रघुवर दास का बाबूलाल से छत्तीस का आकड़ा भाजपा को कहीं का नहीं छोड़ेगा, 2024 में भी कोल्हान से साफ हो जायेगी भाजपा
रघुवर दास भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है। लेकिन राज्य के भाजपा नेताओं से इनकी पटती तक नहीं और जब बात बाबूलाल मरांडी की हो तो लगता है कि इनका गुस्सा सातवें आसमान तक पहुंच जाता हैं, ऐसे में आनेवाले समय में भाजपा का क्या हाल होगा, आसानी से समझा जा सकता है। एक सामान्य कार्यकर्ता किसी से इस प्रकार की घृणा करता है तो बात समझ में आती है, कि चलो वो सामान्य कार्यकर्ता है, उससे ज्यादा क्या उम्मीद लगाई जा सकती है। लेकिन एक शीर्षस्थ नेता, मुख्यमंत्री पद को सुशोभित कर चुका नेता के मन में इस प्रकार के भाव हो, तो पार्टी की दुर्गति साफ दिखती नजर आती है।
रघुवर दास का सबसे बड़ा दुर्भाग्य कहिये या उनकी गलत सोच। वे अपने आगे किसी को नहीं लगाते। उन्हें लगता है कि दुनिया की सारी अच्छी सोच, ईश्वर ने उनके दिल में फिट कर दी हैं और बाकी जो हैं, सो उनके गुलाम बनने के लिए इस धराधाम में अवतरित हुए हैं। संयोग भी ऐसा है कि उन्हें ऐसे लोग ही एक-एक कर मिलते गये और जब मुख्यमंत्री बने तो ऐसे लोगों की एक मंडली ने उन्हें ऐसा घेरा कि उन पर एक लोकोक्ति पूरी तरह फिट बैठती है। वो लोकोक्ति है – “पंडित जी अपने तो गये ही, जजमान को भी लेकर चलते बने।”
याद करिये 2019 का झारखण्ड विधानसभा चुनाव, इन्हीं हरकतो के कारण वे खुद भी हारे और पार्टी को भी भारी हार का सामना करा दिया, जबकि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह का जितना ध्यान झारखण्ड पर रहता था, उतना ध्यान किसी प्रदेश या राज्य में नहीं था। यहां तक की एक से एक राष्ट्रीय स्तर की योजनाएं झारखण्ड से प्रारंभ करवाई पर अमित शाह और नरेन्द्र मोदी के इस सारी महती योजनाओं पर रघुवर दास ने पानी फेर दी और झारखण्ड में भाजपा की नाक कटवा दी।
अब नया मामला देखिये। भाजपा विधायक दल के नेता व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी कल-परसों जमशेदपुर में थे। जमशेदपुर में बाबूलाल मरांडी ने हिन्दू महापंचायत कार्यक्रम में भाग लिया। कई भाजपा नेता उस कार्यक्रम में भाग लिये। इस कार्यक्रम में 2019 में रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्व से धूल चटानेवाले सरयू राय ने भी भाग लिया।
ये वहीं सरयू राय हैं, जिन्होंने भले ही अपनी अलग पार्टी बना ली हो, पर इनके दिल में आज भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही धड़कता है। आज भी कही भाजपा कार्यकर्ताओं व संघ के लोगों पर जूल्म होता हैं तो भले ही भाजपा के नेता बाद में पहुंचे, पर सरयू राय पहले पहुंचकर उन्हें ढांढ़स जरुर बंधा आते हैं।
जमशेदपुर में कल आयोजित हिन्दू महापंचायत में बाबूलाल मरांडी और सरयू राय प्रमुख रुप से भाग लिये। साथ ही इस कार्यक्रम में भाजपा नेता दिनेशानन्द गोस्वामी ने भी भाग लिया। पर रघुवर दास और इनके खासमखास जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो ने इस कार्यक्रम से दूरियां बनाई। यहां तक कि जेल में बंद अभय सिंह से मिलना भी जरुरी नहीं समझा। जबकि भाजपा नेता अभय सिंह से मिलने में सबसे पहले सरयू राय ने रुचि दिखाई। बाद में भाजपा नेता व केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, फिर बाबू लाल मरांडी भी जेल में मिले। लेकिन रघुवर दास ने अभय सिंह से जेल में मिलना जरुरी नहीं समझा।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो जमशेदपुर में सरयू राय और अर्जुन मुंडा की चलती है। चलने को तो रघुवर दास की भी चलती है। लेकिन रघुवर दास की इस प्रकार की हरकत ने भाजपा को यहां बहुत ही कमजोर बना दिया हैं। अगर यही हाल रहा तो इसका फायदा भाजपा लेने से रही। क्योंकि लोकोक्ति है – घर फूंटे गंवार लूटे। भाजपा में फूट होगा तो निश्चय ही इसका फायदा अन्य पार्टियों को मिलेगा। वह भी बिना हर्रे-फिटकरी के।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो रघुवर दास राजनीतिक रुप से पूर्णतः अनफिट है। वे अगर मुख्यमंत्री बने भी हैं तो यह केवल संयोग है, न कि उनकी मेहनत, रंग लाई है। दरअसल, 2014 एक ऐसा समय था कि अर्जुन मुंडा की उस वक्त नरेन्द्र मोदी से दूरियां बन गई थी। फिर वे विधानसभा चुनाव में हार भी चुके थे। ऐसे में अल्लाह मेहरबान वाली बात रघुवर दास के साथ चरितार्थ हो गई। भाजपा के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। ले-देकर रघुवर दास मुख्यमंत्री बन गये।
लेकिन कार्यकर्ताओं व जनता के बीच इनकी पकड़ न के बराबर थी जो बाद में भी 2019 चुनाव के दौरान परिलक्षित हो गई। अगर यही हाल, अब भी बरकरार रहा तो इस बार लोकसभा में भाजपा पूरे इलाके से साफ हो जायेगी। इसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं और इसका कोई जिम्मेवार होगा तो रघुवर दास ही होंगे, क्योंकि अभी भी इनमें कैसे दुसरे को सम्मान दिया जाता हैं, वो भाव का बीजारोपण इनके मन में नहीं हुआ है और न देखने को मिल रहा है।