द रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष और सचिव को मुकेश भारतीय ने भेजी लीगल नोटिस
प्रेस क्लब रांची का सदस्य नहीं बनाये जाने से नाराज मुकेश भारतीय ने आखिरकार अपने अधिवक्ता के माध्यम से द रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष और सचिव को लीगल नोटिस भेज ही दिया। इस लीगल नोटिस में मुकेश भारतीय को प्रेस क्लब की सदस्यता प्रदान करने को कहा गया है, ताकि मुकेश भारतीय को उनका संवैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाये। लीगल नोटिस में मुकेश भारतीय को सदस्यता एप्रुव्ड करने की सूचना, पत्र मिलने के सात दिनों के अंदर उपलब्ध कराने की बात कही गई है। मुकेश भारतीय के अधिवक्ता है – बिनोदा नन्द झा हैं जो झारखण्ड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता है।
द रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष और सचिव को मुकेश भारतीय द्वारा लीगल नोटिस भेजे जाने पर पत्रकारों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म है।
अपनी रांची के संपादक प्रभात मजुमदार ने कहा है कि यह कोई गंभीर बात नहीं है, अधिवक्ता का अपने मुव्वकिल की ओर से भेजा गया नोटिस है, वर्तमान संचालन समिति इस पर मंथन करें और निर्णय लें, वैसे अगर मुकेश भारतीय प्रेस क्लब का सदस्य पाने की अर्हता रखते हैं तो उन्हें सदस्यता दे देनी चाहिए, इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए।
मुख्यमंत्री रघुवर दास के पूर्व प्रेस सलाहकार रह चुके योगेश किसलय ने प्रभात मजुमदार के वक्तव्य का समर्थन किया है, साथ ही यह भी कहा है कि कोर कमेटी अपनी जिद के कारण स्थिति को यहां तक पहुंचा दी है। उनका यह भी कहना था कि मुकेश भारतीय पर पत्रकारिता करते हुए मुकदमा हुआ है, इसलिए सदस्य बनाने से रोकना गलत है, इसे बेवजह प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया जाना चाहिए था। अब कोर्ट-कचहरी का चक्कर पत्रकारों के लिए शोभा नहीं देता।
पिंटु कुमार दूबे ने कहा है कि हमसे और आपसे है प्रेस क्लब। प्रेस क्लब सभी का है। हम आपको बता दें कि पिटूं कुमार दूबे और फैसल इकबाल जैसे कई लोग हैं, जो अभी तक प्रेस क्लब के सदस्य नही हैं और संचालन समिति से लगातार अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें प्रेस क्लब की सदस्यता प्रदान कर दी जाये।
अरविन्द प्रताप ने कहा है कि किसी का मजाक उड़ाने से अच्छा है, उसकी पीड़ा पूछी जाय और हो सके तो सदस्यता प्रदान कर दी जाय, वे डिजर्व करते है, साथ ही नहीं देने का कारण भी बताना चाहिए।
आकाशवाणी से जुड़े प्रादेशिक समाचार प्रमुख नीरज पाठक ने कहा कि वे सभी पत्रकार परिवार के वृहत आकार से उत्साहित है, किसी भी संगठन में सदस्यों का बढ़ना शक्ति का बढ़ना है, ये तो उत्सव का दिन है, हमारा आकार ऐसा नहीं, जिसकी अनदेखी की जा सकें। उन्होंने कहा कि हम जिस बिरादरी से आते है, वहां भाषा, विचारों की स्पष्टता और अन्य मित्रों के भिन्न विचार को न मानते हुए भी उदारता से सुनना, संवाद बनाये रखने के लिए बेहद जरुरी है।