अपनी बात

अखबार की ये हेडिंग, झारखण्ड में हिन्दूओं-आदिवासियों के बेटियों की दुर्दशा बयां करने के लिए काफी हैं, पर सरकार और समाज?

हद हो गई है झारखण्ड में। ऐसी स्थिति कभी नहीं थी। लव जेहाद, मुस्लिमों द्वारा दलितों को उनके जमीन से बेदखल कर खदेड़ने की घटना, हिन्दू-आदिवासी लड़कियों के साथ बलात्कार और उन्हें पेट्रोल छिड़ककर मार देने की घटना, स्कूलों में घुसकर हथियार लहराते हुए हिन्दू-आदिवासियों लड़कियों को ये कहना कि वे उनसे दोस्ती करें, नहीं तो अंजाम ठीक नहीं होगा। कॉलेजों में घुसकर टीचरों को प्रताड़ित करना, अब झारखण्ड में आम बात हो गया है।

रांची से प्रकाशित दैनिक जागरण के समाचार की कटिंग

अखबारों-चैनलों में तो ये खबरें आम बात हो गई है। हालांकि कुछ घटनाओं में जो मुजरिम हैं, पकड़े गये हैं, उन्हें जेल की सलाखों में डाला गया हैं, पर इन घटिया स्तर के लोगों पर कोई भय नहीं दिख रहा हैं, तभी तो घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। आश्चर्य है कि तवरेज के नाम पर आंदोलन करनेवाले समुदाय इस प्रकार के समाचारों पर मौन साधे हुए हैं, कोई यह कहने को तैयार नहीं कि ये जो हो रहा हैं, वो उनके लिए एक बदनुमा दाग है, सभी मौन है।

कभी झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन कहा करते थे कि उनके रहते उनके यहां रहनेवाली बहू-बेटियों की कोई इज्जत से खेलें तो उनके लिए ये डूब मरनेवाली बात है, वे जीते-जी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे, पर शायद उन्हें नहीं पता कि ज्यादातर घटनाएं उन्हीं के संताल क्षेत्र में हो रही हैं, जहां से वे आते हैं। कमाल तो यह भी है कि कुछ पुलिसकर्मी ऐसे दैत्यों को बचाने के लिए भी काम कर रहे हैं, जिसके बारे में प्रमाण के साथ राज्य के मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी अपने फेसबुक व ट्विटर पर कई बार लिख चुके हैं।

भय का माहौल इतना है कि अब लोग अपनी बेटियों को स्कूलों-कॉलेजों में भेजने से डरने लगे है कि पता नहीं कब कोई मुस्लिम युवक अपना नाम बदलकर उनकी बेटियों को अपना लव जिहाद का शिकार बना लें और उनकी बेटियों का जीवन नर्क बन जाये। क्या हेमन्त सरकार इस मामले में जगेगी, अपने घरों के बहू-बेटियों के सम्मान की रक्षा करने को आगे आयेगी, या इसमें भी राजनीति ढूंढकर अपने को बचाने में ज्यादा दिमाग लगायेगी।

दुमका में आदिवासी युवतियों के साथ एक विशेष समुदाय द्वारा हो रहे दुष्कर्म और उसकी हत्या को लेकर आंदोलन कर रहे आदिवासी युवा

स्थिति भयावह हैं, सरकार को समझ लेना चाहिए और इस समस्या का जितना जल्दी निराकरण हो, ढूंढ लेना चाहिए, नहीं तो इसी झारखण्ड में आदिवासी आप ढूंढते रह जायेंगे, मिलेंगे नहीं, क्योंकि अब आदिवासी युवतियों को इज्जत पर आ पड़ी हैं, ऐसे में अपनी इज्जत को बचाने के लिए निश्चय ही, ये दूसरे राज्यों की ओर भागेंगे, जहां उनकी इज्जत सुरक्षित रहने की गारंटी होगी, क्योंकि फिलहाल स्थिति कम से कम झारखण्ड की ठीक नहीं। कानून-व्यवस्था को तो जैसे जंग लग चुकी है। इसका नमूना देखना हैं तो आप खुद देख लीजिये, सिर्फ इसमें एक घटना दस जून की है, बाकी तो सिर्फ एक महीने के अंदर की है, आप खुद विचार कीजिये कि क्या ये झारखण्ड के लिये शर्म की बात नहीं।

