छठ को लेकर मीडिया द्वारा फैलाये जा रहे दुष्चक्रों से स्वयं को बाहर निकाल उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए विभिन्न जलाशयों पर उमड़ा जन-समुद्र, महापर्व छठ संपन्न
पूरे झारखण्ड में भगवान भास्कर व छठी मइया को समर्पित चार दिनों तक चलनेवाला महापर्व छठ आज उदयाचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। झारखण्ड के विभिन्न छोटी-बड़ी नदियों, झरनों, झीलों व विभिन्न जलाशयों पर छठव्रतियों व उनके परिवारों का जनसमुद्र आज उमड़ पड़ा था। इन जलाशयों को इस प्रकार छठ पूजा समितियों ने सजा रखा था, जैसे लग रहा था कि धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।
मैंने स्वयं महसूस किया कि देवताओं का समूह इन जलाशयों के निकट पहुंचकर छठव्रतियों व उनके परिवारों द्वारा गाये जा रहे भगवान भास्कर व छठी मइया के इस अलौकिक गीत को सुन मग्न थे और ब्रह्मानन्द में समाये जा रहे थे। आज भगवान भास्कर भी अतिवेग से अपने भक्तों के अर्घ्य को स्वीकार करने के लिए आतुर दिखे तथा छठी मइया को अपने किरणों में प्रवेश करा छठव्रतियों के अर्घ्य को स्वीकार कर, सभी को मनोवांछित फल प्रदान किये।
हालांकि पिछले चार दिनों से जब से छठव्रत का नहाय-खा शुरु हुआ था, विभिन्न अखबारों व चैनलों में छप रहे छठ से संबंधित आलेखों व मूर्खों के प्रवचनों से छठव्रतियों का समूह और उनका परिवार दिग्भ्रमित हो रहा था, पर उदयाचलगामी भगवान भास्कर के अर्घ्य देते-देते सारा मिथ्या भ्रमजाल टूटता दिखा, लोग मीडिया द्वारा फैलाये प्रपंचों से स्वयं को अलग करते दिखे।
हर जलाशयों पर मैंने देखा, जो बुढ़-पूरनियां छठ व्रत कर रही थी, उनके चरणों को छूने को छठव्रतियों का परिवार व अन्य लोग लालायित दिखे, वो बुढ़-पूरनियां भी उन सभी के माथे पर सिन्दूर का टीका लगाकर स्वयं आनन्दित हो रही थी तथा सभी को आशीर्वाद देकर उपकृत भी कर रही थी। कई स्थानों पर छठ का प्रसाद लेने के लिए कई लोगों को हमने निहोरा करते भी देखा, जो मन को आह्लादित कर देनेवाला था।
कई घरों में देखा गया कि वहां भी कृत्रिम तालाब बनाकर लोगों ने अपने परिवार के साथ भगवान भास्कर का पूजा-अर्चना किया, अर्घ्य दिये व अपने जीवन को धन्य किया। राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भी सपरिवार रांची के विभिन्न घाटों पर जाकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते दिखे तथा राज्य की जनता की बेहतरी और खुशहाली के लिए भगवान भास्कर से प्रार्थना की।
पूरे राज्य की हाल यह थी कि शायद ही कोई घर होगा, जहां कोई एक बच्चा भी आज घर पर आराम कर रहा होगा, क्योंकि आज तो सारा गांव/कस्बा/शहर विभिन्न जलाशयों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था। घर पर वही थे जो अपने घर के छत पर छठ व्रत कर रहे थे, अथवा वे जो बीमार या चल नहीं सकते थे, क्योंकि आज के दिन विभिन्न जलाशयों के इस अलौकिक सौंदर्य को देखने के लिए कौन ऐसा व्यक्ति होगा, जो लालायित नहीं होगा।
अंततः इसी दरम्यान घटियास्तर की सोचवाले पर भी मेरी नजर पड़ी, जो गंदगियां ढूंढते नजर आये और उसे फेसबुक पर लिखते भी नजर आये, चूंकि इनकी घटिया सोच थी, ये अच्छी चीजों को देखने के लिए गये नहीं थे, इसलिए उन्होंने छठ को लेकर व अन्य चीजों पर अपने फेसबुक पर मल-मूत्र बिखेरते हुए दिखाई पड़ें, शायद वो खुद को ऐसा कर वामपंथी बनना सभी को दिखा रहे थे, पर वे इसमें कितना सफल हुए, मैं अच्छी तरह बता सकता हूं, क्योंकि भगवान भास्कर ऐसे लोगों का इलाज करना बहुत अच्छी तरह जानते हैं, इससे मैं परिचित हूं।