CM हेमन्त को विभीषणों ने बढ़ाई परेशानी, अभी और कई वीडियो आयेंगे सामने, सरकार को अस्थिर करने की बड़ी साजिश, BJP को मिली कामयाबी, राजीव अरुण एक्का अपने पद से हटाये गये
आखिर बाबू लाल मरांडी या भाजपा नेताओं तक इस प्रकार की वीडियो पहुंचाता कौन हैं? जबकि वीडियो देखने से साफ पता लगता है कि राजीव अरुण एक्का ऐसे जगह बैठकर साइन किये जा रहे हैं, जहां उन्हें कोई दिक्कत आ ही नहीं सकती। वीडियो ऐसा है कि एक सामान्य या मूर्ख आदमी भी देखकर पता लगा सकता है कि ये वीडियो बनानेवाला, ठीक राजीव अरुण एक्का के सामने बैठकर ही वीडियो बना रहा है। वो वीडियो बनानेवाला जरुर ऐसा व्यक्ति होगा, जिसके इशारों पर राज्य के कई आईएएस/आईपीएस अधिकारी नतमस्तक होकर, वो सारे कार्य करने को तैयार होंगे, जो वो कराना चाहता होगा।
तब तो राजीव अरुण एक्का को ये भी पता होगा कि इस वीडियो को किसने बनाया है और कब बनाया है? इसका सही जवाब तो राजीव अरुण एक्का ही दे सकते हैं। हालांकि इस प्रकरण ने हेमन्त सरकार को कहीं का नहीं छोड़ा है। भाजपा वाले तो राज्यपाल के यहां गुहार लगाने की बात कर रहे हैं। अभी-अभी बाबूलाल मरांडी ने टिव्ट किया कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अगर कार्रवाई नहीं करेंगे तो उपर की एजेंसियां अपना काम करेंगी। मतलब साफ है कि केन्द्र में बैठी उनकी सरकार और उनके मातहत चल रही एजेंसियां इस मुद्दे को भी टेक ओवर करेंगी।
आज का प्रकरण यह भी साफ बता रहा है कि हेमन्त सरकार को सत्ता से हटाने के लिए बेकरार कई विभीषण मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के अगल-बगल ही खड़े हैं, मंडरा रहे हैं। जो देखना ही नहीं चाहते है कि हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री पद पर रहे। आश्चर्य यह भी है कि ये लोग हेमन्त सरकार से लाभ भी ले रहे हैं। प्रमुख पदों पर विराजमान है। आखिर इन विभीषणों को साथ में रखकर, हेमन्त कैसे आगे बढ़ेंगे?
सवाल तो यह भी है कि इस वीडियो को भाजपा तक पहुंचानेवाले व्यक्ति ने सिर्फ 36 सेकेंड के ही वीडियो क्लिप क्यों दिये? या यह भी हो सकता है कि इन विभीषणों ने भाजपा नेताओं तक और भी वीडियो क्लिप पहुंचाई हो। ताकि बचे हुए वीडियो का इस्तेमाल भाजपा वाले आगे करें? वीडियो में फाइल पर साइन कर रहे राजीव अरुण एक्का बहुत ही गंभीर दिख रहे है। उनके चेहरे पर प्रसन्नता का भाव नहीं हैं। पर उनके ठीक बगल में खड़ी महिला सामने बैठे पुरुष को देखकर जो वीडियो बना रहा हैं, मुस्कुरा रही है।
उसकी मुस्कुराहट पर ध्यान दें तो साफ लगता है कि वीडियो मैनेज करके बनाया जा रहा है। यानी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उनके प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का को फंसाने की पूरी तरह से तैयारी की गई है। इस घटना के बाद भी अगर राज्य के मुख्यमंत्री अपने विभीषणों से सतर्क नहीं होते, तो फिर याद रखें कि वे और भी कई संकटों में घिर सकते हैं। राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को यह भी सोचना चाहिए कि आखिर उनके राज्य की विजिलेंस क्या ड्यूटी कर रही है? कार्यालय की फाइल, दस्तावेज सरेआम बाहर घुम रहा है और सरकार को, विजिलेंस को पता तक नहीं।
