शांतिपूर्ण रहा झारखण्ड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन का मुख्यमंत्री आवास घेराव, कम संख्या के बावजूद अपनी बात रखने में सफल रहे छात्र
झारखण्ड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा आयोजित मुख्यमंत्री आवास घेराव कार्यक्रम छिटपुट झड़प व हंगामे के बीच आज संपन्न हो गया। आंदोलनकारी छात्र गुस्से में थे। लेकिन उनके आंदोलन से यह भी दिख रहा था कि वे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से उतने गुस्से में नहीं थे, जितना कि उनके द्वारा दावा किया जा रहा था। आज मुख्यमंत्री आवास घेराव में उनकी उपस्थिति भी उतनी नहीं थी, पर जितनी भी थी, वो बताने के लिए काफी थी कि कम से कम वे 60-40 वाली मुद्दे पर मुखर थे। वे इसे किसी भी हालत में स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।
झारखण्ड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन का यह आंदोलन तीन चक्रों में हैं। आज इनका मुख्यमंत्री आवास घेराव था तो कल यानी 18 को मशाल जुलूस और 19 को झारखण्ड बंद का भी इन्होंने ऐलान किया है। आज इनके मुख्यमंत्री आवास घेराव को देखते हुए स्थानीय पुलिस प्रशासन ने विभिन्न स्थानों पर अच्छी बैरिकेडिंग की थी। आज के आंदोलन में दर्जनों छात्र गिरफ्तार भी हुए, जबकि एक का सिर फट गया। ये सिर कैसे फटा है? इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है। घायल छात्र का इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है।
इधर मुख्यमंत्री आवास से भी स्थानीय प्रशासन को शायद हिदायत दी गई थी कि आंदोलनकारी छात्रों को समझा-बुझा कर ही आंदोलन को समाप्त कराने का प्रयास किया जाय, उसका प्रभाव भी दिखा जब आंदोलनकारी छात्रों ने आंदोलन के समाप्त करने के पूर्व आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए इस बात को स्वीकार किया कि चूंकि अंततः सरकार द्वारा ही हमें अपनी मांगे मिलनी हैं। इसलिए वे यहां टकराव करने नहीं, बल्कि वे अपनी मांगे रखने आये हैं।
हालांकि छात्रों का यह आंदोलन पूर्णत गैर-राजनीतिक था, फिर भी इस आंदोलन में भाजपा ने राजनीति घूसेड़ ही दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद दीपक प्रकाश ने इस आंदोलन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार राज्य के बेरोजगार नौजवानों के साथ अपराधियों, देशद्रोहियों जैसा व्यवहार कर रही है। अपने हक और अधिकार की मांग करते हुए बेरोजगार छात्रों पर हेमंत सरकार लाठियां बरसा रही। गिरफ्तार कर उन्हे जेल की धौंस दिखा रही।
दीपक प्रकाश ने आगे कहा कि राज्य के बेरोजगार नौजवान जो पिछले साढ़े तीन वर्षों से नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे उनका धैर्य अब समाप्त हो चुका है। युवा वही मांग रहे जिसकी हेमंत सरकार ने चुनाव पूर्व वादा किया था। लेकिन यह सरकार वादा पूरी करने के बदले युवाओं को कभी भाषा के नाम पर, कभी 1932 के नाम पर तो कभी 60:40 की अमान्य नियोजन नीति के नाम पर बरगला रही है।