राज्यपाल रमेश बैस की भी बात नहीं मानते पर्यटन विभाग के अधिकारी, टूरिस्ट सर्किट व पेम्पलेट बनाने को कहा था पर बनाया ही नहीं
बहुत दुःख की बात है कि पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाओं वाला झारखंड प्रदेश पर्यटन एवं पर्यटकीय सुविधाओं की दृष्टिकोण से काफी पिछड़ा हुआ है और यह सब हुआ है विजन की कमी से। झारखंड नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण है, लेकिन देश के लोगों को यहाँ के पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी ही नहीं है। पर्यटन स्थलों में आधारभूत संरचनाओं तक का अभाव है।
अब अधिकारियों को पर्यटन के क्षेत्र में रुचि लेकर कार्य करना होगा। पर्यटक कुछ दिन के लिए झारखंड आते हैं और पर्यटन स्थल का भ्रमण करना चाहते हैं लेकिन उन्हें कोई जानकारी नहीं होती है। उनके द्वारा पूर्व में भी टूरिस्ट सर्किट और पेम्पलेट बनाने का निदेश दिया गया था लेकिन आज तक नहीं बन पाया। राज्यपाल राज भवन में पर्यटन, कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान ये सारी बातें कहीं।
मलूटी में चल रहे जीर्णोद्धार के कार्य से भी दुखी हैं राज्यपाल
राज्यपाल ने मलूटी मंदिर के कार्यों की जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि उन्होंने मलूटी जाकर जीर्णोद्धार के कार्य को देखा और उनको बहुत दुःख और पीड़ा हुई। पूरे विश्व में टेरेकोटा के इस प्रकार के मंदिरों की शृंखला नहीं होगी लेकिन जीर्णोद्धार कार्य बिल्कुल भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रहा है। जिस स्वरूप में मंदिर था, जीर्णोद्धार के तहत उसी स्वरूप में लाने का प्रयास होना चाहिए, टेरेकोटा में ही कार्य हो, यह सुनिश्चित करें। उन्होंने इन मंदिरों के रख-रखाव नहीं होने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसा लगता है कि इनका देख-रेख यथास्थिति में छोड़ दिया गया है।
झारखण्ड निर्माण के बाद पर्यटन की एक भी परियोजना पर ठीक से काम नहीं
राज्यपाल ने विभागीय अधिकारियों से विभाग द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी माँगते हुए कहा कि एक साल में एक ही परियोजना को ठीक से पूरा किया होता तो अभी तक राज्य बनने के बाद 21 पर्यटन स्थल विकसित हो सकते थे। परियोजनाओं की घोषणा तो बहुत होती हैं, लेकिन काम नहीं हो पाता है। आज बहुत से ऐसे देश हैं जहां प्राकृतिक सौंदर्यता नहीं है, लेकिन कृत्रिम सौंदर्यता विकसित कर पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं, वहीं नैसर्गिक सुषमा से सुशोभित झारखंड प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में इतना पीछे है। यहाँ साहिबगंज में फॉसिल्स तक मौजूद है, लेकिन लोगों को इसकी जानकारी तक नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा पूर्व में भी कहा गया कि पर्यटन विकास के लिए राशि की चिंता न करें, सिर्फ प्रस्ताव दें। उन्होंने समयबद्ध तरीके से कार्य करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने बाबाधाम मंदिर, देवघर को विकसित करने पर भी चर्चा की। राज्यपाल ने अधिकारियों से कहा कि खिलाड़ियों को भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है, विशेषकर अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को, ताकि वे खुले मन से चिंतामुक्त होकर खेल सकें और राज्य एवं देश का नाम रौशन कर सकें।