उस अंकिता को मयस्सर नहीं हुआ, लोग जैसे-तैसे पैसे इक्टठे कर उसे रिम्स रांची भेजे और यहां भी उसे उचित इलाज नहीं मिला, जिस वजह से उसने आज सुबह दम तोड़ दी।

बताया जाता है कि शाहरुख हुसैन नामक युवक अंकिता से दोस्ती करना चाहता था, उसे अपने कथित मोहब्बत में फंसाना चाहता था, पर अंकिता को यह सब मंजूर नहीं था, उसने कई बार अंकिता को परेशान करने की कोशिश की और एक दिन ऐसा भी आया जब अंकिता घर में सोई हुई थी, इसी दौरान उस शाहरुख ने उसे घर में ही खिड़की से पेट्रोल डालकर, अंकिता को आग के हवाले कर दिया। मतलब आपकी बेटियां अब बाहर तो छोड़ दीजिये, अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं।

अंकिता की मौत सुन दुमका के लोग सड़कों पर उतरे, दुमका स्वतःस्फूर्त बंद

अंकिता की मौत की खबर सुनते ही पूरे प्रदेश में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं ने आंदोलन करना शुरु कर दिया है, सर्वाधिक प्रभाव दुमका में पड़ा, जहां सारे व्यवसायिक प्रतिष्ठान स्वतःस्फूर्त बंद रहे। लोगों ने सड़कों पर जुलूस निकाला। सरकार विरोधी नारे लगाये। आंदोलनकारियों द्वारा अंकिता सिंह को न्याय दो, दोषी को फांसी दो, आदि नारे लगाये जा रहे थे।

लोगों ने लिया सरकार को निशाने पर, सरकार के पास कोई जवाब नहीं

इधर सरकार को क्या है? वो तो खुद इतनी भयभीत है कि खुद को बचाने के लिए लतरातू डैम का आनन्द ले रही हैं, वो भी सदल-बल के साथ, अपने सभी माननीय विधायकों के साथ, पर आपकी बेटी को सुरक्षा देनेवाला कौन है? सच्चाई तो यह भी है कि जब तक अंकिता अस्पताल में जीवन-मौत से जूझ रही थी, तो सत्ता पक्ष का एक भी विधायक या नेता उसे देखने नहीं गया और न ही विपक्ष के किसी नेता को उसे देखने का मौका मिला।

पर जब अंकिता की मौत हुई तो सत्तापक्ष के तो नहीं, पर विपक्ष ने हाय-तौबा मचाना शुरु कर दिया, पर क्या इससे अंकिता मिल जायेगी, या आपके घर में जो अंकिता या बेटियां हैं, वो सुरक्षित हो जायेगी, क्या पता कोई शाहरुख कब उसके रास्ते में आ जाये और उसे अपनी दरिंदगी का शिकार न बना दें। सबसे बड़ा सवाल यही हैं, चिन्तन करिये और सोचिये कि आज आपका समाज कितना नीचे गिर चुका है।

जरा पूछिये उन वामपंथी नेताओं/लोगों से जो बिल्किस बानो को लेकर तो हाय-तौबा मचाये हुए हैं, पर अंकिता के लिए उन्होंने कितने शब्द अपने व्हाट्सएप ग्रुप या सोशल साइट पर लिखे हैं, आश्चर्य है कि इस देश में महिलाओं पर होनेवाले अत्याचार को भी ये वामपंथी हिन्दू-मुस्लिम,अपने राजनीतिक लाभ-हानि के तराजू पर तौलते हुए, अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। यही हाल मीडिया का हैं, वो देखता है कि किस समाचार को चलाने से उसे फायदा होगा, उसे भुक्तभोगी को न्याय मिले, इसकी उसे चिन्ता नहीं होती।

अंकिता को न्याय दिलाने के लिए जस्टिस फॉर अंकिता सोशल साइट पर वायरल

दूसरी ओर इधर अंकिता की मौत हुई और उधर अंकिता की मौत की खबर पूरे सोशल साइट पर वायरल हो गई। समाज के संभ्रांत लोगों व युवाओं ने इस खबर को सीएम हेमन्त के लतरातू से जोड़ा, कुछ ने कहा कि एक तरफ अंकिता जीवन और मौत से जूझ रही थी, तो दुसरी तरफ राज्य के मुख्यमंत्री अपने विधायकों के साथ, सत्ता बचाने के क्रम में सीटी बजा रहे थे, खैर जिसकी जितनी सोच, उसने उतनी बातें लिखी।

