झारखण्ड जागरण व बिहान भारत अखबार को समाचार की चोरी करते हुए बिरसाभूमि लाइव के अक्षय तिवारी ने रंगे हाथों पकड़ा
ये हैं रांची के अखबार। न रिपोर्टर रखते हैं और न फोटोग्राफर। सिर्फ एक पेजीनेटर रखके, उनसे कॉपी-पेस्ट करवाके, पूरा अखबार निकालते हैं और सरकार से लाखों का विज्ञापन भी उठाते हैं। आश्चर्य है कि इनका ये गोरखधंधा वर्षों से चल रहा हैं। पकड़े जाने पर ये गलथेथरी भी करते हैं, और उलटे उन्हें ही दोषी ठहराते हैं, जिनसे ये समाचारों की चोरी करते हैं।
कई बार विद्रोही24 ने भी ऐसे अखबारों को रंगे-हाथों पकड़ा हैं। जब विद्रोही24 ने एक अखबार के मालिक को रंगे-हाथों पकड़ा, तो उसने बड़े ही बेशर्मी से यह कहा कि वह इस मामले को देख रहा हैं और दोषियों को दंडित करेगा। अबे जब तू ही ये कुकर्म कर रहा हैं, तो दोष दूसरे को कैसे दे सकता है? आश्चर्य यह भी है कि वो घटिया स्तर का खुद को संपादक कहनेवाला व्यक्ति बहुत ही नीच स्तर का हैं। जब उसे सरकारी विज्ञापन नहीं मिलता है, तो वो आईपीआरडी के अधिकारियों के खिलाफ गंदी-गंदी समाचार भी छापता हैं, जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है। आश्चर्य इस बात की भी है कि ऐसे घटियास्तर के इंसान के साथ स्वयं को एक अच्छा पत्रकार बतानेवाले लोगों की दोस्ती भी खुब है।
विद्रोही24 ने तो हाल ही में राजधानी रांची से ही एक बड़े अखबार को समाचार की चोरी करते हुए पकड़ा था। जबकि इस अखबार के पास क्या नहीं हैं। कई शहरों में इसके बड़े-बड़े अखबार है। आजादी के पहले से ये अखबार निकल रहा है। जब विद्रोही24 ने इस अखबार की चोरी पकड़ी तो उसका एक बड़ा अधिकारी भी गलथेथरी करने से बाज नहीं आया। वो भी यह कहकर कि उसके पास भी उस संस्था की प्रेस विज्ञप्ति आई थी, जिसके आधार पर वो समाचार छापा, जबकि सच्चाई यह है कि जिस संस्था की खबर थी, उस संस्था ने कोई प्रेस-विज्ञप्ति नहीं जारी की थी, वो शुद्ध खबर विद्रोही24 की थी। लेकिन इन बेशर्मों को क्या कहा जाये।
अब आज की बात देखिये, जिसको लेकर यह समाचार छापी जा रही है। एक संघर्षशील पत्रकार है – अक्षय तिवारी। फिलहाल ये बिरसाभूमि डॉट कॉम नाम से एक पोर्टल चला रहे हैं। इन्होंने अपने फेसबुक में इसी प्रकार की पीड़ा लिखी हैं, वो भी प्रमाण के साथ, देखिये उन्होंने क्या लिखा हैं –
“माना की आज कॉपी पेस्ट का जमाना है। लेकिन कॉपी पेस्ट करते समय इतना तो ध्यान रहना चाहिए कि जहां से खबर उठा रहे है, वो एक बार पढ़ ले और कुछ बदलाव कर दे। आज रांची से प्रकाशित दो अखबारों ने मेरे वेबसाइट birsabhumi.com से खबरें कॉपी पेस्ट की। उसका नतीजा यह है कि अखबार में भी मेरे वेबसाइट का नाम छप गया है।
खबर के साथ हेडिंग भी सेम है। एक अखबार ने तो पूरा तीन नंबर पेज ही मेरे पोर्टल से खबर कॉपी पेस्ट कर भर लिया। फोटो भी चुरा लिया। कहते है कि नक़ल के लिए अक्ल का भी होना जरूरी है। अखबार चलाने वाले न तो रिपोर्टर रखते है और न ही फोटोग्राफर। सिर्फ सरकार से हर माह लाखों का विज्ञापन लेंगे और पूरा माल अपने पॉकेट में।”
आखिर वे अखबार कौन है, जिन्होने इस प्रकार की गुस्ताखी की है। बिरसाभूमि डॉट कॉम की खबर को चुराया है। जिसके प्रमाण भी है। उन दोनों में से एक अखबार का नाम है – बिहान भारत और दूसरे का नाम है – झारखण्ड जागरण। इन दोनों अखबारों ने हुबहू बिरसा भूमि की खबर को अपने यहां छाप दिया, जिससे उसकी चोरी पकड़ी गई। चोरी करने के क्रम में इन अखबारों में बिरसाभूमि लाइव भी छप गया। आप स्वयं इन अखबारों के कुकृत्यों को देख सकते हैं।
पत्रकारिता पेशे से जुड़े लोगों का कहना है कि इस प्रकार से तो जो चालाक लोग हैं, वे तो अपनी चालाकी से सरकारी विज्ञापन प्राप्त कर अपनी तिजोरी भर लेंगे, पर उनका क्या होगा? जिनकी ईमानदारी ही पूंजी है। सवाल तो सबसे बड़ा इसी बात का है। इस प्रकार की पत्रकारिता होगी तो कोई रिपोर्टर रखेगा ही नहीं, ज्यादातर लोग इसी प्रकार से अखबार निकालेंगे।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग एवं सरकार को चूना लगायेंगे और स्वयं को पत्रकारिता का मठाधीश बताकर कुकृत्य भी करते रहेंगे। इधर अक्षय तिवारी ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि ये तो एक प्रकार का क्राइम है। हम काम करें, हम मेहनत करें और कोई मेरी मेहनत को चुराकर मठाधीशी करें, तो ये तो अन्याय है, हम कम से कम ये सब नहीं चलने देंगे।