राजनीति

मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर रहे आंदोलनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता – विनोद सिंह

मुख्यमंत्री आवास का घेराव कर रहे आंदोलनकारी छात्रों पर लाठीचार्ज को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आंदोलनकारी छात्रों से बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। उपरोक्त बातें अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने कही। उन्होंने आगे कहा की हम सभी इस बात से अवगत हैं कि भाजपा द्वारा खतियान आधारित स्थानीयता और आरक्षण के मामले में विश्वासघात से झारखंडी छात्र-युवाओं के हितों को गहरा धक्का लगा है।

बिहार में स्थानीयता आधारित नियोजन को देखते हुए हेमंत सरकार को झारखंड राज्य के अंदर ही इसका हल निकालने के लिए पुनः नयी नीति की ओर बिना देर किए बढ़ना चाहिए जिसमें भाजपा एवं अमित शाह के लिए दोहरे खेल की गुंजाइश ना हो। झारखंड विधानसभा से पारित 1932 खतियान नीति और आरक्षण को झारखंड विधानसभा ने पारित कर केंद्र से अनुकूल कार्रवाई का आग्रह किया था।

लेकिन भाजपा ने दोहरी चाल के जरिए झारखंडियों के साथ धोखाधड़ी की। एक ओर भाजपा ने इसे न्यायिक विवाद में फंसा दिया। दूसरी ओर गृहमंत्री अमित शाह के जरिए खुल्लमखुल्ला दबाव डलवाकर कर राजभवन से पारित आरक्षण नीति को वापस करवा दिया। भाजपा के इस दोहरे खेल को समझें बगैर झारखंडी छात्र-युवा अपने अधिकारों को हासिल नहीं कर सकते हैं।

हेमंत सरकार से मेरा अनुरोध है कि स्थानीयता आधारित नियोजन और आरक्षण के पक्ष में खड़ा होकर छात्र-युवाओं के साथ संवाद शुरू करने के साथ-साथ केंद्र पर दबाव डालने के लिए संयुक्त कार्यक्रम की ओर बढ़ा जाए। झारखंड के एक ज़िम्मेदार जनप्रतिनिधि की हैसियत से उन्होंने यह भी मांग की है कि केंद्रीय प्रतिष्ठानों एवं उद्योगों में भी समीक्षा कर स्थानीयता और सामाजिक स्थिति के अनुसार झारखंडी युवाओं का नियोजन शुरू किया जाए।