धर्म

दैनिक भास्कर के चक्कर में रहियेगा तो महापर्व छठ का बंटाधार सुनिश्चित है, जैसे उसने आज के दिन का सत्यानाश कर दिया

जिन-जिन छठव्रतियों अथवा छठव्रतियों के परिवार के लोगों ने दैनिक भास्कर पढ़कर आज अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया होगा। विद्रोही24.कॉम का दावा है कि उनका अर्घ्य अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्राप्त नहीं हुआ होगा, क्योंकि आज के दिन यानी 27 मार्च को सूर्यास्त का समय ही 6.02 मिनट है। ऐसे में जब सूर्य अर्घ्य के समय हमारे समक्ष, है ही नहीं, तो यह शुभ मुहूर्त अर्घ्य देने का कैसे हो सकता है? या दैनिक भास्कर ही बताये कि उसके कहने पर जिन लोगों ने संध्याकाल में 6.02 मिनट पर अर्घ्य दिया होगा, वो अर्घ्य किसने प्राप्त किया होगा?

आप आज रांची से प्रकाशित दैनिक भास्कर के पांचवे पृष्ठ को देखिये, जो धर्म समाज संस्था को समर्पित रहता है। क्या लिख रहा है – “महापर्व छठ – संध्याकाल 6.02 और कल प्रातः 5.48 बजे अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त”। आज के इस वैज्ञानिक युग में जहां राजधानी रांची में ही मौसम विभाग का कार्यालय कार्य करता है। उससे भी ये लोग पूछ लेते कि रांची में आज का सूर्यास्त का समय और कल सूर्योदय का समय क्या है और उसके आधार पर ये कह देते कि सूर्यास्त का समय ये हैं और सूर्योदय का समय ये हैं।

अब आप इसके अनुसार आप भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। निश्चय ही जो छठव्रती हैं, वे प्रथम दिन सूर्यास्त होने के पूर्व और दूसरे दिन सूर्योदय होने के बाद अर्घ्य देकर अपना व्रत संपन्न कर लेते। लेकिन यहां तो पता नहीं ये लोग किस दुनिया में रहते हैं। सच्चाई यह है कि आज के दिन रांची में सूर्यास्त का समय 6.02 है। मतलब आज छठव्रती 6.02 मिनट के पूर्व भगवान भास्कर को अर्घ्य समर्पित कर सकते थे और कल यानी दूसरे दिन सूर्योदय का समय 5.46 है यानी छठव्रती 5.46 के बाद कभी भी वे अर्घ्य दे सकते हैं।

आजकल एक और फैशन चल गया है कि आज के दिन फलां नक्षत्र, फलां योग है। इससे छठव्रती विशेष पुण्य प्राप्त करेंगे। ऐसा कुछ भी इसमें नहीं हैं। यहां केवल भगवान भास्कर को अर्घ्य देने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का ही विधान है। आज के दिन रोहिणी या मृगशिरा कब खत्म होगा या कब स्टार्ट होगा, उससे इस पर्व का कोई लेना-देना नहीं। फिर भी भ्रांतियों को जन्म देने में इन अखबारों की भूमिका को नजरदांज नहीं किया जा सकता।