मुंगेरी लाल के हसींन सपने देखने में कोई बुराई नहीं ललन सिंह, लेकिन जान लीजिये नीतीश किसी जिंदगी में जेपी जैसा आंदोलन नहीं खड़ा कर पायेंगे
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को परम ज्ञान की प्राप्ति हुई है। यह परम ज्ञान की प्राप्ति कुछ महीने पहले ही उन्हें प्राप्त हुई, जब उनके महान नेता जिसे पूर्व में आज के वर्तमान बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव कई बार ‘पलटू राम’ कहकर संबोधित कर चुके हैं, वे पूरी तरह दल-बल के साथ एक बार फिर भाजपा से अलग होने का फैसला ले लिये और राष्ट्रीय जनता दल के साथ एक बार फिर गले मिलकर बिहार में शासन करने का फैसला ले लिया। मुख्यमंत्री बनने का फैसला ले लिया। हालांकि उनके इस फैसले पर कई लोगों ने चुटकी भी ली और उन्हें ‘कुर्सी कुमार’ तक कहकर संबोधित कर दिया।
अब कोई ललन सिंह के परम प्रिय नेता को ‘कुर्सी कुमार’ कहे या ‘पलटू राम’ ललन सिंह को क्या फर्क पड़ता हैं, जिसकी कृपा से वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, उनके प्रति श्रद्धा का भाव तो उन्हें रखना ही हैं। शायद इसलिए उन्होंने कल रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में कह डाला, जिसे एक अखबार ने प्रमुखता से बीच के पृष्ठों (प्रथम पृष्ठ के लायक ये हैं भी नहीं) पर स्थान दिया।
हेडिंग हैं – नीतीश करेंगे जेपी जैसा आंदोलन, 2024 में होगा भाजपा मुक्त भारतः ललन सिंह। अब चूंकि हेडिंग कोई अपने से तो देता नहीं, ये जरुर ही ऐसा वक्तव्य दिये होंगे, क्योंकि नीतीश में तो उन्हें फिलहाल जेपी क्या, कुछ दिनों के बाद ये किसी और भारतीय नेता का नाम लेकर, नीतीश का मिलान कर देंगे। इसमें इनकी कोई गलती नहीं, हर नेता, हर कार्यकर्ता को अपने नेता में भगवान तक नजर आता हैं तो ये तो जेपी जैसा आंदोलन से ही तुलना कर दिया, तो क्या गलत कर दिया।
जेपी जैसा चरित्रवाला व्यक्ति ही सिर्फ जेपी जैसा आंदोलन खड़ा कर सकता है
लेकिन तुलना करने के पहले कम से कम ललन सिंह को यह सोचना चाहिए था कि जेपी के जैसा आंदोलन, वहीं करता हैं, जिसमें जेपी जैसा चरित्र हो, ऐसा नहीं कि सदन में झूठ बोलनेवाला, स्पीकर को सदन में डांटनेवाला और स्पीकर के सम्मान से खेलनेवाला, भ्रष्टाचारियों के आगे सर झूकानेवाला और उसके संग गलबहियां डालकर शासन करनेवाला व्यक्ति जेपी जैसा आंदोलन खड़ा करता है। अरे जेपी जैसा आंदोलन खड़ा करने में नीतीश कुमार को सौ जन्म लेने पड़ेंगे, उसके बाद भी वे जेपी जैसा आंदोलन नहीं खड़ा कर पायेंगे।
ललन सिंह को मालूम होना चाहिए कि जेपी ने जो आंदोलन खड़ा किया था, वो खुद को स्थापित करने के लिए आंदोलन नहीं किया था, उन्होंने मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बनने के लिए अपने जमीर को नहीं बेचा था, जैसा कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के लिए एक डाल से दूसरे डाल पर बैठते रहे हैं। जेपी की संपूर्ण क्रांति को पहले ललन सिंह बढ़िया से पढ़ें, जेपी पर लिखी पुस्तकों को ललन सिंह पहले बढ़िया से पढ़ें और नीतीश को भी पढ़ने के लिए कहें, फिर जेपी जैसा चरित्र गढ़ने का प्रयास करें, तब जाकर जेपी जैसा आंदोलन आप खड़ा कर पायेंगे, नहीं तो मुंगेरी लाल के हंसीन सपने देखने से किसी को कोई मना नहीं किया।
अपनी ही बातों को नकारनेवाला व्यक्ति जेपी जैसा आंदोलन खड़ा करेगा?
