कभी लालू प्रसाद की गिरफ्तारी में बाधक एक IAS पर कार्रवाई होगी भी या नहीं
दो दिन पूर्व राज्य के एक मंत्री धनबाद में थे। मंत्री के पहुंचते ही पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया। कभी लालू प्रसाद यादव की आंखों से नींद गायब कर देनेवाले तथा चारा घोटाला में शामिल अधिकारियों व नेताओं को एक-एक कर जनता के सामने नकाब उतारनेवाले उक्त मंत्री ने बयान दे डाला, कि आप पत्रकार तो वह न्यूज छापेंगे नहीं, जो छापना चाहिए, फिर भी मैं कह देता हूं कि अगर हो सके तो मन बनाइये और इसे अखबारों में जगह दीजिये, पर जब सुबह की अखबार पर लोगों की नजर पड़ी, तब वो खबर ही गायब थी, जो मंत्री ने अखबारवालों को कहा था।
सूत्र बताते है कि उक्त मंत्री ने कहा था कि जिस प्रकार से सीबीआई की विशेष अदालत एक-एक कर दोषियों को सजा सुना रही है, उससे साफ लगता है कि इस चारा घोटाले में शामिल कोई व्यक्ति बचने नहीं जा रहा। चाहे वे कितने बड़े तोप स्वयं को क्यों नहीं समझते हो। राज्य में पूर्व मुख्य सचिव रह चुके सजल चक्रवर्ती को भी सजा मिल चुकी है। बिहार में तो कई भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी जो सर्वोच्च पदों पर हैं, उन पर भी कार्रवाई हो रही है, भले ही कार्रवाई का स्वरुप दूसरा हो, कुछ को चेतावनी दी गई तो कुछ को इन्क्रीमेंट तक रोक दिया गया।
ऐसे में यहां भी उन भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, जो सर्वोच्च पदों पर है, और जिन्होंने अपने पदों पर रहकर, अपने दायित्वों का सही निर्वहण नहीं किया। क्या राज्य सरकार ऐसा ठोस निर्णय लेगी, जो बिहार में देखने को मिल रहा? क्या ऐसे भाप्रसे के अधिकारियों पर कार्रवाई करने का मन बनायेगी?
सूत्र बताते है कि फिलहाल उक्त अधिकारी, राज्य में सर्वोच्च पद पर है, और उन पर लालू प्रसाद की गिरफ्तारी में बाधा डालने का आरोप है। सीबीआई ने इन पर कार्रवाई के लिए दो साल पूर्व एक पत्र भी भेजा था, पर उस पत्र को अब तक दबा कर रखा गया है, क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास उक्त अधिकारी पर कार्रवाई करेंगे?
सूत्र बताते है कि फिलहाल उक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी पर सीएम रघुवर दास की विशेष कृपा है, या यों कहिये कि सीएम की हिम्मत नहीं कि उक्त अधिकारी पर कार्रवाई करने की सपने में भी सोच सकें, इसलिए यहां बिहार की तरह भाप्रसे के अधिकारियों को सजा मिल जाये, संभव नहीं। हालांकि सोशल साइट पर इस मामले को खुब उछाला जा रहा हैं, पर अखबारों और चैनलों ने विज्ञापन न मिलने के भय से, अपनी कलम और बूम दोनों को उक्त अधिकारी के चरणों में समर्पित कर दिया है और इस प्रकरण पर कुछ भी लिखने और बोलने से स्वयं को परहेज कर रखा है।
सही.लिखा
हिम्मत हो तब न..
सीधा-सीधा साफ-सुथरा लिख दीजिए ना मिश्रा जी, कि झारखंड में मुख्य सचिव के पद पर है।