अपनी बात

बहुमत सिद्ध करने व 1932 का खतियान लागू कराने के बावजूद, विधायिकी जाने के खतरे से भयभीत CM हेमन्त राज्यपाल से मिले, सौंपा अनुरोध पत्र

अपने विधायकों को रांची-खूंटी के लतरातू डैम घुमाने, फिर रायपुर की सैर करवाने, उसके बाद पांच सितम्बर को झारखण्ड विधानसभा में बहुमत पेश कराकर अपना बहुमत सिद्ध करने, सरकारी कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का झूनझूना थमाने और कथित आदिवासियों व मूलनिवासियों को 1932 का खतियान पॉकेट में डलवाने के बावजूद, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के विधायिकी जाने का भय खत्म नहीं हो रहा है।

वे भले ही राज्य की जनता को 1932 का खतियान थमाने के बाद अपने ही झारखण्ड मंत्रालय में खुलकर भाषण दें और उस भाषण का विडियो बनवाने के बाद आईपीआरडी द्वारा सभी मीडियाकर्मियों को संप्रेषित करें, हंसनेवाला चेहरा बनाकर फोटो खिंचवायें, पर विधायिकी जाने का डर उनका जा नहीं रहा है।

तभी तो 1932 का खतियान कैबिनेट से पास करवाने के बाद भी, यही नहीं मीडिया द्वारा खुब उनकी स्तुति गायन के बाद भी, वे आज एक अनुरोध पत्र लेकर राजभवन राज्यपाल से मिलने पहुंच ही गये और इस पत्र में तथा राज्यपाल के पास जहां बैठकर वे फोटो खिंचाये हैं, उनका भय साफ दिख रहा है। आप उस फोटो को देखें, जिसे इस समाचार में प्रकाशित किया गया है, आप राज्यपाल के चेहरे को देखिये, वे साफ हंस रहे हैं, और मुख्यमंत्री को देखिये, उनका चेहरे से हंसी गायब है।

इस पत्र को आप पढ़ें तो इसमें उन्होंने राज्यपाल को बड़े प्रेम से एक अच्छे बच्चे की तरह समझाने की कोशिश की है, उन्होंने बताया है कि गलत क्या है और सही क्या है? प्रमाण भी दिये है कि राज्यपाल को इस प्रमाण के आधार पर भी उनकी विधायिकी पर बुरी नजर नहीं डालना चाहिए। इस पत्र में जमकर भाजपाइयों को खरी-खोटी सुनाई गई है, साथ ही राजभवन कार्यालय में कुछ लोग हैं, जो सोर्स का काम करते हैं, बाहर तक खबरें पहुंचाते हैं, इसकी भी चर्चा है और ये सब मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर पर भी डाला है कि उन्होंने राजभवन जाकर क्या किया, क्या कहा।

पहली बार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का दो चेहरा नजर आया है, वो भी खुलकर। एक तरफ तो वे विधानसभा और झारखण्ड मंत्रालय में रणबांकुड़े स्वयं को सिद्ध कर रहे हैं, पर राज्यपाल के पास वे स्वयं को असहाय, भयभीत व उनसे सहयोग करने के लिए स्वयं को याचक के रुप में पेश कर रहे हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें, इतनी असहाय आजतक अपने जीवन में किसी मुख्यमंत्री को उन्होंने नहीं देखा, जितना स्वयं को हेमन्त सोरेन ने राज्यपाल के समक्ष पेश किया।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो राज्य के मुख्यमंत्री का पत्र पढ़ें तो उसमें क्लिष्ट हिन्दी शब्दों का खुब प्रयोग हुआ हैं, पर उसमें भी कई अशुद्धियां हैं, जो कम से कम मुख्यमंत्री के पत्र में तो शोभा नहीं देता, पता नहीं सीएमओ आवास में बैठे किस विद्वान ने इस पत्र को तैयार किया? कुल मिलाकर देखें तो ये झारखण्ड के लिए अच्छे शगुन तो नहीं ही हैं।

मुख्यमंत्री पहले जनता को ये बताएं कि वे भयभीत है या रणबांकुड़े हैं, अगर रणबांकुड़े हैं तो हर जगह यहीं दिखे, अपना काम करें, और जो सामने आये उसका सामना करें, ये क्या राजभवन जाकर राज्यपाल के समक्ष याचना कर बैठे, ये वीर पुरुषों को शोभा नहीं देता और अंत में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जो राज्यपाल को पत्र दिये हैं, वो इस प्रकार है…

