अपनी बात

भाई-भतीजावाद के बाद अब पति-पत्नीवाद का मजा लीजिये, झारखण्ड के रामगढ़ उप-चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की नंगई देखिये

जनता को शर्म है पर राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों को शर्म कहां, कोई पत्नी अपनी विधायकी गवां अपने पति को रामगढ़ में चुनाव लड़वा रही तो कोई सांसद होकर अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा रहा और देश-राज्य की सेवा का झूठी कसमें खाकर, लोकतंत्र की जड़ों में मट्ठा डालकर, लोकतंत्र को समूल नष्ट करने पर तुला हुआ हैं।

आश्चर्य इस बात की भी है कि ऐसा करने में दोनों ओर से राष्ट्रीय दलों की सहभागिता भी कम नहीं, जबकि इन्हीं दलों के लोग समय-समय पर एक-दूसरे के खिलाफ परिवारवाद का आरोप भी लगाते हैं, पर अब तो बात पति-पत्नीवाद तक पहुंच गई हैं, जमकर जनता व कार्यकर्ताओं के बीच चांदी की जूतों का इस्तेमाल हो रहा हैं, पर जनता व कार्यकर्ताओं को भी कहां कोई फर्क पड़ रहा हैं, वे भी इस रामगढ़ के उपचुनाव में जो भी बन सकें, अपना हिस्सा लूट लेना चाहते हैं क्योंकि ये मौका भी शायद बार-बार इन्हें नहीं मिलेगा।

जरा देखिये न। कांग्रेस पार्टी ने रामगढ़ से बजरंग महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है। ये बजरंग महतो और कोई नहीं, रामगढ़ से ही अपनी विधायकी गवां चुकी ममता देवी के पति हैं, जिनकी विधायकी गवां देने से ये सीट खाली हुई हैं। मतलब साफ है कि ममता देवी के खिलाफ अदालत ने जो फैसला सुनाया, उस फैसले को कांग्रेस, ममता देवी के पति से भर देना चाहती है।

दूसरी ओर आजसू (भाजपा समर्थित) ने सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी को उम्मीदवार बनाकर रामगढ़ की सीट सदा के लिए चंद्र प्रकाश चौधरी के लिए आरक्षित करवा दिया, ताकि आनेवाले समय में चंद्र प्रकाश चौधरी के खानदान से ही हमेशा कैंडिडेट यहां मिलता रहे। कमाल है, कभी राजनीतिक दलों में भाई-भतीजावाद देखने को मिलता था, पर आज स्थितियां बिल्कुल बदल गई हैं।

सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी इज्जत को अपने-अपने राजनीतिक दिवारो की खुंटी पर टांग कर दबंगों की पत्नियों व पति पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रखा हैं, जबकि उनके दलों में राजनीतिक रुप से परिपक्व, शुचिता व सच्चरित्रता में पारगंत व्यक्तियों की शृंखला की कमी नहीं है। सवाल उठता है कि जिस दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष/प्रदेश अध्यक्ष दबंगों की पत्नियों व पतियों से ज्यादा कुछ सोच नहीं रखता हैं, वो राज्य की क्या सेवा करेगा?

भाजपा ही बतायें कि रामगढ़ में जो सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता चौधरी को समर्थन दे रही हैं और कांग्रेस बताये कि ममता देवी के पति बजरंग महतो को उम्मीदवार बनाई हैं, उसमें कौन-कौन से सुरखाब के पर लगे हुए हैं और उससे रामगढ़ की जनता को क्या मिलेगा? सिवाय इनलोगों के जीतने के बाद इनके परिवारों को मिलनेवाली राजनीतिक सुविधाओं के।

इस देश व इस राज्य का दुर्भाग्य है कि अब राजनीतिक दलों में पति-पत्नीवाद का बीजारोपण इन राष्ट्रीय दलों/क्षेत्रीय दलों ने करके पूरे देश के राजनीतिक चरित्र पर कीचड़ उछाल दिया है। होना तो यह चाहिए था कि पति-पत्नीवाद की जगह, ये लोग अपने दलों के अंदर राजनीति में रुचि रखनेवाले नवोदित युवा-चरित्रवान युवाओं को तरजीह देते, पर जो खुद नंगा हैं, उससे बेहतरी की आशा करना ही बेमानी है।

भाजपा-कांग्रेस ने तो जो बर्बादी का बीज बोया हैं और इस बर्बादी के बीजों में जो आजसू जैसी छोटी-छोटी पार्टियों ने खाद-पानी देने का काम किया है, आनेवाले दिनों में झारखण्ड में रहनेवाले लोग भारत के विकसित राज्यों में रिक्शा चलाने, कुली का काम करने, घरों में पोछा लगाने का काम ही करेंगे, क्योंकि वर्तमान से ही तो भविष्य बनता है। भूत तो खराब था ही, वर्तमान को तो ये लोग अपने पतियों/पत्नियों के माध्यम से लूट ही रहे हैं तो भविष्य क्या होगा? ये किसी से छुपा है क्या?