अपनी बात

बेचारा राहुल था, इसलिए उसकी सांसदी चल गई, अगर रघुवर दास होता तो केस ही अब तक डिसमिस हो गया था, क्या समझे? 6 दिसम्बर 2017 याद है कि भूल गये?

कमाल है, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मोदी समुदाय पर टिप्पणी की तो सूरत कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुना दी। इधर सूरत कोर्ट ने दो साल का सजा सुनाया और इधर लोकसभा सचिवालय ने उनकी सांसदी चले जाने की अधिसूचना भी जारी कर दी और भाजपा तथा भाजपा से जुड़े राजनीतिक दलों ने राहुल गांधी को मिली सजा को न्यायोचित ठहरा दिया, पर झारखण्ड में शायद लोग भूल चुके है कि ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ भाजपा के ही एक पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गंदी टिप्पणी की थी, जिसको लेकर झारखण्ड का पूरा ब्राह्मण समाज उबल पड़ा था।

गढ़वा में तो नवलेशधर दूबे ने एक केस भी दर्ज कराया था। पर सत्ता की धमक ने उस केस की ही हवा निकाल दी। गवाही में जिनका नाम था, वे भय के कारण गढ़वा कोर्ट में खुद को प्रस्तुत नहीं कर सकें और बताया जाता है कि इसी कारण केस डिसमिस हो गई। यानी रघुवर दास, राहुल गांधी की तरह सजा नहीं पा सकें।

ऐसे भी कहा जाता है कि वे सजा पायेंगे कैसे? जब सत्ता उनके अधीन हो। भला सत्ता जिनके अधीन रहती है। उनके खिलाफ किसकी हिम्मत है कि कोर्ट में जाकर गवाही दे सकें। आज ही विद्रोही24 की बात इस केस को देख रहे अधिवक्ता आशीष कुमार दूबे से हुई। उन्होंने जो पीड़ा बताई। वो सुनने लायक और समझने लायक है।

आश्चर्य यह भी है कि भाजपा के एक बड़े नेता तथा विधानसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक विरंची नारायण एक परिवार को लेकर रांची में अपने आवास पर प्रेस कांफ्रेस किया और बताया कि जिस मोदी परिवार ने कांग्रेस को अपना भूखण्ड दिया, जहां कांग्रेस मुख्यालय खड़ा हैं, उसी मोदी समुदाय के खिलाफ राहुल गांधी ने गंदी टिप्पणी कर दी।

पर क्या विरंची नारायण ऐसा ही प्रेस कांफ्रेस किसी ब्राह्मण समुदाय को लेकर करेंगे, जिसमें वो ब्राह्मण ये भी कहें कि कैसे रघुवर दास ने बजट पूर्व संगोष्ठी के दौरान गत् 6 दिसम्बर 2017 को गढ़वा में ब्राह्मणों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। जिसका वीडियो भी उस दौरान खुब वायरल हुआ था। पूरे प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय सड़क पर उतर गया था।

रांची से प्रकाशित अखबार विज्ञापन न मिलने के डर से रांची के अखबारों में खबरें नहीं छापते थे, पर जिला में जानेवाले अखबारों में वहीं खबर प्रमुखता से छापते थे। विद्रोही24 के पास इसके पुख्ता प्रमाण है। जो इस खबर में फिर से प्रकाशित किये गये हैं। क्या कहा था, रघुवर दास ने उस दौरान –

“पलामू गढ़वा लातेहार में बहुत बिचौलिया हैं। ये बिचौलिया विभिन्न राजनीतिक दलों में, कुछ दिया लिया गरीब लोगों को, वोट खरीद के ले गया यहीं हुआ न, बता भइया कहीं जात के नाम पर लिया, कि हम ब्राह्मण है, शादी ब्राह्मण में होता है, जात बेटी का, भोजपुरी में बोलता है न, हां बेटी-रोटी, वो जनता लोग को मूर्ख बनाया नेता लोग, जातिवाद के नाम पर, न संप्रदायवाद चला, विकासवाद की राजनीति अब चलेगा।”

सच्चाई यह है कि ये सब सत्ता का खेल है। जो जहां मजबूत है, अपने ढंग से अपने विरोधियों को मात दे रहा है। खुद जब फंसता है तो अपने विरोधियों पर नाना प्रकार के दबाव डालकर, उसे झूठे केस में फंसाकर, अधिकारियों पर दबाव डालकर, अपने केस को मैनेज करा लेता हैं और जब विरोधियों की बारी आती हैं तो अधिकतम सजा दिलाकर उसकी कैरियर से खेल जाता है।

ज्यादा जानकारी प्राप्त करनी है, तो भाजपा में कई ऐसे विधायक हैं, जिन पर कई अपराधिक मुकदमें चले हैं, जो सत्ता के प्रभाव में आने पर अपराधमुक्त भी घोषित हुए और अपराधी घोषित भी हुए तो उन्हें ऐसी सजा मिली, जिससे उनकी विधायकी प्रभावित न हो। पर विपक्षियों पर तो पहाड़ ही टूट पड़ा हैं। झामुमो के अमित महतो व कांग्रेस के बंधु तिर्की उसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं और भाजपा के कौन-कौन से विधायकों ने इसका फायदा उठाया। ये जानना हैं तो किसी भी भाजपा के प्रदेशस्तरीय नेताओं के छाती पर हाथ रखकर सत्य बोलने को कहिये। अगर वो सत्य बोल देगा तो समझ लीजिये, भाजपा का तीन-तेरह, नौ-अठारह होना तय है।