जेल में बंद अरुप चटर्जी को एक और झटका, 15 दिनों के अंदर न्यूज 11 कार्यालय को खाली करने एवं बकाया 74 लाख रुपये भरने के आदेश रांची SDO ने दिये
रांची के एसडीओ कोर्ट ने रामवतार राजगड़िया के पक्ष में अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले में रांची एसडीओकोर्ट ने न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी को आदेश जारी किया है कि वो पन्द्रह दिनों के अंदर रामवतार राजगड़िया के परिसर में चल रहे न्यूज 11 के कार्यालय को खाली कर दें, साथ ही रामवतार राजगड़िया के बकाये किराये 74,65,000 रुपये एक मुश्त पन्द्रह दिनों के अंदर भुगतान करें।
एसडीओ कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी बकाया बिजली बिल और रख-रखाव खर्च को भी अलग से रामवतार राजगड़िया को भुगतान करें। यह आदेश भवन-नियंत्रक-सह-अनुमंडल दंडाधिकारी के हस्ताक्षर द्वारा 15 अक्टूबर 2022 को जारी किये गये हैं। मतलब साफ है कि 31 अक्टूबर तक न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी को अपना कार्यालय हर हाल में खाली कर देना है।
बताया जाता है कि रामवतार राजगड़िया, पिता -हनुमान प्रसाद राजगड़िया, सा. – फ्लैट संख्या 203, बालाजी ग्रिन्स, बसन्त बिहार, कांके रोड, जिला रांची ने अरुप चटर्जी ( पिता – अनूप चटर्जी, निदेशक, मिडिया इलेवन प्राइवेट लि. निबंधित कार्यालय – 8 गणेश चंद्र एवेन्यू, साहा कोर्ट, कोलकाता पं. बंगाल एवं सा. कार्यालय – 704, 7वां फ्लोर, पंचवटी टावर, हरमू रोड, थाना – सुखदेव नगर, जिला – रांची। आवासीय पता – फ्लैट नं. 2बी/2डी श्रीकृष्णा इन्क्लेव, ब्लॉक – ए, द्वितीय तल, नार्थ आफिस पाड़ा, डोरण्डा, रांची। मौजा – पंचवटी टावर, हरमू रोड, रांची।) के खिलाफ रांची एसडीओकोर्ट में एक वाद दायर किया था।
जिसमें उन्होंने इस बात की जानकारी दी थी कि एम एस प्लाट नं. – 915/1 से 915/7 तक, वार्ड संख्या – 30, हो. नं. 600/ए वन/ए एवं 600/ए वन/बी, क्षेत्रफल – पंचवटी टावर, हरमू रोड, रांची के सांतवे तल पर स्थित ऑफिस स्पेस, सं. 704, 1897 वर्गफीट क्षेत्र एवं बेसमेन्ट स्थित कार पार्किंग स्थल को उन्होंने अरुप चटर्जी को 90,000 रुपये प्रति माह लीज पर दी थी, 14.12.2016 को मात्र उसे 50,000 न्यूज 11 की ओर से मिले, उसके बाद उसके किराये के भुगतान को लेकर अरुप हमेशा टालमटोल करता रहा।
रामवतार राजगड़िया के अनुसार, उन्हें स्वयं व्यवसाय के लिए उक्त परिसर की आवश्यकता पड़ी, तो उन्होंने अरुप चटर्जी को न्यूज 11 कार्यालय अपने परिसर से खाली करने को कहा, तब उसने उनकी बातें नहीं मानी। हार-थककर उन्होंने एसडीओ कोर्ट का सहारा लिया। जहां यह 19(1) (c), (d) (e) of JBC ACT 2011 के तहत वाद संख्या 38/2017 दर्ज हुआ।
इस केस पर राज्य के बहुत बड़े घरानों की भी नजर थी, कि फैसला क्या आता है, क्योंकि बताया जाता है कि अरुप चटर्जी अपनी मीडिया की ताकत और पहुंच का भय दिखाकर सबको हड़काता था, आज कई सालों के बाद फैसला आने से सभी आश्चर्यचकित हैं और एसडीओ कोर्ट साथ ही झारखण्ड सरकार की प्रशंसा भी कर रहे हैं, कि देर से ही सही पर रामवतार राजगड़िया को न्याय आखिर मिल ही गया।
राजनीतिक पंडितों की मानें, तो जेल में बंद अरुप चटर्जी के लिए यह बहुत बड़ा झटका है, साथ ही राज्य सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि। लोगों का राज्य सरकार और उनके अधिकारियों पर इससे विश्वास बढ़ा हैं, अब लोग स्वीकार करने लगे है कि कोई कितना भी अपने पहुंच का धौंस दिखा दें, गलत करनेवाले अब नहीं बचेंगे। अब देखना बाकी है कि आदेश तो 15 अक्टूबर को जारी हुआ, जिसमें आज चार दिन बीत गये, क्या 31 अक्टूबर तक अरुप चटर्जी अपना न्यूज 11 कार्यालय को खाली कर पायेगा या नया तिकड़म भिड़ायेगा?