मां की आराधना अखबारों में दिये मंत्रों से नहीं, बल्कि शास्त्रों में दिये गये मंत्रों से करें, नहीं तो आपकी पूजा कभी सफलीभूत नहीं होंगी
अगर आप अखबारों में लिखे मंत्रों के द्वारा मां भगवती का ध्यान करते हैं, तो निश्चय ही जानिये कि आप विशुद्ध रुप से गलत मंत्र से ध्यान कर रहे हैं और उससे आपको कोई लाभ नहीं होना है और न ही किसी अभीष्ट की प्राप्ति होने जा रही हैं, क्योंकि गलत मंत्र से ध्यान करने से वो मंत्र में छुपी शक्तियां भगवती तक नहीं पहुंचती, बल्कि आपका अहित ही कर देती हैं।
विद्रोही24 ने कई अखबारों में इन दिनों छप रही दुर्गा देवी की स्तुतियों पर ध्यान दिया तो पाया, ज्यादातर अखबारों में मूर्खों का साम्राज्य छा गया हैं, जो गलत-गलत मंत्रों का उपयोग कर मां भगवती के भक्तों के भक्ति के साथ छल कर रहे हैं। विद्रोही 24 ने पाया है कि ज्यादातर अखबारों में उन्हीं पंडितों के इस प्रकार के आलेख छपते हैं, जिनके संपादकों से मधुर संबंध हैं, मतलब ये आलेख संबंधों पर छपते हैं, न कि विद्वता के आधार पर। अगर विद्वता के आधार पर छपती तो ये भयंकर गलतियां नहीं होती। अब जैसे आज का प्रभात खबर को देखिये, प्रभात खबर ने लिखा, मां चंद्रघंटा ध्यान मंत्र –
अण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपार्भटीयुता।
प्रसादं तनुतां महा चण्डखण्डेति विश्रुता।।
जो देवी पक्षिप्रवर गरुड़ पर आरुढ़ होती है, उग्र कोप और रौद्रता से युक्त रहती है तथा चंद्रघंटा नाम से विख्यात है, वे दुर्गा देवी मेरे लिये कृपा का विस्तार करें। सर्वप्रथम ये पूरा मंत्र ही गलत है, अब जबकि प्रभात खबर ने स्वयं लिखा है कि देवी पक्षिप्रवर गरुड़ पर आरुढ़ होती हैं तो उसी प्रभात खबर ने जो मां चंद्रघण्टा का चित्र दिया हैं, उन्हें सिंह पर बैठा क्यों दिखाया? उसे स्वलिखित मंत्र के अनुसार गरुड़ पर बैठा दिखाना चाहिए था। एक बात और प्रभात खबर लिखा कि यह माता उग्र कोप और रौद्रता से युक्त रहती है, जबकि शास्त्र कुछ और ही कहते हैं। क्या कहते हैं शास्त्र? शास्त्र कहता है –
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
मां दुर्गाजी की तीसरी शक्ति का नाम “चन्द्रघण्टा” है। नवरात्रि उपासना में तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन-आराधन किया जाता है। इनका यह स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसी कारण से इन्हें चन्द्रघण्टा देवी कहा जाता है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं। इनके दसों हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिये उद्यत रहने की होती है। इनके घण्टे की-सी भयानक चण्डध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं।
अब आप स्वयं देखिये कि शास्त्रोक्त मंत्र और प्रभात खबर में दिये गये मंत्र में क्या अंतर दिख रहा है? इसके लिए आपको कुछ करना नहीं हैं, बस आपको अपने हृदय और मन से यह पूछना है कि गलत कहां हो रहा है? जैसे ही आप अपने मन और आत्मा से पूछेंगे, आपको सत्य का पता चल जायेगा, उसके बाद जो आप मां की आराधना करेंगे, उसमें आपको सफलता अवश्य मिलेगी, फिलहाल अगर आप बेहतर जानकारी चाहते हैं, आप अपनी दुर्गापूजा को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो गीताप्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित “दुर्गासप्तशती” व “नवदुर्गा” मंगाकर अपना ज्ञानवर्द्धन करें। आपको सत्य का पता चल जायेगा।
यदि ऐसा है तो दुर्भाग्यपूर्ण. कृपया संदर्भ बताये मैं प्रभात खबर को मेल करूँगा.
अयोध्या नाथ मिश्र
ऊसर बीज बोए फल जथा