सदन में नीतीश का बयान हैं – मिट्टी में मिल जायेंगे, पर भाजपा के साथ नहीं जायेंगे, और कुछ ही वर्षों में भाजपा के साथ मिलकर सरकार भी चलाई और कुछ महीने पहले उससे तलाक भी ले ली, बताइये ऐसा व्यक्ति जेपी बनेगा, जेपी जैसा आंदोलन खड़ा करेगा। मतलब जो मन में आया बक दिया। आज ललन सिंह कह रहे हैं कि जब से केन्द्र में मोदी की सरकार बनी है, तब से देश में महंगाई व बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। अरे भाई परम ज्ञानी ललन सिंह, कुछ महीने पहले तक तो तुम्हारी पार्टी भी उसमें सहयोगी थी, बिहार में तुम उसी के साथ शासन में थे, उस वक्त ये परम ज्ञान कहां चला गया था?
जिस अडानी के खिलाफ तुम आग उगल रहे थे, वो एक दिन में अडानी दूसरे स्थान पर तो नहीं पहुंचा, उसे पहुंचाने में तो तुम्हारे पार्टी के लोगों का भी सहयोग रहा, ये कैसे आप इनकार कर सकते हो। ये तो वही बात हो गई – कड़वा-कड़वा थू- थू, मीठा-मीठा चप-चप। क्या सारे विपक्ष के नेता इतने मूर्ख हैं कि वे नीतीश के कहने पर एक हो जायेंगे, क्या नीतीश के पूर्व के चरित्र को ये विपक्ष के नेता नहीं देखे हैं, या जानते नहीं हैं। क्या विपक्ष के कई नेता भूल गये कि ये व्यक्ति कब लालू को छोड़कर भाजपा से हाथ मिला लेगा, कोई कह नहीं सकता। आखिर क्या वजह हैं कि लालू प्रसाद की पार्टी भी फूंक-फूंककर कदम रख रही हैं और नीतीश और उनकी पार्टी पर उतना विश्वास नहीं कर रही।
कल तक पीएम का उम्मीदवार घोषित करनेवाले नीतीश को आज पीएम का उम्मीदवार नहीं घोषित करने की बात कहना, क्या यहां के लोग इतने मूर्ख हैं, अरे ललन सिंह जी, इतने भोले मत बनिये। भारत की जनता सारे नेताओं को जानती है, कि ये डगरे पर के बैगन के सिवा कुछ नहीं, ये मौका देखकर कब पाला बदल लेते हैं, कोई भी नहीं जान सकता और नीतीश ने तो इसका कीर्तिमान बनाया हैं। अरे भाई, जिस व्यक्ति ने बिहार में कई वर्षों तक वैशाखियों का सहारा लेकर राज्य का मुख्यमंत्री बना रहा, आज भी उसे मुख्यमंत्री की कुर्सी इतनी प्यारी हैं, कि उसके बिना एक पल भी वो नहीं रह सकता। जो जाति की राजनीति में विश्वास रखता है। जो अपने नेतृत्व में अपनी पार्टी को अकेले बहुमत तक नहीं दिला सकता। वो जेपी जैसा आंदोलन खड़ा करेगा? भाई आपके इस बयान पर लोग हंस रहे हैं।
अब किसी जिंदगी में झारखण्ड में जदयू नहीं दिखेगा, चाहे जो कर लो
अरे एक बात और, आपने कहा कि झारखण्ड में जदयू का खोया गौरव आप लौटायेंगे। मैं कहता हूं कि कभी नहीं आप लौटायेंगे। आप उस वक्त की बात कर रहे हैं, जब संयुक्त बिहार के कुर्मी नीतीश कुमार को अपना नेता मानते थे, उस वक्त इंदर सिंह नामधारी जैसे नेता आपकी पार्टी में थे, पर अब स्थितियां बदली हैं। झारखण्ड के कुर्मियों के पास आज नीतीश कुमार के टक्टर के कई नेता हैं। वे अपने मूलवासी को नेता मानेंगे कि एक बिहारी को अपना नेता मानेंगे। अंत में आपके पास इंदर सिंह नामधारी जैसे नेता कहां हैं? कल ही जो आपके पार्टी में शामिल हुए हैं। वे कई पार्टियों का चक्कर लगाकर फिर आपके पास पहुंचे हैं। आपके पास कोई नेता ही नहीं हैं।
इसलिए खोया गौरव तो दूर, अगर यहां पंचायत का चुनाव दलों के आधार पर हो जाये, तो आपका एक भी प्रतिनिधि पंचायत का चुनाव नहीं जीत पायेगा, विधानसभा और लोकसभा की सीट पाना तो दूर की बात है। ऐसे भी जिस समय की बात कर रहे है कि आपके पास पांच से छह विधायक हुआ करते थे, उस समय भी आप ही झारखण्ड में आकर इन विधायकों का ऐसा मार्गदर्शन करते थे, कि वे सारे नेता आज कही के नहीं रहे। कोई स्वर्ग चला गया तो कोई जिन्दा भी हैं तो एक तरह से उसकी कोई पूछ नहीं। हमें लगता है कि उदाहरण देने की जरुरत नहीं, क्योंकि जब आप पांच से छह विधायक कह सकते हैं तो आप उनका नाम भी जानते ही होंगे।