अपनी बात

वाह रमेश जी जब तक आप झारखण्ड के राज्यपाल रहे CM हेमन्त के नाक में दम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और जाने की बारी आई तो बयान बदल दिया

वाह रमेश जी जब तक आप झारखण्ड के राज्यपाल रहे CM हेमन्त के नाक में दम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और जाने की बारी आई तो बयान बदल दिया। ऐसे भी रमेश बैस अब कुछ भी कहें, पर दाद देनी पड़ेगी CM हेमन्त सोरेन की, जिन्होंने सरकार को अस्थिर करने के प्रयास में शामिल रहे राज्यपाल की एक न चलने दी।

संवैधानिक पदों पर बैठे लोग उस वक्त कितने भोले बन जाते हैं, जब उनका या तो तबादला हो जाता है या उक्त संवैधानिक पद पर उनका अंतिम दिन होता है। ठीक उतने ही भोले बने हैं झारखण्ड के वर्तमान राज्यपाल रमेश बैस, जिनका स्थानान्तरण महाराष्ट्र के राज्यपाल के रुप में हो चुका है, संभवतः वे आज प्रस्थान भी कर चुके हैं।

जरा देखिये न, जैसे ही उन्हें पता चला कि उनका तबादला महाराष्ट्र के लिए हो चुका है, वे आनन-फानन में 15 फरवरी को रांची के गिने-चुने राजभवन के अधिकारियों के माध्यम से परिक्रमाधारी पत्रकारों को राजभवन आमंत्रित किया तथा उन्हें संबोधित करते हुए अपनी भड़ास निकाली। उस दिन पत्रकारों को संबोधित करते हुए रमेश बैस ने कहा था कि हेमन्त सरकार को अस्थिर करना होता तो लिफाफे पर कार्रवाई कर देता।

अरे भाई आपके चलते एक लोकप्रिय सरकार को रांची से रायपुर का दौरा करना पड़ गया। आपके दरबार में बार-बार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को हाजिरी देना पड़ गया। वो भी इसलिए कि आप बताये कि चुनाव आयोग ने क्या संदेश दिया है? उस वक्त आप ना तो हां बोल रहे थे और न ही ना, ले-देकर चुप्पी साध रखी थी, उधर आपके राजभवन के कुछ अधिकारी पत्रकारों के लिए सूत्र बनकर अखबारों को मसाला उपलब्ध करा रहे थे कि अब ये होने जा रहा हैं, अब वो होने जा रहा हैं।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को अपने वकील तक का सहारा लेना पड़ गया। कहीं सत्ता हाथ से न निकल जाये, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जनता की सेवा करने के बजाय, उनका ज्यादा समय सरकार बचाने में लगा और आप कह रहे है कि हेमन्त सरकार को अस्थिर करना होता तो लिफाफे पर कार्रवाई कर देता। अरे भाई आपने तो अस्थिर करने का कोई प्रयास छोड़ा ही नहीं, ये तो हेमन्त सोरेन की दाद देनी पड़ेगी कि आपकी सारी चालाकी को, उन्होंने बुद्धिमता व चातुर्य से पटखनी दे दी।

आप ही हैं न, जिन्होंने रायपुर में एक चैनल को एक सवाल के जवाब में एटम बम की बात की थी, ये एटम बम शब्द का प्रयोग आपने किस प्रकरण पर किया था, ये भी हम ही बतायें क्या? आप जाते-जाते इस सच को क्यों नहीं बताते कि आपके दिल्ली में उपस्थित आपके बड़े नेताओं ने समय की बारीकी को ध्यान में रखते हुए आपको वो करने नहीं दिया, जिसकी आस राज्य के भाजपाई नेता लगाये हुए थे। नहीं तो, चाईबासा में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का हाल ही में ये बयान नहीं आता कि ये राज्य सरकार अपनी कारगुजारियों से स्वयं ही समाप्त ही हो जायेगी, तो क्या रमेश बैस जी, आप झारखण्डी जनता को इतना बेवकूफ समझते हैं।

आपको तो विष्णु अग्रवाल जैसे लोग प्रिय थे, विष्णु अग्रवाल को तो जानते ही होंगे आप, कि भूल गये। जिनके यहां आप फिल्म देखने जाया करते थे और आपकी सेवा में विष्णु अग्रवाल लोट-पोट हो जाया करते थे। आपने तो वहीं किया जो आपके मन में आया, जहां मन किया, वहां आपने विधेयक को अपने पास जब तक मन किया रखे रहें और जब मन किया सरकार को लौटा दिया और ये कह दिया कि आपका ये विशेषाधिकार है। हां भाई, आपका यहीं तो विशेषाधिकार है, अपनी मर्जी का अधिकार, क्योंकि आप राज्यपाल हैं, मजाक थोड़े ही हैं।

आपने तो कभी ये भी बयान दिया था कि झारखण्ड में जो निजी विश्वविद्यालय चल रहे हैं, उनके पास आधारभूत संरचनाओं का घोर अभाव हैं, उस पर कड़ी टिप्पणी करते हुए संबंधित विश्वविद्यालयों को चला रहे लोगों को चेतावनी भी दी थी, पर क्या उसमें सुधार हुआ, नहीं न। हां, एक बात के लिए मैं आपको बधाई दूंगा कि आपने जमकर अपने पूरे परिवार के साथ झारखण्ड के पर्यटन का आनन्द लिया, अब महाराष्ट्र जा रहे हैं, वहां भी जाकर अपने पूरे परिवार के साथ महाराष्ट्र पर्यटन का आनन्द जरुर लिजियेगा, क्योंकि वो भी तो आपका विशेषाधिकार ही है और भारत में नेताओं के विशेषाधिकार पर कोई जीएसटी भी नहीं लगता।