अपनी बात

देखों बिहारवासियों, जिस पारस अस्पताल ने एक पत्रकार की लाश को घंटो बंधक बनाये रखा, उसी अस्पताल के मालिक के यहां CM नीतीश ईद की खुशियां मना रहा था

यह सच्चाई है बिहारवासियों। आप स्वयं देखें। जिस पारस अस्पताल ने एक वरिष्ठ पत्रकार सुनील सौरभ की लाश को घंटों बंधक बनाये रखा। उसी अस्पताल के मालिक के यहां बिहार का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ईद की खुशियां मना रहा था। ये वहीं सुनील सौरभ है। जिन्होंने बिहार के लिए पत्रकारिता के माध्यम से अपने पूरे जीवन को खपा दिया।

लेकिन जब इनकी तबियत खराब हुई और इनके परिवार के सदस्यों ने, सुनील सौरभ की पत्नी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई तो नीतीश कुमार ने सुनील सौरभ की असहाय पत्नी को मदद तो दूर, उसके आवेदन पर नजर तक नहीं डाली और आज तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हद कर डाली।

सुनील सौरभ का शव सम्मान पूर्वक उसके परिवार को मिल जाये, इसके लिए भी पहल नहीं की। जबकि जिसके अस्पताल में आठ घंटे तक सुनील सौरभ का शव पड़ा रहा, उसी अस्पताल के मालिक के यहां ये महाशय ईद सेलीब्रेट कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार सुनील सौरभ का आज ही सुबह पटना के पारस हॉस्पिटल में इलाज के क्रम में निधन हो गया। पिछले कई दिनों से वे पारस अस्पताल में भर्ती थे।

छह लाख से ज्यादा की राशि हॉस्पिटल में जमा की गई थी। मौत के बाद लगभग आठ घंटे तक हॉस्पिटल प्रबंधन उनकी लाश उनके परिजनों को नहीं सौंपा था। छह लाख देने के बाद भी इनका पार्थिव शरीर अस्पताल नहीं दे रहा था और साढ़े पांच लाख की माँग हो रही थी। परिजन असहाय बने हुए थे। उन्हें बचाने का तो सौभाग्य उनके परिवार को नहीं मिल पाया। कम से कम उनके मरणोपरांत ही उनका मृत शरीर उनके परिवार को दिलवाने का संभवतः प्रयास करने का भी प्रयास इस सरकार ने नहीं किया।

जब आख़िरी उम्मीद लेकर उनके परिवार के लोगों ने पटना के पत्रकार मित्रों, समाजसेवियों, जागरूक नागरिकों से अपील की, कि वे आगे आकर मृत पत्रकार के परिजनों के मदद को आगे आये, तब जाकर उसी अस्पताल के संजय श्रीवास्तव यूनिट हेड से किसी प्रकार इनके परिवार को मदद मिली, तब जाकर शव इनके परिवार को मिला हैं, फिलहाल सुनील सौरभ का शव अंतिम संस्कार के लिए उनके परिवार के लोग अपने गांव बख्तियारपुर ले गये हैं।