अपनी बात

25 अगस्त से CM हेमन्त सोरेन की विधायिकी को लेकर उठा बवंडर थमा, सारे अखबार, चैनल व पोर्टल पस्त

लीजिये, 25 अगस्त से CM हेमन्त सोरेन की विधायिकी को लेकर उठा बवंडर अब थम चुका है, सारे अखबार, चैनल व पोर्टल इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी साध ली है, चुप्पी साधे भी क्यों नहीं, क्योंकि मामला ही अब ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। कल तक इसी मामले को लेकर यूपीए गठबंधन भी काफी चिन्तित थी, प्रेस कांफ्रेस कर अपने भय को छुपाने का असफल प्रयास कर रही थी और इसी दौरान उसने राजभवन पर भी छीटाकशीं कर दी थी, लेकिन आज के दिन का माहौल ही बदला-बदला सा है।

सारे अखबारों के हेडिंग चेंज हो गये हैं। राष्ट्रीय चैनलों व क्षेत्रीय चैनलों से भी CM हेमन्त सोरेन के विधायिकी समाप्त होने की खबर गायब है। पोर्टलों ने भी राहत की सांस ली है। इधर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भी इन सारी बातों को दरकिनार कर झारखण्ड मंत्रालय पहुंचे और रुटीन कामों को गति दी। जो नेता कल तक ट्विट के माध्यम से हेमन्त सोरेन को गद्दी से उतारने में ज्यादा दिमाग लगा रहे थे, उनके लिए आज अलग प्रकार का समाचार पहुंच चुका था और उनका ध्यान उसी ओर था, ऐसे हमारे विचार से भी यह होना चाहिए, क्योंकि दुमका की अंकिता का मुद्दा, हेमन्त सोरेन की विधायकी से कही ज्यादा महत्वपूर्ण है।

सबसे ज्यादा परेशानी उन मीडियाकर्मियों को हुई, जिनके संपादक/प्रबंधक/मालिक हेमन्त सोरेन के जाने का बांट निहार रहे थे, लेकिन जब उन्हें इस बात की अच्छी तरह जानकारी हो गई कि हेमन्त सोरेन की विधायिकी पर कहीं कोई आंच नहीं आ रही और आंच आ भी गई तो हेमन्त सोरेन के सरकार पर कोई आंच नहीं आनेवाली, उनका सुर बदल गया और पानी में रहकर मगर से वैर नहीं करना हैं, इस लोकोक्ति को अपनाने में उन्होंने ज्यादा दिमाग लगाया।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो हेमन्त सोरेन की विधायिकी जाने के समाचार पर, लगता है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को भी ये टटोलने में दिक्कत नहीं हुई होगी कि कौन उनके साथ हैं, कौन उनके विरोधियों के साथ हैं और कौन न्यूट्रल है, ऐसे में आगे जब भी कोई मीडिया के लिए रणनीति बनाने की आवश्यकता होगी, कम से कम हेमन्त सोरेन को तो अब दिक्कत नहीं ही होगी।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो आज जनता ने भी राहत की सांस ली है। खासकर आदिवासियों- अल्पसंख्यकों का एक बड़ा वर्ग इस बात से लेकर ज्यादा परेशान था कि कहीं हेमन्त सरकार का चली गई तो उनका क्या होगा? जो इस सरकार के शासनकाल में निर्णय लिये गये, उन निर्णयों का क्या होगा, इसलिए अभी सभी चाहते है कि ये सरकार चलती रहे, आगे की बात आगे होगी।