अपनी बात

विद्रोही 24 के पूर्व कथन पर लगी मुहर, CM हेमन्त ने झारखण्डवासियों को थमाया 1932 का खतियान

आखिरकार हेमन्त सरकार ने फैसला ले लिया है। आज की कैबिनट में इसकी मंजूरी मिल गई। झारखण्ड में स्थानीय नियोजन नीति 1932 के खतियान के आधार पर बनेगी। हेमन्त सरकार का ये बड़ा राजनीतिक फैसला है। इसकी मांग झारखण्ड की सारी राजनीतिक पार्टियां कमोबेश करती रही है, हालांकि आज की कैबिनेट मीटिंग में 41 फैसले लिये गये, पर इन सबमें जो ज्यादा प्रमुख व ज्वलनशील जो मुद्दा है, वो 1932 के खतियान का ही है, जो कल राज्य की सभी प्रमुख अखबारों का शीर्ष हेंडिंग होना सुनिश्चित है।

सर्वप्रथम 1932 के खतियान का मुद्दा तब उठा था, जब राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी का शासनकाल था। इस 1932 के खतियान को लेकर कई हिंसक झड़पे भी हुई थी। जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा लोग मारे भी गये। आगजनी भी कई इलाकों में हुए। रांची के कई इलाकों में कर्फ्यू भी लगे और इसी 1932 के खतियान के आंदोलन पर कई स्थानीय नेता, झारखण्ड विधानसभा में विधायक भी बन गये।

वर्तमान में, एक बार फिर 1932 के खतियान को लागू करने को लेकर कुछ नये नेता जन्म ले रहे थे, जिस पर इस कैबिनेट फैसले ने ब्रेक लगा दी है। हालांकि कुछ लोग जो आदिवासी-मूलवासी की राजनीति करते हैं, वे कई बार कह चुके है कि 1932 का खतियान अगर सरकार विधानसभा से पास भी करा दें तो इसे लागू करवा पाना उतना संभव नहीं, अब ये संभव है या नहीं, ये तो बाद की बात है, पर हेमन्त सोरेन ने 1932 के खतियान को लागू कर, राजनीतिक माइलेज जरुर ले ली है।