धुर्वा थाना व 41ए की नोटस, सच कौन बोल रहा है, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश या विधायक समरी लाल?
कमाल है भाजपा विधायक समरीलाल फेसबुक के माध्यम से कह रहे हैं कि ‘हेमन्त सरकार के खिलाफ 11 अप्रैल को सचिवालय घेराव आंदोलन में पुलिस द्वारा भेजे गये नोटिस 41ए का जवाब देने धुर्वा थाना पहुंचा।’ लेकिन इसके उलट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश क्या कह रहे हैं, वो भी देख लिया जाये, दीपक प्रकाश का कहना है कि ‘आज अपनी गिरफ्तारी देने के लिए रांची के धुर्वा थाना गया लेकिन न हेमन्त सरकार में और न उनके फर्जी मुकदमे में दम था कि हमें गिरफ्तार करें।’
इधर इसी मामले में झारखण्ड हाई कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अभय मिश्रा चुटकी लेते हुए कहते है कि सच कुछ लोग ही बोलते हैं। जरा इसी घटना का दो रुप देखिये। एक ने लिखा गिरफ्तारी देने आया था। हेमन्त सरकार में दम नहीं की गिरफ्तार कर लें। जबकि दूसरे ने लिखा कि 41ए का जवाब देने धुर्वा थाने पहुंचा था। अब जिन्होंने लिखा कि गिरफ्तारी देने आया था, उन्हें यह बात कौन बताएं कि धारा 41ए के उपरांत ही गिरफ्तारी होती है या नहीं भी होती है। यही कानून भी है।
इधर भाजपा द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति क्या कह रहा है? भाजपा की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, प्रदेश भाजपा द्वारा विगत 11 अप्रैल को हेमंत हटाओ, झारखंड बचाओ अभियान के तहत सचिवालय घेराव कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस प्रदर्शन में पूरे प्रदेश के गांव-गांव से न सिर्फ भाजपा कार्यकर्ता बल्कि आम जनता भी शामिल हुई।
राज्य सरकार ने लोकतांत्रिक आंदोलनकारियों पर लाठियां बरसाएं, आंसू गैस के गोले दागे और संगीन अपराध की धाराएं लगाकर नेताओं-कार्यकर्ताओं पर मुकदमे भी दर्ज किए। मुकदमों में आरोपी बनाए गए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व सांसद दीपक प्रकाश, विधायक सीपी सिंह, नवीन जायसवाल, समरी लाल व प्रदेश सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक, आज 41ए की नोटिस पर अपना पक्ष रखने के लिए धुर्वा थाना पहुंचे।
प्रदेश अध्यक्ष व सांसद दीपक प्रकाश का कहना है कि हेमंत सरकार अपने खिलाफ बोलने वालों के साथ दमन का हर तरीका अपना रही है। इस सरकार ने हिटलर शाही, तानाशाही की पराकाष्ठा कर दी। श्री प्रकाश ने कहा यह सरकार अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए अत्याचार का नया-नया तरीका अपना रही है। लोकतंत्र में सशक्त विपक्ष को लोकतांत्रिक तरीके से जनभावनाओं को उजागर करने, सरकार की विफलताओं, नाकामियों पर बोलने का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन सरकार केवल अपनी जिद्द और हठधर्मिता के साथ शासन चलाना चाहती है। इनके ही वायदे इन्हे याद कराने पर बेरोजगार युवा, बेकसूर महिलाएं, आदिवासी, दलित, लाचार किसान, मजदूर सभी हेमंत सरकार की नज़रों में अपराधी बन जाते हैं।
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार की नजरों में खान खनिज की लूट करना, दलित, आदिवासियों की जमीन लूटना, पंचायत से मंत्रालय तक भ्रष्टाचार करना, वोट के लिए तुष्टिकरण करना अपराध नहीं है लेकिन जो इसके खिलाफ लोकतांत्रिक विरोध करेगा वो अपराध की श्रेणी में है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य हित में जनभावनाओं के अनुरूप आंदोलन करना अपराध है तो भाजपा यह अपराध बार बार करती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार यदि इसके लिए अपराधी मानती है तो हमें गिरफ्तार करना चाहिए। उनका यह भी कहना था कि आगामी चुनाव में जनता हेमंत सरकार को करारा जवाब देगी, पर वे यह भूल गये कि आगामी चुनाव में भाजपा को भी अपना पक्ष रखना होगा।
जनता इनसे भी पूछेगी कि 11 अप्रैल को आपने तो सचिवालय घेराव की बात कही थी, पर आपने सचिवालय घेराव की जगह गोलचक्कर पर पत्थरबाजी क्यों की? आखिर इस पत्थरबाजी से जिस पत्रकार के सिर में नौ टांके लगे, उसके घर पर आपकी पार्टी की ओर से कौन सा नेता उनके घर गया? क्या सरकार के खिलाफ आंदोलन करने के संवैधानिक हक में पत्थरबाजी और बोतलबाजी भी शामिल है? जनता तो यह भी पूछेगी कि धुर्वा थाने में 41ए का जवाब जब आपलोगों से मांगा जाता हैं तो समरी लाल और दीपक प्रकाश के बयान में इतना अंतर क्यों आ जाता है?