घटना एक – दैनिक जागरण ने आज समाचार प्रकाशित किया है कि ओरमांझी में स्थित प्रोजेक्ट प्लस 2 उच्च विद्यालय में आस-पास के कुछ मुस्लिम युवक हिन्दू लड़कियों को धमकी देकर, उनपर दोस्ती करने का दबाव बना रहे हैं। हथियार लहराते हुए स्कूल में घुसे मनचले युवकों ने नौंवी कक्षा के छात्राओं को धमकी दी हैं कि दोस्ती करो, नहीं तो उठा लेंगे। जब स्कूल के शिक्षकों व कुछ छात्रों ने इसका विरोध किया तो उन्हें भी अंजाम भुगतने की धमकी दी।

घटना दो – आज के ही सभी समाचार पत्रों में छपा है कि डोरंडा कॉलेज में आठ सितम्बर को बाहरी युवकों ने कॉलेज कैंपस में घुस कर शिक्षकों के साथ मार-पीट की थी, जिसको लेकर अब तक तीन आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, जिसके नाम है – मो. तसलीम, दानिश और शाहिद।

घटना तीन – रांची के शांतिप्रिय लोग आज भी 10 जून की वो घटना नहीं भूले हैं, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बिना प्रशासन को सूचना दिये, रांची की सड़कों पर उतर गये व रांची की सड़कों पर बवाल काटा, मंदिरों पर हमले किये, पुलिस पर हमला किया, गोलियां चलाई। जिसके जवाब में पुलिस ने गोलियां चलाई, जिसमें दो लोगों की जानें चली गई। आज की खबर यह है कि इस हिंसा में 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर दी गई है। घटना के दौरान जिन दो लोगों की मौत हो गई थी, उन्हें चार्जशीट में मृत बताया गया है। जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ अनुसंधान जारी है। केस में 22 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था।

घटना चार -गढ़वा जिले के वंशीधर नगर के चित्तविश्राम गांव में कसमुद्दीन अंसारी ने दीपक सोनी को जिंदा जला देने की कोशिश की, दीपक सोनी अभी भी इलाजरत है, कसमुद्दीन अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

घटना पांच – वंशीधर नगर की ही घटना है मेराल थाना के सोहबरिया का रहनेवाला एक मुस्लिम युवक आफताब ने खुद को पुष्पेन्द्र सिंह बताकर यूपी के सोनभद्र जिले के चोपन थाना क्षेत्र के गरमा गांव की रहनेवाली एक हिन्दू लड़की से धोखे से शादी कर लिया, लड़की एक बच्ची की मां भी हैं, मात्र तीन साल पहले शादी की और अब उसे छोड़कर भाग खड़ा हुआ। उक्त मुस्लिम युवक के परिवारवाले भी उसे घर से निकाल दिये।

घटना छः – गढ़वा की ही खबर है कि फरठिया पंचायत के उरांव टोला में प्रशासन अल्पसंख्यक स्कूल खोलने जा रही हैं, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि जिस भूखंड पर स्कूल खोलने का प्रस्ताव है, वह आदिवासी-पिछड़ी जाति की मौरुसी जमीन है। ग्रामीण बता रहे है कि दरअसल विद्यालय खोल जमीन हड़पने की साजिश चल रही है। जिसकी शिकायत उपायुक्त से लेकर स्थानीय विधायक और अब मंत्री बने मिथिलेश कुमार ठाकुर से भी ग्रामीणों ने की थी।

