अपनी बात

जब आपके घर पर गाज गिरेगी तो कोई कांग्रेसी-वामपंथी या अन्य दल के नेता आपको बचाने नहीं आयेंगे, इसलिए बिना किसी किन्तु-परन्तु के ‘द केरल स्टोरी’ खुद भी देखिये, अपने बच्चों को दिखाइये

जब आपके घर पर गाज गिरेगी तो कोई कांग्रेसी-वामपंथी या अन्य दल के नेता आपको बचाने नहीं आयेंगे, इसलिए बिना किसी किन्तु-परन्तु के ‘द केरल स्टोरी’ खुद भी देखिये और बच्चों को दिखाइये कि वर्तमान में कितना बड़ा खतरा इस देश पर आ चुका है। पहली बार कोई फिल्म निर्माता – निर्देशक ने इतना बड़ा खतरा खुद मोल लेकर पूरे देश को बचाने के उद्देश्य से यह फिल्म लेकर आपके पास आया हैं।

अगर आज भी आप नहीं संभलेंगे तो आप जान लीजिये कि खतरा केवल केरल में नहीं, बल्कि आपके आस-पास ही मंडरा रहा है और जब यह आपके घर में खतरा घुसेगा तो आप कुछ नहीं कर पायेंगे। उस वक्त मैं फिर कह रहा हूं कि कोई कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी-राहुल गांधी, वामपंथियों का समूह, कोई लालू यादव या अखिलेश यादव या ममता बनर्जी आपको बचाने नहीं आयेंगे।

क्योकि जो केरल के परिवार इन हादसों से जूझ रहे हैं, उनकी मदद को आज तक कोई राजनीतिक दल नहीं आया। इसलिए उन्हें ही पता है कि उनके उपर आज क्या गुजर रही है? भारत के नेता और पुलिस तो जब जगेंगे तो उनके पास बहुत सारे विकल्प होंगे, वे उस विकल्प को अपनायेंगे चाहे वे धर्म-परिवर्तन कर लेंगे या बेपनाह दौलत के आगोश में दूसरे देश में खिसक लेंगे पर आप?

आखिर द केरल स्टोरी में है क्या?

द केरल स्टोरी में केरल में घट रही घटनाओं को दिखाया गया है कि कैसे वहां हिन्दू या गैर-इस्लामिक बेटियों को उनका ब्रेनवॉश कर उन्हें धर्मांतरित कराकर इस्लामिक चरमपंथियों का गुट उन्हें आंतकी बनाकर, देश व समाज के लिए खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। उन्हें विदेश भेजकर उन्हें आतंकी गतिविधियों में शामिल कर रहे हैं।

उन लड़कियों का जीना हराम कर दे रहे हैं, जो सामान्य जीवन जीना चाहती थी, उनके साथ दिन-रात शारीरिक संबंध स्थापित कर रहे हैं, तथा उनकी पूरी जिंदगी नरक बना कर रख दी हैं वो भी इस्लाम के नाम पर। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे धर्मांतरण करवाकर सिर्फ केरल में 32 हजार से ज्यादा लड़कियां गायब कर दी गई? कैसे उन्हें आतंकी संगठन आईएसआईएस का हिस्सा बनाया जा रहा है?

इस फिल्म के निर्माता सुदीप्तो सेन ने तो मीडिया को दिये साक्षात्कार में साफ कहा है कि उन्होंने इस संबंध में केरल पुलिस से सूचना के अधिकार के तहत जब सूचनाएं मांगी तो सूचनाएं उपलब्ध तक नहीं कराई गई। निर्माता विपुल अमृतपाल के अनुसार ये मामला बहुत ही गंभीर है। फिल्म में एक लड़की साफ कहती है कि केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यहीं हाल रहा तो अगले 20 साल में केरल एक इस्लामिक स्टेट बन जायेगा।

हालांकि जब से ये फिल्म भारत के विभिन्न छविगृहों में लगी हैं, इसका प्रचार-प्रसार बहुत ही कम हुआ हैं, पर ये फिल्म लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में लगी हैं, जिस कारण लोग बड़ी संख्या में अपने घरों से निकलकर सिनेमा घरों तक पहुंच रहे हैं। हालांकि इस फिल्म को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन और कांग्रेस के नेता शशि थरुर ने इस फिल्म पर ही सवाल खड़ा कर दिये। इसे केरल को बदनाम करनेवाला प्रोपेगंडा फिल्म करार दिया।

लेकिन उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि कैसे 2016-18 में केरल की चार महिलाएं अपने पति के साथ आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान पहुंच गई थी, जिसमें इनके पति हमले में मारे गये, पति के मारे जाने के बाद इन लड़कियों ने खुद को आत्मसमर्पण कर दिया था। फिल्म के अंत में, जिन लड़कियों के उपर ये फिल्म बनाई गई है, उसके परिवारों के इंटरव्यू भी दिखाये गये हैं, पर जिन्होंने इंटरव्यू देने से मना किया, उनका सम्मान भी किया गया है, इसलिए ये नेता कुछ भी कहें, आप द केरल स्टोरी की घटनाओं पर विश्वास करें, क्योंकि इसमें झूठ कुछ भी नहीं।

हालांकि झारखण्ड में कांग्रेस पार्टी का एक मुस्लिम नेता इस फिल्म को झारखण्ड में बैन करने की मांग कर रहा हैं, उसका यही मांग इस बात को पुष्ट कर रहा है कि ये फिल्म गैर-मुस्लिमों को देखना कितना जरुरी है? अगर ये फिल्म झारखण्ड में बैन भी होती हैं, हालांकि इसकी संभावना कम हैं, फिर भी इस फिल्म को देखने के लिए दिल्ली या मुंबई भी जाना पड़े तो जाइये।

लेकिन यह फिल्म देखिये और अपने बेटियों को आतंकी संगठनों का खुराक बनने से रोकिये, क्योकि अपनी बेटियों को आप खुद ही बचा सकते हैं, कोई राजनीतिक पार्टी या पुलिस आपकी बेटी को नहीं बचा सकती और न बचा पायेंगी, एक बात और अपनी बेटे और बेटियों को अपने धर्म के मूल स्वरुप से भी परिचय कराइये, अपनी संस्कृति से भी परिचय कराइये, क्योंकि भारत को बचाना है तो भारत के मिट्टी से निकले धर्म के प्रति आपको रुचि दिखानी ही होगी, नहीं तो वो दिन दूर नहीं कि हर घर में आतंकी होंगे और आप ही खुद उसके शिकार होंगे।