राजनीति

स्थानीयता के लिए 1932 का आधार अपूर्ण, स्थानीय नीति को नियोजन नीति से नहीं जोड़ना समझ से परे, निर्णय न विधिसम्मत न ही सर्वसम्मत – भाजपा

भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के आदिवासी – मूलवासी के सर्वांगीण विकास के लिए तथा सरकार एवं सरकारी सेवाओं के लिए भागीदारी तथा पहचान स्थापित करने के लिए 1998-99  में केन्द्र में श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भाजपानीत सरकार बनते ही झारखंड राज्य निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई और 15  नवम्बर 2000 को झारखंड राज्य गठन कर दिया गया।

राज्य में पहली सरकार भाजपा के नेतृत्व में बनते ही स्थानीयता एवं नियोजन नीति को परिभाषित करने हेतु पहल प्रारंभ कर दिया गया। राज्य सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई और उस बैठक के सर्वसम्मत निर्णय के आधार पर कैबिनेट में स्थानीयता को परिभाषित करने हेतु राज्य के पिछले सर्व ( राईटस ऑफ रेकॉर्ड ) में जिनके पूर्वजों का नाम दर्ज हो, उनको स्थानीय मानते हुए और जिला स्तर पर तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के सेवा में नियुक्ति देने में प्राथमिकता का निर्णय लिया, परंतु उच्च न्यायालय ने इसको निरस्त कर दिया।

भारतीय जनता पार्टी जनभावना का सम्मान करते हुए एक विधिसम्मत एवं सर्वसम्मत निर्णय की पक्षधर है। हम ऐसे किसी भी निर्णय के पक्षधर हैं जो कि झारखंड की जनता की हित में हो। स्थानीयता के लिए वर्तमान सरकार द्वारा निर्धारित आधार अपूर्ण है। वर्तमान झारखंड सरकार द्वारा स्थानीय नीति को नियोजन नीति से नहीं जोड़ना भी समझ से परे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह निर्णय आनन – फानन में लिया गया है,  जो न विधिसम्मत है और न ही सर्वसम्मत है।

हेमन्त सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण विधिसम्मत और संवैधानिक ढांचे में नहीं

भारतीय जनता पार्टी समाज के कमजोर एवं पिछड़ा वर्गों के आरक्षण हेतु सदैव हिमायती रही है। झारखंड राज्य निर्माण के बाद भाजपानीत पहली सरकार ने राज्य के नागरिकों के आकांक्षाओं को पूरा करने के दृष्टिकोण से आरक्षण का प्रावधान किया था। जिसमें अनुसूचित जनजाति ( आदिवासी ) समुदाय को 32 प्रतिशत,  अनुसूचित जाति ( एससी ) समुदाय को 14 प्रतिशत,  ओबीसी समुदाय को 27 प्रतिशत सहित कुल आरक्षण 73 प्रतिशत का प्रावधान किया गया था। पर उच्च न्यायालय ने इसे निरस्त कर दिया।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ओबीसी के आरक्षण को लेकर प्रारंभ से ही गंभीर रही है। इस दृष्टि से जहां ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के साथ – साथ सरकार व पार्टी में भी सर्वाधिक प्रतिनिधित्व देने का कार्य किया है। भारतीय जनता पार्टी समाज के कमजोर , पिछड़े वर्ग और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के प्रति विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है।

हमारी भाजपा की राज्य सरकार ने झारखंड राज्य में पिछडे समाज को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को विधिसम्मत बनाने हेतु राज्य में सर्वेक्षण का निर्णय किया था। परंतु वर्तमान सरकार ने उस सर्वेक्षण कार्य को बंद कर दिया ताकि इस समाज को आरक्षण का विधि सम्मत लाभ न मिल पाये। वर्तमान सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण विधिसम्मत और संवैधानिक ढांचे में नहीं है।

पिछड़े वर्ग के मुद्दा को कमजोर करने के लिए हेमंत सरकार ने प्रक्रिया विहीन प्रावधान किया है, जो अत्यंत दुर्भायपूर्ण है। इस कार्य में सरकार में शामिल कांग्रेस और राजद भी समान रूप से दोषी है। भारतीय जनता पार्टी हेमंत सरकार के इस निर्णय को प्रक्रिया विहीन निर्णय मानती है । ऐसे समय में हम राज्य की जनता से अपील करते हैं कि सरकार के द्वारा भ्रामक तथ्यों के आधार पर जो विद्वेष का बीज बोया जा रहा है,  उसके लिए जनता को सावधान रहते हुए शांति और सौहार्द बनाये रखने का अपील करती है। स्थानीय नीति एवम पिछड़ा वर्ग आरक्षण के संबंध में झारखंड सरकार द्वारा हुए कैबिनेट के निर्णय के बाद आज भाजपा कोर कमेटी की बैठक देर शाम भाजपा प्रदेश कार्यालय में सेमी वर्चुअल मोड में हुई।

प्रदेश कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष एवम सांसद दीपक प्रकाश, नेता विधायक दल एवम पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, सांसद सुनील सिंह, पूर्व सांसद रविंद्र कुमार राय, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, सांसद समीर उरांव उपस्थित हुए। वर्चुअल रूप में पूर्व मुख्यमंत्री एवम राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, प्रदेश के नव नियुक्त प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी एवम पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी शामिल हुए।