ब्लैकमेलर पत्रकार के खिलाफ तीन साल पहले ऑनलाइन शिकायत करने के बाद भी प्राथमिकी दर्ज नहीं, HC ने मांगी अद्यतन रिपोर्ट
तीन साल पहले एक ब्लैकमेलर पत्रकार के खिलाफ झारखण्ड उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराई, पर आज तक वो प्राथमिकी रजिस्टर्ड नहीं हुई, उस प्राथमिकी की संख्या/वर्ष क्या है? पता ही नहीं चल रहा, उक्त प्राथमिकी की जांच कहां तक पहुंची, इसका जवाब भी रांची पुलिस के पास नहीं है। 24 फरवरी को जब मामला झारखण्ड हाई कोर्ट में दुबारा खुला तो कोर्ट ने फिर से इसकी अद्यतन रिपोर्ट मांग ली।
भाई बधाई देना पड़ेगा, रांची के उस एसएसपी को जो तीन साल पहले रांची में तैनात था, जिसने इस पर ध्यान देने की कोशिश ही नहीं की, और इस मुद्दे पर सरकार की जगहंसाई हो रही हैं, सो अलग। कमाल इस बात की भी है कि उक्त ब्लैकमेलर पत्रकार को बचाने में रांची पुलिस उस पर इतना विशेष कृपा क्यों लूटा रही हैं, यह सोच कर झारखण्ड हाई कोर्ट के अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा भी हैरान है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो रांची में कई ऐसे थाने हैं, जहां पदस्थापित थानेदार ब्लैकमेलर पत्रकारों की मदद करने में जुटे रहते हैं तथा उनके इशारों पर कई ईमानदार पत्रकारों को झूठे केसों में फंसाकर उन्हें परेशान भी किया करते हैं। आश्चर्य यह भी है कि इस प्रकार के कुकृत्य करने में इन्हें शर्म भी नहीं आती। जबकि इसकी जानकारी झारखण्ड के पुलिस महकमे में बड़े-बड़े पदों पर बैठे सारे अधिकारियों को हैं, कुछ तो इस कुकृत्य में शामिल भी होते हैं।
अभय कुमार मिश्रा बताते है कि ब्लैकमेलर पत्रकार दीपक कुमार के खिलाफ उन्होंने तीन साल पहले ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया था ब्लैकमेलर पत्रकार दीपक कुमार ने स्वयं को प्रभात खबर का पत्रकार बताते हुए उन्हें फोन कर विवेकानन्द विद्यालय विवाद के बारे में जानकारी ली, उसके छह दिन बाद फिर फोन कर अंजलि सिंह का एकाउंट नंबर देकर तीन लाख रुपये उसने जमा करने को कहा था, साथ ही धमकी दी कि रुपये जमा नहीं करने पर आपत्तिजनक वीडियो यूट्यूब पर लोड कर देगा।
जब उन्होंने रुपये देने से इनकार किया तो उसने दो वीडियो लाइव झारखण्ड के नाम से जारी कर दिया, जो तथ्य से परे और असत्य था। अभय कुमार मिश्रा ने आरोप लगाया था कि यह सब काम ब्लैकमेलर पत्रकार दीपक ने उनकी और उनकी पत्नी की प्रतिष्ठा खराब करने के लिए किया था। दीपक केवल अभय कुमार मिश्रा को ही ब्लैकमेल नहीं किया, बल्कि उसने अपने संबंधियों को भी चूना लगाया हैं, ब्लेकमेल किया है, जिसके खिलाफ कई थानों में प्राथमिकी भी दर्ज है।
जब यह खबर रांची में फैली थी, तब प्रभात खबर ने इसकी जानकारी उपलब्ध कराते हुए एक समाचार भी छापा था, जिसमें उसने कहा था कि दीपक कुमार पूर्व में उसके यहां काम करता था, अब वो प्रभात खबर से जुड़ा हुआ नहीं हैं। मामला झारखण्ड उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस मामले पर पहली सुनवाई 22 फरवरी 2022 को हुई थी, जिसमें सरकार को आदेश दिया गया था कि इस संबंध में वो अपना जवाब फाइल करें और अब तक इस मुद्दे पर क्या प्राथमिकी हुई, जांच कहां तक पहुंची, अनुसंधान की वास्तविक स्थिति के बारे में अदालत को बताएं, पर जब दूसरी सुनवाई के दौरान 24 फरवरी 2023 को भी इस संबंध में सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया, तब ऐसे में अगली तारीख तीन मार्च 2023 निर्धारित कर दी गई।