घोर आश्चर्य। कही ऐसा तो नहीं कि राज्य की विजिलेंस निष्क्रिय हो चुकी है। आज का वीडियो बताने के लिए काफी है कि हेमन्त सरकार को अस्थिर करने के लिए, ऐसे कई वीडियो विभीषणों ने तैयार कर रखी हैं, जो समय-समय पर उजाकर कर सरकार को अस्थिर किया जायेगा। ऐसे में बचे हुए डेढ़ साल में सरकार कोई जनोपयोगी कार्य नहीं कर पायेगी, ले-देकर घोटाले-लूट के मामले में ही फंसकर बचा समय निकाल देगी और अंत में विपक्ष हेमन्त सरकार को धराशायी कर 2024 में सत्ता पर कब्जा कर लेगा।
भाजपा ने अगर इस मुद्दे को भुनाना शुरू किया है तो यह कही से भी गलत नहीं। विपक्ष का काम ही है। सत्तापक्ष के अंदर चल रही गड़बड़ियों को येन-केन-प्रकारेन जनता के समक्ष लाना। भाजपा अपना काम बखूबी कर रही है। उसकी पूरी टीम दिलोजान से लगकर लगातार प्रहार कर हेमन्त सरकार की मजबूत दीवार को ढाहने में मेहनत कर रही हैं। लेकिन जब सत्तापक्ष में ही विभीषणों की बाढ़ आ जाये, तो फिर इस सरकार को कौन बचायेगा?
हालांकि उसका सही जवाब है – जाम्बवन्त। अब ये जाम्बवन्त कौन है? जिस दिन हेमन्त सोरेन उसे ढूंढ लेंगे और मजबूत हो जायेंगे, कोई उनका किला भेद नहीं कर सकता। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यही गलती की थी। वे एक बार जमशेदपुर में खुद को रघुवर का दास बताकर अपने आप को हनुमान बताया था, पर उन्हें पता नहीं था कि हनुमान को, हनुमान बनानेवाला और कोई नहीं जाम्बवन्त था।
पर उस वक्त उन्होंने जाम्बवन्त की जगह बिभीषणों से ही काम चलाना ज्यादा जरुरी समझा था। फिलहाल झारखण्ड की राजनीति उसी जगह पहुंच गई है। देखना है, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, इस नये कांड से कैसे उबरते हैं? क्योंकि अभी झारखण्ड विधानसभा का बजट सत्र भी चल रहा हैं। विपक्ष को नया मसाला मिल गया है। प्रत्येक दिन सदन में हंगामा होगा। हमें नहीं लगता कि सदन अब चल भी पायेगा। फिर भी …
इसी बीच समाचार लिखने के क्रम में पता चला है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का को उनके पद से हटाकर पंचायती राज विभाग में योगदान करने को कहा गया हैं। मतलब साफ है कि भाजपा ने पहली जीत अर्जित कर ली और सरकार को पीछे हटना पड़ा है। इधर जनता में एक बात खुब चर्चा में है कि एक राजपत्रित अधिकारी, किसी दूसरी जगह पर फाइलों के बंडलों को लेकर, वो भी मुख्यमंत्री का प्रधान सचिव होते हुए कैसे इतना लापरवाही बरत सकता है।
लगता है कि राजीव अरुण एक्का जैसे और भी कई प्रशासनिक अधिकारी होंगे, जो ऐसे कार्य करते होंगे। जांच का विषय तो यह भी है कि कोई भी फाइल या फाइलों का बंडल कार्यालय से बाहर कही भी निकलता है तो उसकी प्रोपर इन/आउट होती हैं। पत्रांक संख्या भी दी जाती है। राजीव अरुण एक्का जहां फाइल पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, क्या उसकी इन/आउट कही भी विभागीय तौर पर दर्ज हुई है भी या नहीं। जवाब तो सरकार को देना ही पड़ेगा। सदन भी चल रहा है।