अपनी बात

बधाई प्रेमसन्स एंड बैरोलिया ट्रस्ट, आपने रांची के रिक्शाचालकों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराने के लिए मेन रोड में एक विशेष ‘दवाई दोस्त’ केन्द्र बनाया

कभी-कभी सोचता हूं कि अगर प्रेमसन्स एंड बैरोलिया ट्रस्ट रांची में नहीं होता, उनके द्वारा बड़े पैमाने पर बिना किसी स्वार्थ के चलाये जा रहे “दवाई दोस्त” जैसे दवा केन्द्र नहीं होते, तो मध्यमवर्गीय व निम्नवर्गीय परिवारों पर आज क्या बीत रही होती। यह मैं इसलिए लिख रहा हूं कि मैं स्वयं मध्यमवर्गीय परिवार से आता हूं। मुझे भी नाना प्रकार की बीमारियों ने घेर रखा है। बिना दवा के मैं जीवित भी नहीं रह सकता। इन दवाओं को खरीदने में भारी पैसे भी खर्च होते हैं। लेकिन जब दवाई दोस्त जैसे दवा केन्द्रों पर पहुंचता हूं तो मुझे उतनी परेशानी नहीं होती, जितनी परेशानी का सामना सामान्य दवा केन्द्रों पर जाने पर होती हैं।

कुछ दिन पहले पता चला कि प्रेमसन्स एंड बैरोलिया ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने रांची के रिक्शाचालकों के लिए एक विशेष दवा केन्द्र खोल रखी हैं। जो रांची के मेन रोड में स्थित है। इस दवाई दोस्त में रिक्शाचालकों को मुफ्त में दवा दी जाती हैं। बस उन्हें डाक्टरों या अस्पतालों के पर्ची उनके पास होनी चाहिए। वे अपने समयानुसार जब चाहे, तब जाकर दवा प्राप्त कर सकते हैं। हमारे विचार से रांची में काफी संख्या में रिक्शाचालक रहते हैं। स्वाभाविक हैं, कुपोषण के शिकार ये रिक्शाचालक नाना प्रकार के बीमारियों से ग्रसित भी होंगे। उन्हें चाहिए कि इस दवाई दोस्त का लाभ उठाएं और मुफ्त में दवा प्राप्त करें।

कहने को तो रांची में केन्द्र सरकार की जन-औषधि केन्द्र भी है, पर ये जन औषधि केन्द्र किस गली या किस सड़क पर मौजूद हैं। लोगों को पता ही नहीं चलता। इंटरनेट पर तो रांची में जन औषधि केन्द्र खुब दिखता है, पर सच्चाई में इंटरनेट पर दिखनेवाले इन जन औषधि केन्द्र का कहीं कोई अता-पता नहीं हैं। आज तो राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की देन जन औषधि केन्द्र की खुब प्रशंसा की है। राजभवन के जनसंपर्क विभाग ने उनके भाषण को प्रसारित किया है।

पर अच्छा रहेगा कि भाषण के साथ-साथ राज्यपाल इसकी जांच भी करा लें कि रांची में कहां-कहां जन औषधि केन्द्र सही में ढंग से काम कर रहा हैं। हमें तो जन औषधि केन्द्रों से भी अच्छा लगता है – दवाई दोस्त। जिसे दुल्हन की तरह ढुंढने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। जिधर देखिये, इसके लोग मिल जाते हैं। इनकी दुकानें हर चौक-चौराहों पर दिखती है। लोग इसका लाभ भी उठा रहे हैं। एक बार फिर प्रेमसन्स एंड बैरोलिया ट्रस्ट से जुड़े सारे महानुभावों को विद्रोही24 की ओर से ढेर सारी बधाइयां। आपने बहुत लोगों को अपनी निस्वार्थ सेवा से जिंदगी देने की कोशिश की है, जिंदगी दे रहे हैं।