केन्द्र सरकार के सहयोग से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के लिये आधुनिक व पारम्परिक सुविधाओं से युक्त योगदा सत्संग शैक्षणिक परिसर का हुआ उद्घाटन
केन्द्रीय मन्त्री, श्रम और रोजगार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, भूपेन्द्र यादव ने उच्च पदाधिकारियों, वाईएसएस संन्यासियों और भक्तों, तथा अन्य अतिथियों की उपस्थिति में, आज रांची के जगन्नाथपुर स्थित योगदा सत्संग शैक्षणिक परिसर में नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन किया। श्री यादव ने परिसर के भवनों के निर्माण कार्य में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ़ इण्डिया (वाईएसएस) के प्रयासों की सराहना की। इस निर्माण में आधुनिक और पारम्परिक दोनों प्रकार की सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। यह आधुनिक विद्यालय परिसर समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों के द्वारा प्रयोग किया जाएगा।
जिन बच्चों को इस प्रकार की सुविधा की अधिकतम आवश्यकता है किन्तु उन्हें इस मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं, उनके लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में इस नए विद्यालय संकुल की सराहना की गयी है। इस परिसर में नवनिर्मित कक्षाएं, प्रयोगशालाएं, एक ऑडिटोरियम, और एक प्रशासनिक भवन के अतिरिक्त अन्य भवन सम्मिलित हैं।
वाईएसएस के वरिष्ठ संन्यासी स्वामी स्मरणानन्द जी ने कहा, “हमारे लिए यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि यह आधुनिक एवं नवीनतम तकनीक से निर्मित विद्यालय परिसर लगभग पूर्ण रूप से रांची के स्थानीय समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा प्रयोग किया जाएगा।” उन्होंने आगे कहा, “नए विद्यालय परिसर का डिज़ाइन श्री श्री परमहंस योगानन्द (योगी कथामृत पुस्तक के लेखक और भारत की क्रियायोग शिक्षाओं का सम्पूर्ण विश्व में प्रसार करने के लिए एक जगद्गुरू के रूप में परम पूजनीय) द्वारा अपनाये गए प्राचीन गुरुकुल सिद्धान्तों पर आधारित है, उदाहरणार्थ प्रकृति के सानिध्य में खुले वातावरण में विद्यार्थियों को शिक्षित करने की अवधारणा।”
केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के सहयोग से निर्मित
सन् 2018 में संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत परिचालित राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति ने श्री श्री परमहंस योगानन्दजी की 125वीं जयन्ती पर उन्हें सम्मानित करने और स्मरणोत्सव मनाने के उद्देश्य से भारत के इस महान् आध्यात्मिक पुत्र की शिक्षाओं और आदर्शों के प्रसार हेतु अनेकों योजनाओं और कार्यक्रमों के आयोजन में वाईएसएस की सहायता करने का निश्चय किया था।
नए विद्यालय परिसर के कुछ भवनों और योगदा महाविद्यालय के लिए एक बहुउद्देशीय कक्ष और पांच बड़ी कक्षाओं के निर्माण के लिए भारत सरकार ने आठ करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृति की थी। इस परियोजना की कुल लागत की शेष राशि भक्तों के उदार योगदानों के माध्यम से वाईएसएस द्वारा खर्च की गई थी।
युवाओं के लिए उचित शिक्षा हेतु योगानन्दजी का आदर्श सामयिक
वाईएसएस के एक वरिष्ठ संन्यासी स्वामी ईश्वरानन्द गिरि ने कहा, “युवाओं के लिए उचित शिक्षा का आदर्श श्री श्री परमहंस योगानन्दजी के हृदय के अत्यंत निकट था। उन्होंने केवल शरीर और बुद्धि के विकास के उद्देश्य से दिये जाने वाले सामान्य निर्देशों के शुष्क परिणामों को स्पष्ट रूप से देखा था। औपचारिक पाठ्यक्रम में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों की कमी थी, जिन्हें आत्मसात् किए बिना किसी भी व्यक्ति को सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती है।
इसलिए योगानन्दजी ने एक विद्यालय की स्थापना करने का निर्णय किया, जहाँ युवा बालक शरीर, मन और आत्मा के सन्तुलित विकास के द्वारा पुरुषत्व की पूर्ण उच्चता को प्राप्त कर सकते थे।” परिसर में हरियाली बनाए रखने का पूरा प्रयास किया गया है और निर्माण कार्य के दौरान पेड़-पौधों को न्यूनतम क्षति पहुँचाने का प्रयास किया गया है।
नयी कक्षाओं का निर्माण प्राचीन और आधुनिक शैली के अनुपम मिश्रण के साथ किया गया है। इसमें सुदृढ़ फर्नीचर और नए कम्प्यूटर लगाए गए हैं; विज्ञान के विषयों से सम्बन्धित प्रयोग करने के लिए नयी प्रयोगशालाओं का निर्माण किया गया है; तथा एक मध्याह्न भोजन भवन और साइकिलों के लिए एक नए शेड का भी निर्माण किया गया है।