अपनी बात

RPC अध्यक्ष संजय मिश्र ने झारखण्ड के DGP को लिखा पत्र, पुलिस द्वारा चलाये जा रहे कथित फर्जी पत्रकारों को चिह्नित करने के अभियान को लेकर उठाए सवाल

आखिरकार वहीं हुआ जो होना था। रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्र ने राज्य के पुलिस महानिदेशक अजय कुमार सिंह को एक पत्र लिख डाला है। पत्र में, राज्य में पुलिस द्वारा चलाये जा रहे कथित फर्जी पत्रकारों को चिह्नित करने के अभियान को लेकर सवाल उठाए गए हैं। संजय मिश्र ने चार बिन्दुओं में अपनी सारी बातें स्पष्ट कर दी हैं।

पत्र में संजय मिश्र ने यह स्वीकार किया है कि राज्य मे फर्जी पत्रकारों की बाढ़ सी आ गई हैं, पर उन्होंने यह भी लिखा है कि जो फर्जी पत्रकारों को पहचानने का मापदंड पुलिस ने तय किये हैं, वो सही नहीं हैं। उसमें खामियां ही खामियां हैं, जो लोकतंत्र के लिए घातक है। मतलब अब गेंद पुलिस के पाले में पहुंच गई है, अब इस पर पुलिस मुख्यालय क्या रुख अपनाता हैं?

इसका उत्तर भविष्य के गर्भ में हैं। इधर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबूलाल मरांडी ने भी डंके की चोट पर, इस मुद्दे पर राज्य सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया हैं। अंत में रांची प्रेस क्लब के अध्यक्ष संजय मिश्र ने अपने पत्र में क्या लिखा हैं, वो आपको भी जानना जरुरी है। पत्र इस प्रकार है…

श्री अजय कुमार सिंह,

पुलिस महानिदेशक,

झारखंड।

विषय – पुलिस मुख्यालय के एक पत्र के आधार पर राज्य के विभिन्न जिलों में फर्जी पत्रकार चिह्नित करने के अभियान के संबंध में।

महाशय,

पुलिस मुख्यालय की ओर से दिनांक 18 अप्रैल 2023 के पत्र के आलोक में राज्य के विभिन्न जिलों में पुलिस की ओर से कथित तौर पर फर्जी पत्रकारों को चिह्नित करने का अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का आधार यह बनाया जा रहा है कि जो पत्रकार या संस्थान सूचना व जनसंपर्क विभाग की ओर से सूचीबद्ध नहीं हैं, वे फर्जी है।

पत्र में यह भी बताया गया है कि फर्जी पत्रकारों के कारण पुलिस को विधि व्यवस्था में संधारण में परेशानी होती है और कथित तौर पर फर्जी पत्रकार पुलिस पर दबाव बनाते हैं। इस पत्र के आलोक में सही मायने में पत्रकारिता करने वाले बहुत सारे पत्रकारों को लेकर शंका की स्थिति उत्पन्न हुई है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

महाशय, पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी इस पत्र के संबंध में रांची प्रेस क्लब निम्नलिखित बिंदुओं पर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता है।

  1. रांची प्रेस क्लब झारखंड पुलिस की इस चिंता के साथ है कि पत्रकारों के वेश में बहुत सारे लोग अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। इन लोगों का पत्रकारिता से कोई सरोकार नहीं है। वस्तुत: ये लोग फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम पर रील बनाने वाले हैं और खुद को पत्रकार बताते हैं। इनकी पहचान करके कार्रवाई होनी चाहिए। मगर, पहचान के लिए झारखंड पुलिस ने जो आधार तय किया है, वह आधार सही नहीं है। कारण यह है कि सूचना व जनसंपर्क विभाग, झारखंड की ओर से दो प्रकार की सूची तैयारी की जाती है। पहली सूची मान्यता प्राप्त पत्रकारों की होती है। इस सूची के आधार पर राज्य सरकार अपने कार्यक्रमों के लिए पत्रकारों को आमंत्रित करने या सूचनाओं को प्रेषित करने का काम करती है। दूसरी सूची विज्ञापन के लिए संस्थानों को सूचीबद्ध किया जाता है। सूची में शामिल संस्थानों को राज्य सरकार विज्ञापन देती है।
  2. राज्य के बहुत सारे पत्रकार राज्य सरकार के सूचना व जनसंपर्क विभाग में मान्यता के लिए आवेदन ही नहीं देते हैं। इसलिए उनका नाम विभाग की ओर से जारी मान्यता सूची में शामिल नहीं होता है। इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि वे फर्जी पत्रकार हैं। इसी तरह बहुत सारे संस्थान विज्ञापन के लिए सूचना व जनसंपर्क विभाग में खुद को सूचीबद्ध नहीं करते हैं। इस कारण उनके संस्थान का नाम सूची में शामिल नहीं होता है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि सूची में शामिल नहीं होने वाले संस्थान फर्जी हैं।
  3. डिजिटल मीडिया के लिए भारत सरकार ने सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने एक निर्देशिका तैयार की है। इस निर्देशिका के मुताबिक डिजिटल मीडिया के पत्रकार या उनके संस्थान की सूची तैयार होती है। यह सूची तैयार करने की जिम्मेवारी भी पत्रकारों के संगठन के पास है। ये संगठन हीं प्रत्येक तीन माह में मंत्रालय को एक अद्यतन सूची उपलब्ध कराता है।
  4. डिजिटल मीडिया के नियमन को लेकर पुलिस मुख्यालय की चिंता को रांची प्रेस क्लब कहीं से भी अनुचित नहीं मानता है, लेकिन जिस तरह से पत्र के आलोक में सूचना व जनसंपर्क विभाग की सूची को लेकर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की ओर से अति सक्रियता दिखायी जा रही है, वह हम सभी मीडिया कर्मियों के लिए चिंतनीय है।

महोदय, कृपया इस पत्र पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का कष्ट करेंगे ताकि भारतीय संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हो। हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि लोकतांत्रिक मूल्यों के पक्ष में खड़े हो। स्वतंत्र लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निर्भीक मीडिया का होना आवश्यक है। सादर।

संजय मिश्र,

अध्यक्ष

रांची प्रेस क्लब