शर्मनाक, लाखों की आबादी, लेकिन किसी ने 80वीं जयन्ती पर अलबर्ट एक्का को याद नहीं किया, रात में राष्ट्रीय युवा शक्ति ने पहनाई उनकी प्रतिमा को माला
दो दिन पहले 27 दिसम्बर को परमवीर चक्र विजेता अलबर्ट एक्का की जयंती थी। यह सामान्य जयन्ती भी नहीं थी, अलबर्ट एक्का की 80वीं वर्षगांठ थी, पर दुर्भाग्य देखिये सत्तापक्ष हो या विपक्ष यहां तक की जिला प्रशासन व नगर प्रशासक को भी इस दिन अलबर्ट एक्का याद नहीं रहे। रांची की हृदयस्थली कही जानेवाली अलबर्ट एक्का चौक पर स्थापित उनकी प्रतिमा उनकी जयंती पर भी एक माला के लिए तरस गई।
कमाल देखिये, मात्र बीस-तीस कदम की दूरी पर भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी का कार्यालय है, करीब पचास से सौ मीटर की दूरी पर भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी यानी भाकपा माले का कार्यालय है, मेन रोड पर कुछ ही दूरी पर मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी का कार्यालय है। ये वो लोग हैं, ‘जो लाल झंडा करे पुकार, इन्कलाब जिन्दाबाद का’ यहां हमेशा नारा लगाते हैं, जब वो प्रदर्शन के मूड में होते हैं। कभी-कभी ये अपना लाल झंडा भी अलबर्ट एक्का को थमा देते हैं, पर इन कथित महान पार्टी के महान नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी अलबर्ट एक्का याद नहीं रहे।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा हो या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस या भारतीय जनता पार्टी या राष्ट्रीय जनता दल इनके नेताओं को भी ये याद नहीं रहा कि 27 दिसम्बर को अलबर्ट एक्का की 80वीं जयंती है। यहां याद रखें कि मात्र पचास से 100 मीटर की दूरी पर ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का कार्यालय है, जहां हर छोटा से बड़ा नेता मौजूद रहता है, लेकिन किसी को इस बात का ऐहसास नहीं हुआ कि चलो आज अलबर्ट एक्का की जयंती है, अलबर्ट एक्का चौक जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दे आये, उनकी जयंती पर पुष्पाजंलि अर्पित करें।
जब पूरा दिन अलबर्ट एक्का की प्रतिमा अपने जन्मदिन पर एक माला के लिए तरस गई तो रांची की एक युवाओं का एक संगठन राष्ट्रीय युवा शक्ति को इस बात की भनक मिली। वे रात में ही रांची के अलबर्ट एक्का चौक पर पहुंचे। पूरी प्रतिमा में जो सूखी व बदरंग हो गई फूलों की माला थी, उसे प्रतिमा से अलग किया। लाल झंडा जो किसी वामपंथी नेता व कार्यकर्ता ने उनकी हाथों में थमा दिया था, उसे हटाया। पूरी प्रतिमा साफ की। फिर एक माला अलबर्ट एक्का की प्रतिमा के गले में पहना दिया और इस प्रकार पूरे दिन जो अलबर्ट एक्का की प्रतिमा एक माला के लिए अपने जन्मदिवस पर तरस रही थी, वो जाकर रात में राष्ट्रीय युवा शक्ति द्वारा पहनाई गई।
कहा जाता है कि जो देश व राज्य अपने महापुरुषों व वीरों को भूल जाता हैं, वह देश व राज्य कालांतर में अपनी पहचान खो देता हैं। कमाल है 1971 की भारत-पाक युद्ध की जब-जब बात होगी। अलबर्ट एक्का शीर्ष पर होंगे। देश के स्वतंत्र होने के बाद विश्व पटल पर भारत के इस आदिवासी युवक ने पहली बार अपना सर्वोच्च बलिदान दिया पर झारखण्डवासी इतने कृतघ्न निकलेंगे, शायद अलबर्ट एक्का सोचे भी नहीं होंगे। किसी ने कहा है कि…
शहीदों की चित्ताओं पर लगेंगे हर बरस मेले।
वतन पे मरनेवालों का बाकी यहीं निशां होगा।।
अरे भाई यहां मेला क्या? यहां के लोगों के पास तो एक छोटा सा फूल वीरों की प्रतिमाओं के चरणों में चढ़ाने के लिए, वक्त नहीं हैं। क्या हो गया है, इस राज्य को, इस देश को? कहां हैं मेयर? कहां हैं डिप्टी मेयर? कहां हैं नगर प्रशासक? कहां हैं जिलाधिकारी? कहां हैं मेयर पद आदिवासियों के लिए सुरक्षित कराने के लिए आंदोलन चलानेवाले लोग? उन्होंने इस बात की पहल क्यों नहीं की? रांची नगर निगम बताएं कि उनके जन्मदिन पर उनकी प्रतिमा की साज-सज्जा क्यों नहीं की गई? रांची नगर निगम ने भी अपनी ओर से उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि या उनकी प्रतिमा पर माला क्यों नहीं पहनाया?
कमाल है राज्य के प्रमुख नेताओं जैसे राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर तो अलबर्ट एक्का को याद किया, पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पाजंलि हो, इसके लिए उन्होंने कोई व्यवस्था क्यों नहीं की, अपने लोगों से वे अपनी ओर से अलबर्ट एक्का चौक पर जाकर श्रद्धांजलि देने के लिए क्यों नहीं कहा?
आश्चर्य तो इस बात की भी है कि रांची से हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, बांगला आदि भाषाओं में इतने अखबार निकलते हैं, इन सब ने भी अलबर्ट एक्का को याद नहीं किया, मैं सोचता हूं कि अगर राष्ट्रीय युवा शक्ति के सदस्य नहीं होते तो अलबर्ट एक्का की कोई सुध भी नहीं लेता। बधाई, राष्ट्रीय युवा शक्ति के रणबांकुड़ों कम से कम अलबर्ट एक्का की प्रतिमा के पास जाकर, आपने उनलोगों की लाज रख ली, जो वीरों/महापुरुषों के सम्मान की रक्षा में अपना तन-मन-धन सब अर्पित करने के लिए आगे रहते हैं।
आप सभी को इस सुंदर कार्य के लिए हृदय से विद्रोही24 की ओर से बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएं। खासकर मिली गुप्ता, सावन लिंडा, सुमन बीज, विकी लिंडा, विकी कच्छप, रवि शर्मा, रुपेश चौरसिया, आर्यन मेहता, रोहित यादव व शुभम गुप्ता को जिन्होंने 27 दिसम्बर को विशेष भूमिका निभाई l