अपनी बात

झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के कथनानुसार भाजपा मीरजाफर और आजसू जयचंद

झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य के कथनानुसार भाजपा मीरजाफर और आजसू जयचंद है। मतलब साफ है कि सुप्रियो ने भाजपा की तुलना मीरजाफर और आजसू की तुलना जयचंद के साथ कर, इन दोनों पार्टियों की तुलना देश के गद्दारों से कर दी, पर उनकी पार्टी यानी झामुमो देश के किस आदर्श नेता की अनुपम कृति या पहचान है, इस पर कोई बात ही नहीं की और न किसी संवाददाता ने उनसे पूछा ही। सुप्रियो भट्टाचार्य इस बात का कथित रहस्योद्घाटन अपने प्रेस कांफ्रेस के दौरान किया।

दरअसल झामुमो के सारे नेता (कुछ विधायकों को छोड़कर) व राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भयभीत है कि राज्य के राज्यपाल रमेश बैस या भारत निर्वाचन आयोग उनकी विधायिकी पर लटक रही तलवार को लेकर क्या निर्णय करता है? झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो ने अपने प्रेस कांफ्रेस में कोई नई बात नहीं की, वहीं पुरानी बात दुहराई कि उनके लोग कुछ दिन पहले गये थे, तब राज्यपाल ने कहा था कि दो दिनों के अंदर वो स्थिति स्पष्ट कर देंगे, पर किया नहीं, इसीलिए कल उनके नेता हेमन्त सोरेन भी उनके पास गये, आज दिल्ली में अपने अधिवक्ता के माध्यम से निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा। झामुमो नेता ने वो पत्र भी इस दौरान जारी किया।

कमाल है, अगर झामुमो की ही मानें तो 1932 के खतियान को लागू करने की घोषणा, आरक्षण की घोषणा कर देने से उनकी सरकार और मजबूत हो गई, गत पांच सितम्बर को विधानसभा में बहुमत सिद्ध कर देने के बाद तो सरकार कम से कम छः महीने के लिए तो श्योर हो ही गई, उसके बाद भी झामुमो की चुनाव आयोग और राज्यपाल की ओर से विधायिकी पर लटक रहे तलवार को लेकर हो रही देरी, झामुमो के नेताओं के नींद में खलल डाल दी है।

मतलब झामुमो के नेता समझ चुके हैं कि कुछ भी वे लोग कर लें, सरकार खतरे में हैं और इसी पर सुप्रियो ने मर्यादाएं तोड़ दी तथा भाजपा को मीरजाफर तथा आजसू को जयचंद की उपमा दे दी, अब ऐसे में चूंकि राजनीतिक मर्यादाएं झामुमो ने छिन्न-भिन्न कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी, ऐसे में कल भाजपा और आजसू वाले भी झामुमो को नई उपमा से विभूषित कर दें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।