एक IAS को कोई नहीं जानता, एक IPS को सभी जानते हैं…
सचमुच एक आइएएस जे बी तुबिद जो भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता है, इन्हें कोई नहीं जानता, पर दूसरी तरफ एक आइपीएस अजय कुमार है, जिन्हें सभी जानते है। दो पूर्व के उच्चाधिकारी दोनों में समानता देखिये। दोनों झारखण्ड से किसी न किसी रुप में जुड़े हैं। दोनों राष्ट्रीय पार्टी से जुड़े हैं, पर एक बोलने में पटु है, उसे राजनीति की समझ हो चली है और दूसरा राजनीति का ककहरा अभी सीख रहा हैं, वह भी सीख पायेगा या नहीं, कहा नहीं जा सकता, वह एमएलए का चुनाव हार जाता है, और एक लोकसभा का चुनाव जीत जाता है, एक की अपनी उच्चस्तरीय सोच तो दूसरा जयश्रीराम है।
एक राष्ट्रीय पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुका है और इसके माध्यम से उसने अपनी पार्टी और स्वयं का सम्मान बढ़ाया, तो दूसरा प्रदेश प्रवक्ता होकर भी न तो पार्टी का सम्मान बढ़ाया और न ही स्वयं का सम्मान बढ़ाया। सच्चाई यह है कि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता के रुप में जे बी तुबिद को किसी चैनल पर बैठा दिया जाय, तो वे ठीक ढंग से अपने विरोधियों तो दूर, वे एंकर का भी जवाब नहीं दे पायेंगे, जबकि अजय कुमार, एंकर तो दूर, विरोधियों को भी अपने जवाब से संतुष्ट कर देने में माहिर है, तभी तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें झारखण्ड का बागडोर थमा दिया और कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के रुप में आप झारखण्ड जाकर, कांग्रेस को और मजबूत करें।
हमें लगता है कि अजय कुमार इसमें अवश्य कामयाब होंगे, क्योंकि उनमें राजनीति के वे सारे गुण मौजूद है, जो उन्हें बेहतर बनायेगी। कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद, उनका ये कहना कि वे झारखण्ड के विभिन्न मुद्दों पर आदिवासी नेताओं से सलाह लेकर ही कुछ करेंगे, ये उनकी राजनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है। साथ ही उनकी स्पष्टवादिता तथा स्वच्छ छवि का फायदा भी कांग्रेस को मिलेगा। झारखण्ड के कुछ जगहों पर उनकी बहुत अच्छी पकड़ हैं तो कार्यकर्ताओं से मिलने का ढंग, उनका निराला अंदाज सबको प्रभावित करता है, शायद लगता है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने बहुत कुछ, सोच-समझकर उन पर जिम्मेदारी सौंपी है, अब इसमें वे कहां तक कामयाब होंगे, फिलहाल कुछ कहा नहीं जा सकता। हमारी ओर से उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं, आप अपने जिम्मेदारी में सफल हो, ईश्वर से कामना।