माननीय राज्यपाल महोदय,

मुझे झारखण्ड राज्य में विगत तीन सप्ताह से अधिक समय से उत्पन्न असामान्य, अनापेक्षित एवं दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण इस अभ्यावेदन के साथ भवदीय के समक्ष उपस्थित होने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। फरवरी 2022 से ही भारतीय जनता पार्टी द्वारा यह भूमिका रची जा रही है कि मेरे द्वारा पत्थर खनन पट्टा लिये जाने के आधार पर मुझे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया जायेगा। इस संबंध में भाजपा द्वारा भवदीय के समक्ष एक शिकायत भी दर्ज की गई थी।

यद्यपि संबंधित विषय के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय करतार सिंह भदाना वर्सेज हरि सिंह नलवा (2002) 4 एससीसी 661 एवं सीवी के राव वर्सेज डी भास्कर राव एआईआर 1965 एससी 93 के दो आधिकारिक एवं बाध्यकारी न्याय निर्णयों द्वारा पूर्णतः आच्छादित किया गया है, जिसमें यह पूर्णतः एवं स्पष्टतः बाध्यता दी गई है कि खनन पट्टा लिये जाने से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9ए के प्रावधान के अंतर्गत अयोग्यता उत्पन्न नहीं होती है। तथापि इस विषय में मंतव्य गठन हेतु संविधान के अनुच्छेद 192 के अंतर्गत भवदीय के रेफरेंस के अनुसरण में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सुनवाई भी आयोजित की गई।

यद्यपि भारतीय संविधान के प्रावधान के अनुसार निर्वाचन आयोग को अपना मंतव्य भवदीय के समक्ष प्रस्तुत करना है और भवदीय द्वारा तत्पश्चात अधोहस्ताक्षरी को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर प्रदान कर यथोचित कार्रवाई करनी है। तथापि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सार्वजनिक बयानों से यह प्रतीत होता है कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपना मंतव्य भारतीय जनता पार्टी को सौंप दिया गया है।

भवदीय के कार्यालय के कथित श्रोतों एवं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बयानों को उद्धृत करते हुए विगत 25 अगस्त से प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया में यह व्यापक रुप से परिचालित किया जा रहा है कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा यह अभिमत दे दिया गया है कि अधोहस्ताक्षरी पंचम झारखण्ड विधानसभा की सदस्यता से निरर्हित कर दिये गये हैं।

इस बाबत यूपीए के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा भवदीय से दिनांक एक सितम्बर 22 को भेंटकर निर्वाचन आयोग के मंतव्य को शीघ्र सार्वजनिक करने हेतु एक अभ्यावेदन दिया गया था। भवदीय द्वारा प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को बताया गया था कि निर्वाचन आयोग से मंतव्य प्राप्त हो गया है तथा इस संबंध में आवश्यक विधि सम्मत कार्रवाई दो-तीन दिनों के अंदर पूर्ण कर (यहां वाक्य पूर्ण नहीं हैं – संपादक)

महोदय, भारत निर्वाचन आयोग के मंतव्य के संबंध में मीडिया में भारतीय जनता पार्टी द्वारा किये जा रहे प्रचार एवं भवदीय के कार्यालय से मंतव्य के संबंध में कथित सूचना के छनकर आने से सरकार, कार्यपालिका एवं जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जो राज्यहित एवं जनहित में नहीं है। भारतीय जनता पार्टी इस भ्रम की स्थिति का उपयोग दलबदल के अस्त्र के रुप में कर अनैतिक रुप से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी अपनी इस अनैतिक प्रयास में कभी सफल नहीं होगी क्योंकि राज्य गठन के बाद पहली बार हमारी सरकार को लगभग दो तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। दिनांक पांच सितम्बर 22 को यूपीए सरकार ने विधानसभा पटल पर अपना अपार बहुमत भी साबित किया है, एवं विधायकों द्वारा अधोहस्ताक्षरी के नेतृत्व में अपनी पूर्ण निष्ठा एवं विश्वास व्यक्त किया गया है। राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते भवदीय से संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा में महती भूमिका की अपेक्षा की जाती है। लोकतांत्रिक रुप से निर्वाचित सरकार के मुखिया के रुप में अधोहस्ताक्षरी संविधान वं कानून के अनुपालन के लिए कृतसंकल्पित है।

अतः अधोहस्ताक्षरी का भवदीय से अनुरोध है कि निर्वाचन आयोग के मंतव्य की एक प्रति उपलब्ध करायी जाये एवं यथाशीघ्र युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर प्रदान किया जाये, ताकि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक अनिश्चितता का का वातावरण शीघ्र दुर हो सकें एवं झारखण्ड राज्य उन्नति, प्रगति एवं विकास के मार्ग पर आगे बढ़ सकें। सादर।

भवदीय

हेमन्त सोरेन