राजनीति

CM हेमन्त को मुस्लिम आतंकी संगठनों से खतरा संबंधी गिरिडीह के DC-SP के एक संयुक्त आदेश से इरफान नाराज

कल बुधवार से पूरे राज्य में गिरिडीह के उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक के संयुक्त आदेश की एक प्रति के वायरल होने की घटना के बाद पूरे राज्य में इस बात को लेकर, खासकर राज्य के मुस्लिम समाज में बेचैनी बढ़ गई है। संयुक्त आदेश में इस बात का जिक्र किया गया था कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को नक्सलियों और मुस्लिम आंतकी संगठनों से खतरा है।

चूंकि बुधवार को गिरिडीह में मुख्यमंत्री का एक विशेष कार्यक्रम था, जिसमें उन्हें भाग लेना था, उसको लेकर गिरिडीह प्रशासन ने इन बातों का जिक्र करते हुए सारे पुलिस महकमें को सतर्क कर दिया था। कल गिरिडीह में मुख्यमंत्री का कार्यक्रम भी बेहतर ढंग से संपन्न हो गया। इसी बीच कांग्रेसी विधायक इरफान अंसारी ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गिरिडीह में प्रस्तावित कार्यक्रम की सुरक्षा एवं विधि व्यवस्था हेतु उपायुक्त जिला दंडाधिकारी, गिरिडीह एवं पुलिस अधीक्षक गिरिडीह के संयुक्त आदेश मे मुस्लिम क्रियावादी संगठनों से खतरे की सूचना एक तरह से मुस्लिम समाज पर तोहमत लगाना है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार जिला प्रशासन ने मुस्लिम समाज को उग्रवादी की श्रेणी में खड़ा कर दिया है, इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

हेमंत सरकार को बनाने में अल्पसंख्यक समाज की अहम भूमिका रही है और आज उसी कौम को कुछ भाजपा एवं आरएसएस मानसिकता के पदाधिकारियों द्वारा जलील एवं नीचा दिखाया जा रहा है। इससे युवाओं में एक गलत संदेश जा रहा है। पूर्व की सरकार ने इस समाज को हमेशा से बदनाम करने का काम किया है और आज अगर अपनी सरकार में भी इस तरह की बदनामी का दाग झेलना पड़े तो फिर समाज अब किससे उम्मीद रखें?

उन्होंने कहा कि वे वैसे पदाधिकारियों से पूछना चाहते है कि झारखंड में एक भी ऐसे उग्रवादी मुस्लिम संगठन का नाम बताएं जो क्रियान्वित है। यह लोग जानबूझकर सरकार की छवि को धूमिल करना चाहते हैं। ऐसे में उनकी सरकार से मांग है कि वो इस मामले को संज्ञान में लें और वैसे पदाधिकारियों को चिन्हित कर उचित कार्रवाई करें।

इधर गिरिडीह के डीसी-एसपी के इस संयुक्त आदेश की प्रति जैसे ही वायरल हुई। जिला प्रशासन की बेचैनी बढ़ गई। यह संयुक्त आदेश की प्रति गोपणीय थी पर यह वायरल कैसे हो गई, उसके लिए बेचैनी का कारण बन गया। कई अखबारों ने इस समाचार को प्रमुखता से स्थान दी और उसे मुख्यमंत्री के साथ जुड़ी कई घटनाओं से इसे जोड़ कर देखा, वहीं कई अखबारों ने इस समाचार को सिर्फ छूने की कोशिश की और कई ने तो भय से इसे स्थान ही नहीं दिया, लेकिन इस पर सर्वाधिक विस्फोटक बयान इरफान अंसारी का आ गया और उन्होंने इसे गंभीरता से ले लिया।

रांची से प्रकाशित अखबार दैनिक जागरण ने इस खबर को प्रमुखता दी है। उसने लिखा है कि पहले भी मुख्यमंत्री को इ-मेल भेजकर जान से मारने की धमकी दी जा चुकी है, पर आरोपित पकड़ा नहीं जा सका है। अखबार ने आगे लिखा है कि पूर्व में मुख्यमंत्री को जिस इ-मेल से धमकी दी गई थी, उसका सर्वर जर्मनी व स्विटजरलैंड में मिला था।

अखबार ने गिरिडीह के एसपी का बयान भी छापा है, जिसमें वे कह रहे है कि यह गोपणीय आदेश है, इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, संशोधित आदेश भी जारी किया गया है। किसी ने जान-बूझकर इस गोपणीय पत्र को वायरल किया है। अब सवाल उठता है कि जब यह गोपणीय पत्र हैं और इसे किसी ने वायरल किया हैं तो वह वायरल करनेवाला निश्चय ही कोई प्रशासन का ही व्यक्ति होगा।

गिरिडीह प्रशासन उसे क्यों नहीं तलाश करती या जब संयुक्त आदेश यह बनी थी, तो कुछ न कुछ बातें तो जरुर ही रही होगी, ऐसे तो ये संयुक्त आदेश बना नहीं होगा, अगर एक विशेष समुदाय से आ रहे आतंकी संगठनों से राज्य के मुख्यमंत्री को खतरा उत्पन्न हो रहा हैं, तो यह झारखण्ड जैसे राज्य के लिए कोई अच्छा संदेश नहीं हैं। अच्छा रहेगा कि पुलिस प्रशासन से जुड़े लोग इस मामले को गंभीरता से लें, क्योंकि मामला राज्य के एक युवा मुख्यमंत्री से जुड़ा हैं।