झासा आंदोलन के आगे रघुवर सरकार नतमस्तक, पुलिसकर्मियों में आक्रोश, ACB पर उठे सवाल
विद्रोही 24. कॉम ने पहले ही कहा था कि मुख्य सचिव राजबाला वर्मा झासा आंदोलनकारियों के आगे झूक चुकी है, इसलिए सीएम रघुवर दास का झूकना भी तय है, क्योंकि सीएम की ताकत ही नहीं कि वे कोई भी निर्णय स्वयं ले लें। जरा देखिये सरकार के प्रधान सचिव निधि खरे ने झासा के अध्यक्ष/महासचिव को क्या लिखा है –
- ‘मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग द्वारा कथित दुर्व्यवहार की जांच हेतु त्रिसदस्यीय समिति का गठन करते हुए तीन दिनों के अंदर जांच प्रतिवेदन समर्पित करने का निदेश दिया गया हैं।
- मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग द्वारा ट्रैपिंग संबंधी मामलों में नियमित दंडाधिकारी के साथ कार्रवाई करने का निदेश दिया गया है।
- अधोहस्ताक्षरी द्वारा उपायुक्त/आरक्षी अधीक्षक, हजारीबाग को झारखण्ड प्रशासनिक सेवा संघ की हजारीबाग ईकाई के सदस्यों के साथ थाना प्रभारी बरकट्ठा एवं आरक्षी उपाधीक्षक, बरही के द्वारा किये गये कथित दुर्व्यवहार की जांच कर प्रतिवेदन अनुशंसा के साथ उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया है।’
अतः आपसे अनुरोध है कि राज्यहित में अपना सामूहिक आकस्मिक अवकाश को वापस लेते हुए अविलम्ब अपने कर्तव्य पर योगदान देने का निदेश दिया जाय।‘
इधर एस के जी रहाटे ने अंचलाधिकारी बरकट्ठा की ट्रैपिंग एवं गिरफ्तारी संबंधी जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है, जो तीन दिनों के अदर जांच रिपोर्ट सौंप देगी। तीन सदस्यीय कमेटी में हिमानी पांडे, अमिताभ कौशल और पी आर के नायडू के नाम शामिल है। इधर त्वरित कार्रवाई करते हुए बरकट्ठा थाना प्रभारी मंजीत कुमार का ट्रांसफर तत्काल प्रभाव से पुलिस केन्द्र में कर दिया गया है। दुसरी ओर झारखण्ड पुलिस एसोसिएशन हजारीबाग का कहना है कि पुलिसकर्मियों पर आरोप पूर्णतः गलत है, अगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होती है, तो वे भी राज्यव्यापी आंदोलन के लिए तैयार है।
इधर झारखण्ड प्रशासनिक सेवा संघ ने कहा है कि चूंकि मुख्य सचिव तथा प्रधान सचिव कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग, झारखण्ड सरकार से हुई वार्ता के क्रम में निर्गत आदेश सेवा शर्त व प्रोन्नति के संबंध में समर्पित ज्ञापन पर त्वरित कारवाई तथा एसीबी के ट्रेपिंग के लिए एसओपी निर्माण की कार्रवाई प्रारम्भ करने के आश्वासन उपरांत झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ द्वारा आहूत 16 से 20 नवम्बर तक आहूत आकस्मिक अवकाश का आज दिनांक 17 नवम्बर को समाप्त किया जाता है, सभी पदाधिकारी 18 नवम्बर 2017 को अपने कार्यालय में योगदान देंगे।
एसीबी कार्रवाई की निन्दा और झासा के आंदोलन पर सवाल
गुमला के अनुमंडलाधिकारी कृष्ण कन्हैया राजहंस ने उपायुक्त गुमला को पत्र लिखकर झासा के आंदोलन पर ही सवाल उठा दिया। जरा देखिये उन्होंने क्या लिखा है –
‘उपर्युक्त विषय के संबंध में कहना है कि विगत दिनों श्री मनोज तिवारी अंचल अधिकारी बरकट्ठा के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा की गई कार्रवाई की मैं निन्दा करता हूं, परन्तु इसके पूर्व राज्य के कई अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के प्रशासनिक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरों द्वारा की गई कार्रवाई को राज्य प्रशासनिक सेवा संघ द्वारा संज्ञान में नहीं लिये जाने एवं की गई कार्रवाई के विरुद्ध कोई आंदोलन नही किये जाने के कारण मैं राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के वर्तमान आह्वान एवं आंदोलन में शामिल नहीं हूं।‘
गुमला की भूमि सुधार उपसमाहर्ता अंजना दास ने भी कुछ इसी प्रकार का लिखित वक्तव्य उपायुक्त गुमला को प्रेषित की है। अंजना दास ने अपनी बात में यह भी जोड़ा है कि ‘रेवेन्यु प्रोटेक्शन एक्ट लागू करवाने, राज्य प्रशासनिक पदाधिकारियों पर बेवजह सीबीआई केस, सीआईडी केस, आय से अधिक संपत्ति केस, बिना वजह प्रमोशन को रोकने हेतु जैसे मुद्दों को भी संघ द्वारा नजरंदाज किया जा रहा है, इसलिए वह राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के वर्तमान आह्वान एवं आंदोलन में शामिल नहीं हो रही है।‘