अपनी बात

पत्रकारों-कैमरामैनों ने झारखण्ड विधानसभा परिसर में लगाया नारा ‘विधानसभा मुर्दाबाद’, लोगों में भारी नाराजगी, विशेषाधिकार हनन की मांग

झारखण्ड के विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो जी, आप इस बात का संज्ञान लीजिये, क्योंकि ये अपराध क्षमायोग्य नहीं है, जिन पत्रकारों ने विधानसभा परिसर में “विधानसभा मुर्दाबाद” का नारा लगाया है, उनके खिलाफ विशेषाधिकार लाइये, उन्हें दंडित करिये, ताकि फिर कोई व्यक्ति कभी भी लोकतंत्र के मंदिर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के पहले सौ बार सोचे, कि उसने क्या कह दिया?

आज झारखण्ड विधानसभा परिसर में पत्रकारों का हुजूम जुटा था, क्योंकि आज विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया था। इसी दौरान किसी बात को लेकर मार्शल और पत्रकारों में किसी बात को लेकर मुठभेड़ हो गई। फिर क्या था? पत्रकारों-कैमरामैनों का दल मरने-मारने पर उतारु हो गया, किसी तरह दोनों पक्षों के बीच से संभ्रांत लोगों के एक-दो लोग आमने-सामने आये और बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया।

लेकिन इस दौरान जो पत्रकारों की ओर से जो नारे लगाये गये, वो बेहद ही आपत्तिजनक थे। एक पत्रकार ने नारा लगाया, विधानसभा मुर्दाबाद फिर क्या था, कई पत्रकारों ने इसका समर्थन करते हुए मुर्दाबाद-मुर्दाबाद का नारा लगा दिया। संभवतः यह पहला मामला है, कि किसी विधानसभा परिसर में स्वयं को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहनेवाले लोगों ने ही विधानसभा के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा दिये। आप स्वयं देखे, विडियो आपके सामने है…

याद करिये गिरिडीह में पंचायत चुनाव के दौरान एक मुखिया के पक्ष में एक ने नारा लगाया – पाकिस्तान जिन्दाबाद और कई लोगों ने जिन्दाबाद-जिन्दाबाद के नारे लगा दिये, फिर क्या था, इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हो गई और कुछ लोग जेल भी चले गये, मामला खुब सोशल साइट पर उछला, और आज जब लोकतंत्र के तथाकथित प्रहरी खुद को कहनेवाले विधानसभा मुर्दाबाद के नारे लगाये तो ऐसे लोगों के खिलाफ क्या विशेषाधिकार या प्राथमिकी दर्ज नहीं होने चाहिए।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो उनका कहना हैं, कि मामला गंभीर है। चूंकि पूरे विधानसभा परिसर में सीसीटीवी लगी हुई है, जहां का मामला है, वहां भी कई तरफ से सीसीटीवी लगे हुए हैं, विधानसभाध्यक्ष को चाहिए कि वे सीसीटीवी के फुटेज खंगलवाकर उस पत्रकार को ढूंढे, जिसने विधानसभा मुर्दाबाद के नारे लगवाये और जिन पत्रकारों ने उसके समर्थन में मुर्दाबाद-मुर्दाबाद कहे।

वरिष्ठ संविधान विशेषज्ञ व कई राजनीतिज्ञों के राजनीतिक सलाहकार रह चुके अयोध्यानाथ मिश्र तो कहते है कि विधानसभा मुर्दाबाद के नारे आप कैसे लगा सकते हैं, विधानसभा कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि संस्था है, साक्षात संविधान है, लोकतंत्र का मंदिर है, आप उसे मुर्दाबाद कहकर, स्वयं पर आरोप मढ़ रहे हैं, इस पर तो स्पीकर साहेब को विशेषाधिकार लाना चाहिए, स्वयं संज्ञान लेकर ऐसे लोगों को दंडित करना चाहिए, आखिर किसी को इतनी हिम्मत कैसे हो जाती है कि वो विधानसभा को मुर्दाबाद कह दें।

अयोध्या नाथ मिश्र आगे कहते है कि आप किसी व्यक्ति के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा सकते हैं, पर विधानसभा को नहीं, और वो भी विधानसभा परिसर में, आखिर इतनी लोगों की हिम्मत कैसे हो जाती है, भगवान जाने। ऐसे मामले में चुप्पी भी खतरनाक है।

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र नाथ कहते हैं कि पत्रकारों पर अगर जुल्म हो तो उनके लिए बहुत सारे संसाधन है, जिसका वे अपने हित में उपयोग कर सकते हैं, अपनी बातें रख सकते हैं, पर विधानसभा मुर्दाबाद कहना, लोकतंत्र का अपमान है, यह अक्षम्य अपराध है। झारखण्ड विधानसभा प्रेस सलाहकार दीर्घा समिति के कभी संयोजक रह चुके चंदन मिश्र कहते है, कि विधानसभा परिसर में जिसने भी ये नारे लगाये हैं, और जिसने उसके पक्ष में समर्थन करते हुए नारे लगाये, दोनों ने अपराध किये हैं।

कई मुख्यमंत्री व राज्यपालों के कार्यालयों में कार्य कर चुके श्यामानन्द झा कहते है कि पत्रकारों के साथ अगर कुछ गलत हुआ था तो वो अपना दर्द अपने विधानसभा पत्रकार दीर्घा समिति तक पहुंचा सकते थे, सीधे स्पीकर तक बात रख सकते थे, आखिर विधानसभा पत्रकार दीर्घा समिति इसी के लिए बनी होती हैं, पर विधानसभा मुर्दाबाद का नारा लगा देना, ये अपराध की श्रेणी में आता हैं, विशेषाधिकार का तो मामला बनता ही है।