राजनीति

हमने डे वन से कहा कि ईडी का नामकरण एंड ऑफ डेमोक्रेसी कर दिया जाय, आखिरकार उसी बात का मुहर उच्चतम न्यायालय ने लगा दिया – सुप्रियो भट्टाचार्य

झामुमो के प्रदेश कार्यालय मे संवाददाताओं को संबोधित करते हुए झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहली बार इस देश की किसी एक जांच एजेंसी की वैधता पर ही सवाल खड़ा कर दिया और केन्द्र सरकार से पूछा कि क्या ये एक अकेला अधिकारी इस सरकार के लिए अपरिहार्य है। हमलोगों ने पिछले दिनों बार-बार कहा कि भाजपा विरोधी राज्यों में जिस प्रकार केद्रीय एजेंसी को सक्रिय किया गया, जैसे ईडी, सीबीआई, आईटी को लगाया गया। हमने डे वन से कहा कि ईडी का नामकरण एंड ऑफ डेमोक्रेसी कर दिया जाय। आखिरकार उसी बात का मुहर उच्चतम न्यायालय ने लगा दिया।

उन्होंने कहा कि असंवैधानिक तरीके से संजय कुमार मिश्रा को केवल और केवल विपक्ष का रीढ़ तोड़ने के लिये, कमर मे रस्सी बांधने के लिए उपयोग में लाया गया। सभी जानते हैं कि यहां पर जब सरकार ने काम करना शुरु किया, उसी वक्त जांच एजेंसियों को यहां घुसाया गया ताकि गवर्नेंस डिस्टर्ब हो जाये। केवल केन्द्रीय एजेंसी ही नहीं, बल्कि केन्द्र के प्रतिनिधि राज्यपाल के द्वारा भी ऐसा प्रयास किया गया।

सुप्रियो ने कहा कि वे छोटा सा सवाल पूछना चाहते हैं कि चुनाव आयोग का जो आकड़ा आया है। 2021-22 के वित्तीय वर्ष में, कि इस देश में जो इलेक्ट्रोल बोन्ड में कुल मिलाकर सभी पार्टियां, जिसमें राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पार्टियों को मिलाकर 9188.35 करोड़ रुपये आये, उसमें 55 प्रतिशत मतलब 5271.975 करोड़ रुपये तो केवल भाजपा के हैं। इतना बड़ा मनी लान्ड्रिग होता है, इलेक्ट्रोल बोन्ड के नाम पर आखिरकार, इस मामले में ईडी क्या कर रही है?

उन्होंने कहा कि जिस दिन ईडी का छापा पड़ा महाराष्ट्र के विधायक के घर पर, दूसरे ही दिन वे मंत्री बन गये भाजपा के सहयोगी के तौर पर। संसद का रिकार्ड है कि पिछले नौ सालों में 3310 ईडी के द्वारा केस दर्ज किया गया, छापा मारा गया और मात्र 23 व्यक्ति को ही दोषी करार दिया गया। आखिर किस हिसाब से ईडी इन केसों को चलाती है? इस तरह से यदि चीजों को आगे बढ़ाया जाये, तो लगता है कि डेमोक्रेसी व संविधान पर जो हमला हो रहा है, वो देश के लिए ठीक नहीं।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के सीधी में एक आदिवासी युवक पर भाजपा के एक नेता द्वारा जो अमानवीय कुकृत्य किये गये, उसके विरोध में जब यहां के आदिवासी संगठनों ने, जब यहां के भाजपा कार्यालय पर आक्रोश व्यक्त किया। उस वक्त नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का बयान आया कि आक्रोश व्यक्त करनेवाले ये आदिवासी ही नहीं हैं। ये तो जमीन के दलाल हैं। सुप्रियो ने कहा कि जब बाबूलाल मरांडी की प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति के बाद जिसने सबसे ज्यादा उनके अभिनन्दन के पोस्टर-बैनर लगाये, वे किस पेशे से जुड़े थे?

उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी जी, आजकल दिल्ली घुम रहे हैं। दिल्ली से क्या मंत्र लेकर आते हैं, वे वो जाने, क्योंकि दिल्ली के पहले असम भी गये थे। वहां भी ईडी ने भाजपा में एक नया नेता पैदा किया था, जो वहां के मुख्यमंत्री हेमंता विस्वा शरमा है। झामुमो को लगता है कि बाबूलाल मरांडी को भी भाजपा में जाने के पहले हिनू से फोन गया होगा कि भाजपा में आओ तो बचोगे। अब तो भाजपा ने अपना अध्यक्ष उन्हें बनाया है। कम से कम विधायक दल के नेता भी चुन लेते। साढ़े तीन साल हो गये। विधायक दल का नेता नहीं दे पाये। हम तो बार-बार कहते रहे। जो सबसे अनुभवी हैं, उसे नेता बना दीजिये।

सुप्रियो ने कहा कि लगता है कि भाजपा का जो चरित्र हैं, चेहरा है, जो काम करने का उनका तरीका है, उच्चतम न्यायालय ने उसका खुलासा कर दिया है। अब भी बहुत सारे काम ऐसे हो रहे हैं चाहे चुनाव आयोग के माध्यम से हो, चाहे इन्कम टैक्स के माध्यम से, इसमें टारगेट उन्हें ही किया जा रहा ह, जो भाजपा के खिलाफ हैं ताकि उन्हें ऐसा परेशान कर दिया जाय, कि वे भाजपा के समक्ष खड़े ही न हो।