ईश्वर को प्राप्त करने के लिए बहाने की आवश्यकता नहीं, बल्कि सच्ची लगन की आवश्यकता है – स्वामी शुद्धानन्द
योगदा सत्संग मठ के ध्यान केन्द्र में चल रहे साप्ताहिक सत्संग को संबोधित करते हुए योगदा सत्संग मठ से जुड़े स्वामी शुद्धानन्द ने कहा कि ये कभी मत सोचिये कि क्रियावान् हो गये तो समस्याएं आयेंगी ही नहीं, पर इतना तय है कि निरन्तर ध्यान करने में जब आप पारंगत हो जायेंगे, उतने ही आप ईश्वर की ओर आकृष्ट होते जायेंगे और जब ऐसा पूर्णतः संभव हो जायेगा, तो निश्चय मानिये कि भविष्य में आपकी समस्याएं भी नहीं रहेंगी, ये ध्रुव सत्य है, इसे कोई चुनौती भी नहीं दे सकता।
स्वामी शुद्धानन्द ने कहा कि इसके लिए निरन्तर प्रयास जरुरी है, क्योंकि प्रयास में ही प्रगति छुपा है। जब तक आध्यात्मिकता की भूख हमारे अंदर नही जगेगी, जब तक ईश्वर को पाने की हमारे अंदर ललक नहीं जगेगी, जब तक हम अपने गुरु से यह नहीं कहेंगे कि वे मुझे इस आध्यात्मिक मार्ग में अपना आशीर्वाद और सहयोग बनाये रखें, तब तक किया गया प्रयास भी निरर्थक हैं, क्योंकि इसके कारण सफलता में हमेशा संदेह बना रहता है।
उन्होंने परमहंस योगानन्द जी की एक उक्ति रखते हुए कहा कि ईश्वर को प्रसन्न करने के लिये स्वयं में अनवरत् उत्साह और दृढ़ इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है, यह उत्साह आपके अंदर कोई दुसरा व्यक्ति नहीं भर सकता, इस उत्साह को आपको स्वयं अपने अंदर भरना है। ठीक उसी प्रकार, जैसे आप एक घोड़े के समक्ष पानी तो ले जा सकते हैं, पर उस पानी को पीने के लिए आप घोड़े को बाध्य नहीं कर सकते, ठीक उसी प्रकार आपके अंदर जब तक ईश्वर को पाने की दृढ़-इच्छा शक्ति, जोश व उत्साह का वेग नहीं होगा, तब तक आपको ईश्वर का साथ प्राप्त ही नहीं होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए अंधी-दौड़ में शामिल होना उचित नहीं हैं, आप इसके लिए सही मार्ग चुनें और सही पथप्रदर्शक, अगर सही मार्ग चुनेंगे और आपका पथप्रदर्शक सही हैं तो निश्चय ही ईश्वर के निकट होंगे और अगर ऐसा नहीं हैं, अंधी-दौड़ में बहे जा रहे हैं तो आपकी सारी चेष्टाएं निष्फल हो जायेंगी।
उन्होंने कहा कि आप स्वयं के अंदर अपनी शक्ति और आनन्द को महसूस करिये। हमेशा व्यस्त रहना सीखिये। कभी इस भाव को मत लाइये कि मेरे पास कोई काम नहीं हैं तो मैं इस ओर अपना कदम बढ़ा रहा हूं, अगर ऐसा सोच कर आप काम करते हैं तो आप गलत दिशा में जा रहे हैं, क्योंकि ईश्वर को प्राप्त करने के लिए बहाने की आवश्यकता नहीं, बल्कि सच्ची लगन की आवश्यकता होती है। आप प्रार्थना और प्रयास किसी भी हालत में नहीं छोड़े।
स्वामी शुद्धानन्द ने कहा कि आप आनन्दमयी प्रत्याशा के साथ काम करें, ध्यान करें फिर देखें कि आपके जीवन में क्या होता है? जब कभी हं-सः तकनीक या ध्यान करने में अपना समय दें तो निराशा का भाव मन में न लायें कि हमें ईश्वर मिलेंगे या नहीं मिलेंगे, हमें सफलता मिलेगी या नहीं मिलेंगी, ये भाव तो कभी मन में नहीं लाये। हमेशा अपने गुरु को याद करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर, हं-सः) तकनीक या ध्यान करें।
उन्होंने कहा कि याद रखें, गुरु जी ने प्रयास किया, सफल हो गये। हमनें प्रयास नहीं किया, इसलिए असफल हो गये। संसार में कई ऐसे पापी लोग भी हुए, जिन्होंने अपनी चेतना जगाई, प्रयास किया और देवत्व को प्राप्त कर लिया, ऐसे में आप क्यों सफल नहीं हो सकते। याद रखें आपका ध्यान सिर्फ कर्म पर होना चाहिए न कि फल पर, अगर फल पर चिन्ता करते रहेंगे तो आपका ध्यान सिर्फ फल पर रहेगा, आप कर्म नहीं कर पायेंगे। याद करिये भगवान कृष्ण ने क्या कहा – कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…