घटना सात – दुमका के मुफ्फसिल थाना के दिघी ओपी इलाके में एक आदिवासी बच्ची का शव कुछ दिन पहले प्राप्त हुआ था, इस मामले में पता चला कि अरमान अंसारी ने उक्त लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाया और उसे मार डाला। बाबू लाल मरांडी तो अरमान अंसारी को बांगलादेशी भी बता चुके हैं, क्योंकि जिस गांव का रहनेवाला अरमान अंसारी को बताया जा रहा हैं, वो उस गांव का रहनेवाला नहीं हैं, और न ही उसका परिवार रहता है। इस घटना का आरोपी अरमान अंसारी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

घटना आठ – आपको याद होगा कि कुछ दिन पहले ही दुमका के ही अंकिता सिंह को शाहरुख नामक मुस्लिम युवक ने उसे घर में पेट्रोल डालकर मारने की कोशिश की। अधजली अंकिता को इलाज के लिए रांची के रिम्स लाया गया और यहीं वो दम तोड़ दी, जिसको लेकर दुमका से रांची तक बवाल हुआ।

घटना नौ – गढ़वा सदर थाना क्षेत्र के ओबरा गांव में दस साल की आदिवासी नाबालिग बच्ची के साथ मारपीट की गई। उसे ऐसा मारा गया कि उसे अधमरा कर सड़क पर फेंक दिया गया था। आरोपी आसिम खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

घटना 10 – खूंटी के कर्रा प्रखंड में एक 15 वर्षीया नाबालिग आदिवासी युवती लव जिहाद का शिकार बन गई। पुलिस ने यौन शोषण करनेवाले आरोपी को गिरफ्तार कर रांची के सुधार गृह भेज दिया।

घटना 11 – लोहरदगा की घटना, एक 17 वर्षीया आदिवासी किशोरी को खुद को आदिवासी बता रब्बानी अंसारी ने दोस्ती की, प्यार का ढोंग किया और फिर धर्म परिवर्तन करने का दबाव बनाने लगा, नाबालिग ने बात नहीं मानी तो उसे कूएं में धक्का दे दिया। फिर उसे जान से मारने की नीयत से पत्थर से मारने लगा। ग्रामीणों को जब पता चला तो सभी ने मिलकर आदिवासी किशोरी की जान बचा ली।

घटना 12 – रांची के नरकोपी की घटना। 28 अगस्त को 15 साल की आदिवासी लड़की के साथ 23 साल के सहरुद्दीन अंसारी ने उसके घर में घुसकर दिन-दहाड़े जबरन पटककर बलात्कार किया।

घटना 13 – पलामू के पांडू में मुस्लिमों ने महादलितों के पचास परिवारों के घर तोड़ डाले, उन्हें उनके ही गांव और जमीन से जबरन निकाल कर जंगल में फेंक दिया और उन महादलितों की जमीन को मदरसे का जमीन बता दिया, आज भी इन महादलितों की सुननेवाला कोई नहीं, जबकि जमीन का पर्चा उनके नाम था।

इन सारी घटनाओं को लेकर भाजपा विधायक दल के नेता बाबू लाल मरांडी अपने फेसबुक पर लिखते है कि “दुमका समेत पूरे संथाल परगना में प्रतिबंधित बांग्लादेशी संगठन सक्रिय है, जो सुनियोजित तरीके से लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहे हैं। यह गहरी साजिश कहीं न कहीं संथाल के आदिवासी समाज के अस्तित्व को समाप्त करने की दिशा में एक गहरा षड्यंत्र है। झारखंड गृह विभाग अपने रिपोर्ट में बता चुका है कि इन संथाल में अवैध वोटर कार्ड और दस्तावेज बनाने का गिरोह सक्रिय है। इन इलाकों में जमात उल मुजाहिद्दीन, पीएफआई, अंसार उल बांग्ला जैसे प्रतिबंधित की सक्रियता विगत कुछेक वर्षों में तेज़ी से बढ़ी है।”