पर राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने जो बातें कहीं, वो चिन्तनीय है। उन्होंने साफ कहा कि राज्य में दंगाइयों को बचाने के लिए राज्य सरकार ने एयर एंबूलेंस की व्यवस्था कर दी, पर इस अंकिता को बचाने में राज्य सरकार ने वो उतावलापन नहीं दिखाया। अब छोड़ों अंकिता तो मर गई, क्या उसके मरने के बाद फास्ट ट्रेक चलाकर राज्य के मुख्यमंत्री मृतका के परिवार को न्याय दिला पायेंगे, या इसमें भी राजनीति होगा।

फिलहाल पूरे सोशल साइट पर #JusticeForAnkita वायरल हो रहा हैं, लोग राज्य सरकार से कुपित है, लोगों को यह भय सताने लगा है कि कहीं कोई शाहरुख उनकी बेटी को न कहीं अपना निशाना बना दें, ऐसे भी राज्य में लड़कियां स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रही हैं, क्योंकि जब यहां झारखण्ड पुलिस में कार्यरत महिला एसआई सुरक्षित नहीं हैं, तो सामान्य लड़कियों की क्या औकात?

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने गत् 23 अगस्त को दुमका में शाहरुख हुसैन द्वारा नाबालिग अंकिता सिंह को पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने की घटना पर कहा कि यह राज्य को भयभीत और कलंकित करने वाला हैं। इस घटना ने यह भी बता दिया कि इस राज्य में बेटी-बहन अब अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं  है। अपराधियों का मनोबल सिर चढ़कर बोल रहा।

एक तरफ राज्य की बेटी को जलाया जा रहा है तो दुसरी तरफ मुख्यमंत्री पिकनिक मना रहे हैं। उन्होंने अंकिता सिंह की दर्दनाक मौत पर गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि इस जघन्य अपराध में गिरफ्तार शाहरुख को फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से राज्य सरकार फांसी की सजा दिलाए। साथ ही पीड़ित परिवार को मुआवजा एवम सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने की भी मांग की।

दंगाइयों के लिए एयर एंबूलेंस और अंकिता के लिए कुछ भी नहीं-बाबू लाल

इधर भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी ने सोशल साइट के माध्यम से कहा कि शाहरुख की सनक की शिकार हुई अंकिता की जान बचाई जा सकती थी, अगर उसे भी बेहतर इलाज मिल पाता। एक ओर रांची में उपद्रव में घायल नदीम को राज्य सरकार एयर एम्बुलेंस से सरकारी खर्च पर दिल्ली भेज मेदांता में इलाज करवाती है, वहीं अंकिता को रांची भेजने तक की व्यवस्था नहीं कर पाती। अब इससे दुर्भाग्यपूर्ण और क्या होगा?

एक सीटीबाज मुख्यमंत्री से राज्य में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा की इससे ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती। अब कम से कम फास्टट्रैक कोर्ट का गठन कर हत्यारे को फाँसी दिलाये मुख्यमंत्री, ताकि मृतका के परिजनों को न्याय मिले।

अकिता तड़प कर मर गई, पर न कोई मंत्री मिलने आया, न सत्तापक्ष का कोई विधायक

झारखण्ड सिविल सोसाइटी के आरपी शाही ने समाजसेवी राफिया नाज के वक्तव्य को झारखण्ड सिविल सोसाइटी के फेसबुक पर शेयर किया है, जो बताता है कि इस मुद्दे पर झारखण्ड सिविल सोसाइटी भी अंकिता सिंह के परिवार के साथ है व राज्य में हो रही, इस प्रकार की घटना पर आक्रोश व्यक्त कर रहा है। राफिया नाज के शब्दों में…

“शर्म करो !! आदरणीय मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन जी। अंकिता भी झारखंड की ही बेटी थी। अंकिता की क्या गलती थी जो उसपर शाहरुख नामक व्यक्ति ने पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी ।असह्य दर्द से तड़पते हुई अंकिता आज हिम्मत हार गई। न कोई मंत्री मिलने आया, न सत्तापक्ष का कोई विधायक। दुमका की बेटी से मिलने दुमका के स्थानीय जनप्रतिनिधि तक नहीं आए ।

उस समाज का पतन निश्चित है जहां जिस दिन एक बेटी दर्द से तड़प-तड़प कर मर रही थी और उस दिन पिकनिक से सेल्फी की तस्वीरें पोस्ट की जा रही थी, और सिटी बजाते हुए राजा की वाहवाही हो रही थी…. अंकिता , तुम्हें शाहरुख ने तो एक बार मारा, इस डरे हुए समाज ने बार-बार तुम्हें धोखा दिया है। माफ कर दो बहन… अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि”