पर हेमन्त सरकार ने ये नहीं बताया कि स्थानीय कौन और मीडिया जगत में ये झारनियोजन वाली प्रावधान कैसे लागू होगी?
चलिये बहुत खुशी की बात है कि राज्य सरकार ने झारखण्ड विधानसभा स्थित मुख्यमंत्री कक्ष में झारनियोजन पोर्टल का शुभारंभ कर दिया। श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग की ओर से बनाए गए http://jharniyojan.jharkhand.gov.in पोर्टल के माध्यम से सरकार नियोक्ता एवं रोजगार ढूंढ रहे अभ्यर्थियों को प्लेटफार्म देने का प्रयास भी करेगी। पोर्टल पर नियोक्ता अपने व्यवसाय एवं उससे संबंधित मानव बल के बारे में जानकारी साझा कर सकेंगे। इसके माध्यम से रोजगार के लिए अभ्यर्थी, रजिस्ट्रेशन कर आवेदन भी जमा कर सकेंगे।
सरकार ने यह भी बता दिया कि अधिनियम वैसे सभी प्रतिष्ठान जो निजी क्षेत्र के हैं एवं जहां 10 या 10 से अधिक कार्यबल कार्य कर रहे हैं, पर लागू होता है। ऐसे सभी प्रतिष्ठानों को इस पोर्टल पर अपना निबंधन करवाना है। अधिनियम के प्रभावी होने के तिथि से वैसे सभी प्रतिष्ठान जिन पर यह अधिनियम लागू होता है द्वारा यदि कोई रिक्ति निकाली जाती है तो ₹40,000 वेतन तक के पदों की नियुक्ति में 75% स्थानीय (झारखण्डवासियों) को नियुक्त करना होगा।
पर सरकार ने ये नहीं बताया कि इन नियुक्तियों में स्थानीय किसको माना जायेगा। अभी तो स्थानीयता को लेकर सदन में ही कल तक हंगामा चला है। 1932 होगा या 1985 होगा? सरकार और विपक्ष भी अभी उधेड़बुन में हैं। ऐसे में ये पोर्टल कितना कारगर होगा? इस रांची में ही बड़े-बड़े कई मीडिया हाउस हैं, जहां 40,000 से कम पानेवालों की नियुक्तियां, वो भी कान्टेक्ट पर होती हैं, उन मीडिया हाउस में स्थानीय लोगों को कहां से सरकार घुसायेगी? जहां पहले से ही संपादक व प्रबंधक अपने मालिकों के कहने पर अपने ढंग से दूसरे राज्यों से नौकरी पानेवालों का आयात करते हैं।
भाई, हेमन्त जी आपने एक्शन तो बहुत ही अच्छा लिया, पर इसका जान लीजिये रिएक्शन करने के लिए मीडिया हाउस के लोग पहले से ही तैयार है, ऐसे में आप उन मीडिया हाउस के लोगों पर नकेल कैसे कसेंगे? ऐसे भी आप इन मीडिया हाउस को आप जान भी दे देंगे तो वे आपके तो कम से कम नहीं ही होंगे, वो तो उन्हीं के होंगे, जो उन्हें उनके मन-मुताबिक विज्ञापनों से उनकी मांग भर दें।
इसलिए आपने जो झारखण्डियों को देने के लिए ये जो पोर्टल बनाया हैं, अपने अधिकारियों को जरा कह दीजियेगा कि बड़े-बड़े मीडिया हाउस भी प्रतिष्ठान में ही आते हैं, नहीं तो आपके अधिकारी इतने भोले हैं कि उन्हें वे प्रतिष्ठानों से बाहर कर देंगे और इसका रस-मलाई बड़े-बड़े मीडिया हाउस पूर्व की तरह ही खाते रहेंगे।