अपनी बात

लानत हैं ऐसे पत्रकारों और ऐसी पत्रकारिता पर…

सचमुच लानत हैं ऐसे पत्रकारों और ऐसी पत्रकारिता पर…। जो किसी समाचार को बनाने अथवा उसे प्रस्तुत करने के लिए इस प्रकार की हरकतें करते हैं, जो शर्मनाक ही नहीं, बल्कि पूरे देश व समाज के लिए खतरे के संकेत भी हैं। ऐसा मैं क्यूं लिख रहा हूं, वो जानने के लिए पहले आप इस विडियो को ध्यान से देखिये, जो बड़ी तेजी से वायरल हो रहा हैं…

जब आपने यह विडियो देख लिया तो आपको समझ में भी आ गया होगा कि इस विडियो में पत्रकारों का समूह किस प्रकार अपनी मनपसन्द संवाद लेने के लिए आंदोलनकारी महिला को समझाने का प्रयास कर रहा है। अब सवाल उठता है कि क्या अपने मन-मुताबिक संवाद लेने के लिए किसी को उकसाना सही है या गैर-कानूनी है।

यह विडियो यह बताने के लिए काफी है कि आज के पत्रकार और आज की पत्रकारिता कितनी नीचे गिर चुकी है। बताया जा रहा है कि यह विडियो हजारीबाग के बड़कागांव का है और एक-दो दिन पूर्व का ही है। इस विडियो में कई बैनर भी दिखाई पड़ रहे हैं। उन बैनरों में अडानी कंपनी वापस जाओ, ग्राम सभा रद्द करो, जल जंगल जमीन हमारा है, यह लिखा हुआ भी स्पष्ट रुप से दिख रहा है।

मान लिया कि अगर कोई महिला बोल सकने की स्थिति में नहीं हैं अथवा अपनी बातों को ठीक ढंग से नहीं रख पाती तो क्या आप उसे प्रशिक्षण देंगे कि उसे क्या बोलना है, यह आज के संवाददाताओं ने कहां और कब सीख लिया या किस पत्रकारिता संस्थान में ऐसा करना सिखाया जा रहा है। इस विडियो में नजर आ रहे लोगों के संवाददाताओं को तो बताना ही चाहिए, पर क्या बता पायेंगे? गिरने का मतलब क्या, अब आप इतना गिर जायेंगे कि किसी संस्थान के खिलाफ आप अपने मन-मुताबिक संवाद चाहेंगे, तो फिर आप में या किसी अपराधी में क्या अंतर रह जाता है?