खूंटी की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को मिली बड़ी सफलता, एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र के सहयोग से एक बालक व 12 बालिकाएं हुई मुक्त
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सार्थक प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार बालक/बालिकाओं को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वासित किया जा रहा है। उसी कड़ी में मानव तस्करी की शिकार झारखंड के खूंटी जिले की 12 बच्चियों एवं एक बालक को दिल्ली में मुक्त कराया गया। एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र, नई दिल्ली की नोडल ऑफिसर नचिकेता द्वारा बताया गया कि खूंटी एसपी अमन कुमार एवं खूंटी उपायुक्त शशि रंजन के निर्देश पर जिला समाज कल्याण विभाग, बाल संरक्षण विभाग एवं एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट द्वारा दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर मानव तस्करी के शिकार 12 बालिकाओं एवं एक बालक को मुक्त कराया गया है।
यूनिट की टीम लगभग लगभग 15 दिनों से दिल्ली की विभिन्न स्थानों पर छापा मारकर इन बच्चों को मुक्त कराई है। इसी क्रम में कई अवैध रूप से संचालित प्लेसमेंट एजेंसियों का भी पता चला है, जो अवैध रूप से छोटी बच्चियों को दिल्ली में लाकर बेच देते हैं। इन पर कार्रवाई भी की जानी है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के रामजानुल हक, मिथलेश ठाकुर, अजय कुमार शर्मा, उषा देवी एवं फुलमनी बोदरा द्वारा न केवल मुक्त कराए गए बच्चों को बल्कि उन सात बच्चियों को भी, जो 18 वर्ष से ऊपर थीं, उनका दिल्ली के हिसाब से मेहनताना दिलाया। यह भी सुनिश्चित कराया कि बच्चियां उनकी निगरानी में रहेंगी।
इन मुक्त बालिकाओं में एक बालिका मात्र 14 साल की है। इस उम्र में ही वो तीन महीने की गर्भवती भी है। जिला बाल संरक्षण के शिवाजी प्रसाद द्वारा बताया गया कि इन सभी बच्चों को सीडब्ल्यूसी खूंटी में प्रोड्यूस किया जाएगा। साथ ही खूंटी जिले द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इन्हें स्पॉन्सरशिप योजना का भी लाभ दिलाया जाएगा। मानव तस्कर द्वारा भेजी गई बच्ची के साथ शारीरिक और मानसिक दोनों तरह का शोषण किया जाता है। कई बच्चियों पर शारीरिक शोषण किए जाने संबंधी दिल्ली में केस भी दर्ज हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक छवि रंजन द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चे को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा उनको वापस अपने जिले में पुनर्वास किया जाएगा। इसी कड़ी में खूंटी जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी बसंती बारा एवं जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी शिवाजी प्रसाद द्वारा पहल करते हुए दिल्ली में रेस्क्यू की गई उनके जिला की 12 बच्चियों को दिल्ली से स्कॉट किया गया। आज सभी बच्चियां गरीब रथ से वापस रांची आ रही हैं। इन बच्चियों को समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि ये पुनः मानव तस्करी का शिकार न बनने पाएं।
मानव तस्करी पर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील है और त्वरित कार्रवाई पर विश्वास रखता है। यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है, जिसकी नोडल ऑफिसर नचिकेता द्वारा झारखंड के मानव तस्करी के शिकार बच्चे एवं बच्चियों को मुक्त कराकर वापस उन्हें झारखंड के उनके जिले में पुनर्वास करने का कार्य किया जा रहा है
गौरतलब है कि स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले- भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है। उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है।
दलालों के माध्यम से पलायन
दिल्ली में मुक्त करायी गई बच्चियों को दलाल के माध्यम से लाया गया था। झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं, जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर दिल्ली में अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं। जिससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है ।
माता-पिता भी हैं जिम्मेदार, मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी
दलालों के चंगुल में बच्चियों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चियां अपने माता पिता अपने रिश्तेदारों के सहमति से ही दलालों के चंगुल में आती है। समाज कल्याण महिला बाल विकास विभाग के निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी। ताकि इन बच्चियों को पुन: मानव तस्करी के शिकार होने से बचाया जा सके एवं झारखण्ड राज्य में मानव तस्करी रोकी जा सके। एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह- संसाधन केंद्र के परामर्शी निर्मला खलखो, राहुल सिंह ने बहुत अहम भूमिका निभाई।