सुप्रियो का बयान अमित शाह का एक दिन पहले रांची आने का मतलब मॉनिटरिंग करना है कि चाईबासा के उनके कार्यक्रम में भीड़ जुटा या नहीं
झामुमो का तो साफ मानना है कि 200 साल से जो परम्परा बनी हुई हैं, उससे छेड़छाड़ नहीं किया जाय, पर सम्मेद शिखर मामले में जैसे ही भारत सरकार को ऐहसास हुआ कि उनकी गलती पकड़ में आ चुकी है और इसी बीच उनके नेता व केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का झारखण्ड आने का कार्यक्रम बना, एक कपट भरा चाल चला गया। ये कहना है झामुमो के केन्द्रीय प्रवक्ता व महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का, जो उन्होंने संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि वर्तमान में भाजपा के नीयत को समझना बड़ा ही मुश्किल हैं, ये लोगों को आपस में उलझाने व सामाजिक बनावट को उधेड़ने के लिए हर वक्त तैयारी करते रहते हैं। उन्होंने 2019 के गजट को निरस्त नहीं किया, बल्कि सिर्फ रोक लगाई है। मतलब जो बात झामुमो शुरु से कह रही हैं कि आप सम्मेद शिखर मामले से संबंधित अपने 2019 के गजट को निरस्त करिये, उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस चाल को जैन समाज को समझना पड़ेगा।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने अमित शाह के एक दिन पहले ही रांची पहुंचने पर चुटकी ली। सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने भाजपा के एक नेता से पूछा कि, भाई अमित शाह एक दिन पूर्व रांची क्यों पहुंच गये? उक्त भाजपा नेता ने बताया कि आपको याद नहीं, 2019 के झारखण्ड विधानसभा चुनाव के दौरान 2 दिसम्बर को चुनाव प्रचार के क्रम में अमित शाह चक्रधरपुर आये थे, वहां साढ़े ग्यारह बजे उनकी सभा होनी थी, दस पन्द्रह लोग भी नहीं जुटे थे।
बाद में जब इधर-उधर से ढाई सौ लोग जुटाये गये, तब जाकर अमित शाह का भाषण संपन्न हुआ और इतना करने के बावजूद भी वहां से भाजपा साफ हो गई। सुप्रियो ने कहा कि उक्त भाजपा नेता का कहना था कि अमित शाह का रांची एक दिन पहले आने का मतलब मानिटरिंग करना है कि वहां कल के कार्यक्रम में आदमी जुटा या नहीं, आज से ही आदमी भेजना शुरु किया गया हैं। मतलब, अब भाजपा के नेताओं को आदमी जुटाने के लिए पहले जाना पड़ता हैं, ये स्थिति हो गई हैं भाजपा की।
सरना, 1932, ओबीसी आरक्षण पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें अमित शाह
सुप्रियो ने कहा कि अमित शाह जब झारखण्ड आ ही गये तो उन्हें बताना होगा कि सरना धर्म, 1932 के खतियान, ओबीसी आरक्षण, पर उनकी, उनकी पार्टी और केन्द्र सरकार की राय क्या है? उन्हें बताना होगा कि क्या भारत सरकार आगामी बजट सत्र में इन सभी को 9वीं अनुसूची में शामिल करेगी। ये भी बताना ही पड़ेगा, कि आपने जैन धर्म के सर्वोच्च पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को किस परिस्थिति में 2019 में अभयारण्य इको टूरिज्म सेटर के रुप में चिह्लित किया था।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जिन संदर्भों को उल्लेखित किया है, उसके बाद तो आपको इस गजट को वापस ले लेना चाहिए था, इसी से सारी समस्या का निदान हो जाता, भारत सरकार का गजट भारत सरकार वापस ले लें, तो सारी स्थिति ही क्लियर हो जायेगी, पर भ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए 2021 लाया गया, हेमन्त सरकार ने भी इनकी सारी चालाकी को जनता के बीच रखा तो इनकी सारी चतुराइयां टायं टायं फिस्स हो गई।
भाजपा झारखण्ड को कलंकित न करें
सुप्रियो ने कहा कि भाजपाई इस राज्य को कलंकित न करें। इन्होंने केवल और केवल देश ही नहीं विदेशों तक झारखण्ड को कलंकित करने का काम किया है, दूसरे देशों के कई शहरों में इस प्रकार की चीजें पेश की गई, जिससे लगा कि हेमन्त सरकार जैन धर्मावलिंयो के खिलाफ है, लोगों से कहा गया कि राज्य सरकार पर्यटन स्थल समाप्त करें। मतलब करे कोई, भरे कोई। भाजपाइयों को लज्जा आनी चाहिए, अंत में सुप्रियो ने कह डाला कि अमित शाह को इस बात का भी जवाब देना चाहिए, कि ऐसी कौन सी परिस्थिति थी, कि उन्हें इस तरह से धार्मिक भावनाओं से छेड़छाड़ करने का कदम उठाना पड़ा।