सात से 13 नवम्बर के भाजपाइयों के हेमन्त विरोधी धरना प्रदर्शन को जनता का नहीं मिला साथ, कई भाजपा नेता ही पाला बदलने में लगे, CM हेमन्त ने किये भाजपाइयों के बत्ती गुल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कितना भी ढिंढोरा पीट लें कि सात नवम्बर से लेकर 13 नवम्बर तक प्रदेश भाजपा द्वारा चलाये गये हेमन्त हटाओ, झारखण्ड बचाओ जन-आक्रोश प्रदर्शन में जनता ने भारी संख्या में भाग लिया, कोई नहीं मानेगा और न ही इसमें कोई सच्चाई है, सच्चाई तो यह है कि कई जगहों पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इससे दूरियां बना ली, स्थिति तो ऐसी है कि झामुमो से जो बड़े नेता, बड़ी आस लेकर भाजपा का दामन थामे थे, वे भी अब भाजपा से दूरी बनाने में लग गये, ऐसे में आनेवाले समय में भाजपा को बड़ा झटका मिल जाये तो इसमें भी किसी को कोई अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए।
सच्चाई यह है कि अगर बाबू लाल मरांडी व गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे को भाजपा से हटा दिया जाय, तो प्रदेश भाजपा के पास एक भी ऐसा नेता नहीं हैं जिसके नाम पर जनता खींची चली आये, नहीं तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ही झारखण्ड के किसी भी गांव-शहर में अपने नाम पर अकेले भीड़ जुटा लें, वो भी यह कहकर कि उनकी भाषण को सुनने के लिए फलां जगह लोग पहुंच जाये, हमें लगता है कि कोई नहीं पहुंचेगा, क्योकि वर्तमान में जो भी भाजपा के बड़े या छोटे नेता हैं, वे सभी किसी न किसी प्रकार से सत्ता सुख पाने के लिए भाजपा में सटे हुए हैं और इसका लाभ भी ले रहे हैं, जिसका नमूना है कि यहां से कई लोग राज्यसभा में पार्टी का दामन थामकर पहुंच गये, जिनको जनता ठीक से जानती भी नहीं।
चाहे केन्द्र में बैठे प्रदेश भाजपा के बड़े नेता स्वयं को कहनेवाले अर्जुन मुंडा ही क्यों न हो, हेमन्त सोरेन ने सब की बत्ती गुल कर दी है, आज आदिवासियों का नेता कहे या मूलवासियों का नेता कहे, फिलहाल इन सभी के बड़े नेता हेमन्त सोरेन ही हैं, स्थिति तो ऐसी है कि हेमन्त सोरेन ने कांग्रेस और राजद के क्षेत्रीय नेताओं की भी बत्ती की लाइट धीमी कर दी है, ये सभी चाहकर भी हेमन्त सोरेन को धोखा नहीं दे सकते, क्योंकि हेमन्त को धोखा दिये, तो इनकी विधायकी समाप्त होने का खतरा साफ दिख रहा हैं।
भाजपा के कुछ नेताओं को लगता है कि वे अपनी आईटी टीम के बल पर, ट्वविटरबाजी कर, फेसबुक में बयान देकर या व्हाट्सएप पर अपना भाषण वायरल कर अपना सिक्का जमा लेंगे तो वे मुगालते में हैं। सच्चाई यह है कि झारखण्ड में 2024 में होनेवाला लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का, हेमन्त सोरेन को चुनौती दे पाना कम से कम प्रदेश भाजपा के वश की बात नहीं, ले-देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ही कुछ करना पड़ेगा या कुछ बाबू लाल मरांडी या निशिकांत दूबे कर पायेंगे, बाकी तो जैसे लगता है कि भाजपा को डूबा कर छोड़ेंगे। भाजपा प्रदेश के नेताओं में इन दिनों गजब की कलाबाजी दिख रही हैं, वे सोचते है कि इस कलाबाजी से हेमन्त सोरेन और झामुमो को परास्त कर देंगे, पर उन्हें नहीं पता कि ईडी की कार्रवाई व राज्यपाल रमेश बैस की वर्तमान भूमिका ने हेमन्त की लोकप्रियता में और इजाफा कर दिया है।
लोगों को लगने लगा है कि भाजपा, हेमन्त सोरेन को फंसा रही हैं, लेकिन इसी मामले में जब सरयू राय, रघुवर दास पर आरोप लगाते हैं तो ईडी का रूख रघुवर दास पर बदला-बदला सा दिखता हैं, जो बताने के लिए काफी है कि भाजपा हेमन्त सोरेन को फूंटी आंख भी देखना पसन्द नहीं करती और भ्रष्टाचार का बहाना लेकर हेमन्त को सत्ता से हटाने का ख्वाब देख रही हैं, तभी तो जनता इनके धरना-प्रदर्शन से दूर होती जा रही है, कई जगहों पर तो इन्हीं वजहों से भाजपा कार्यकर्ता भी दूरी बनाते चले जा रहे हैं।
ऐसे में भाजपा ख्याली पुलाव पकाने में लग जाये, तो उसे कौन मना कर सकता है? एक-दो जगहों पर धरना-प्रदर्शन में भीड़ नजर आई भी तो वो भाजपा के बल पर नहीं, बल्कि दल-बदलकर आये पूर्व विधायक के नाम पर थी, इसे कोई भी समझ सकता हैं, यहां कोई किन्तु-परन्तु भी नहीं। इधर दीपक प्रकाश का बयान आया है कि 19 नवम्बर से लेकर 21 नवम्बर तक जिलास्तरीय हेमन्त हटाओ, झारखण्ड बचाओ आक्रोश प्रदर्शन में भारी संख्या में राज्य की जनता शामिल होगी। हम भी देख लेंगे कि जनता कितनी शामिल होती हैं और भाजपा कार्यकर्ता कितने शामिल होते हैं, मतलब हाथ कंगन को आरसी क्या?