केन्द्र सरकार को पत्र लिख राज्यपाल रमेश बैस ने पारसनाथ को पर्यटन स्थल की जगह जैन तीर्थस्थल ही रहने देने का किया अनुरोध
राज्यपाल रमेश बैस ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को झारखण्ड राज्य में गिरिडीह जिला अंतर्गत जैन धर्मावलम्बियों के तीर्थ स्थल पारसनाथ के संदर्भ में पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इसे 2019 में वन्य जीव अभयारण्य का एक भाग घोषित कर इको सेंसेटिव जोन के अंतर्गत रखा गया। झारखण्ड सरकार द्वारा इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया। आजकल इस पवित्र स्थल में मांस-मदिरा समेत अन्य कई प्रतिबंधित पदार्थों के सेवन की शिकायतें भी आ रही हैं।
राज्यपाल ने अपने इस पत्र में कहा है कि यह पवित्र स्थल दुनिया भर में जैन धर्मावलम्बियों का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और उनके 24 में से 20 तीर्थंकरों के निर्वाण (मोक्ष) स्थल है तथा यह पूरे विश्व के जैन समाज के लोगों की आस्था से जुड़ी है। पारसनाथ को राज्य सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर जैन समाज का मानना है कि इससे यहाँ की पवित्रता भंग होगी।
राज्यपाल ने कहा है कि इस संदर्भ में उन्हें कई ज्ञापन प्राप्त हुए और उनसे जबलपुर, दमोह, उदयपुर, आगरा और अन्य जगहों से जैन समाज के कई प्रतिनिधि मिलने आये और उन्होंने इस पर अपनी आपत्ति प्रकट की। इस संदर्भ में विश्व जैन संगठन द्वारा 26 मार्च 2022, 6 जून 2022, 2 अगस्त 2022 और 11 दिसम्बर 2022 को देशव्यापी शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन ‘श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन’ के नाम से किया गया।
राज्यपाल ने कहा है कि यह मामला जैन समाज के लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, उनकी भावनाओं को आहत न पहुँचे, इस दृष्टि से उनकी आस्था को ध्यान में रखते हुए इस विषय की पुनः समीक्षा व पुनर्विचार किया जाना चाहिए ताकि इस पवित्र स्थल की पवित्रता को ठेस न पहुँचे और पारसनाथ पर्वतराज व मधुवन को पवित्र जैन तीर्थस्थल ही रहने दिया जाय।