सुप्रियो ने आदि महोत्सव पर की तीखी टिप्पणी, कहा मोटे अनाज उगानेवालों पर हैं मोदी की नजर, जल्द दिखेगा फार्चुन ज्वार, फार्चुन बाजरा
दिल्ली में आयोजित आदि महोत्सव और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आदिवासी हितों पर दिये गये व्याख्यान को लेकर, राज्य की झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया व्याख्यान दरअसल अडानी की कंपनियों को बेहतर बनाने की दिशा में एक बढ़ाया गया कदम है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने जोर देकर कहा कि एक साल के अंदर उनकी ये बातें सच होगी और अगर सच नहीं निकली तो वे माफी मांग लेंगे। सुप्रियो ने कहा कि आदि महोत्सव में मोटे अनाज की बात कर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ स्पष्ट कर दिया कि इन मोटे अनाजों के जो उत्पादनकर्ता आदिवासी समाज हैं, उसके अनाजों पर किसकी नजर है?
सुप्रियो ने कहा कि देखियेगा जल्द ही आपको बाजार में मोटे अनाज पर अडानी का मुहर दिखने को मिलेगा, जिसमें लिखा रहेगा, फारचुन रागी, फारचुन ज्वार, फारचुन बाजरा आदि। सुप्रियो ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री सचमुच आदिवासियों से प्रेम करते हैं तो वे आदिवासियों के आदि सरना धर्म पर निर्णय क्यों नहीं करते, उन्हें उनका हक क्यों नहीं दिलाते? आखिर पीएम मोदी ने वन अधिकार कानून 2006 को निरस्त क्यों किया, उसे पुनः क्यों नहीं बहाल करते। दरअसल पीएम मोदी आदिवासियों से प्रेम न कर, उन आदिवासियों को बाजारीकरण की ओर मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जो आदिवासी हित में नहीं हैं।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें आश्चर्य हो रहा है कि पीएम मोदी और भाजपा के लोग जो पिछले 22 सालों से आदिवासियों को भूले हुए थे, अचानक उनका आदिवासी प्रेम जाग गया हैं, तभी तो 15 नवम्बर को आदिवासी गौरव दिवस मनाने लगे, नहीं तो पहले उन्हें आदिवासी क्यों नहीं याद आये, दरअसल झारखण्ड में एक नवोदित आदिवासी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अपने क्रियाकलापों से उनकी नींद उड़ा दी हैं, जिसके मूल में आदिवासी प्रेम इनका जागा है।