झारखण्ड के गर्भ में छुपे खनिज संपदाओं का पूरा लाभ राज्यवासियों को आज तक नहीं मिला पर यहां के लोगों ने विस्थापन का दर्द खुब झेला – हेमन्त सोरेन
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण तथा संवर्धन वर्तमान समय में महत्वपूर्ण विषय है। राज्य सरकार पर्यावरण और प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयासरत है। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग इस निमित्त कई नए कड़ियों को जोड़ने का कार्य निरंतर कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्लाइमेट चेंज को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों में भागीदारी का संदेश नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने आज ट्रेनिंग ग्राउंड, खोजाटोली नामकुम में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा आयोजित “74वां वन महोत्सव” कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहीं।
झारखंड नाम से ही यह समझ सकते हैं कि हमारा राज्य जंगल-झार से भरा प्रदेश है। झारखंड प्रदेश देश में सबसे अलग और कहा जाए कि बहुत ही महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, इस राज्य को जल, जंगल, जमीन के लिए जाना जाता है क्योंकि यहां के आदिवासी-मूलवासी जल, जंगल, जमीन से ही प्रेम करते हैं। झारखंड प्रदेश को देश के अन्य राज्यों के लोग खनिज संपदा के लिए प्रेम करते हैं।
प्रकृति ने देश की 40% खनिज संपदा से इस राज्य को नवाजा है। इस राज्य में लगभग सभी खनिज संपदा प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं, यहां तक कि परमाणु बनने वाला खनिज भी इस राज्य में मौजूद है, परंतु विडंबना है कि इन खनिज संपदाओं का पूरा लाभ राज्यवासियों को आज तक नहीं मिल पाया बल्कि यहां के लोगों को विस्थापन का दर्द जरूर मिला है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने पूरी शिद्दत और ईमानदारी के साथ जंगल को जीवन का अभिन्न अंग समझा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि इस भौतिकवादी युग में कई ऐसी विकास की कड़ियां जुड़ रही हैं जो मानव जीवन और सभ्यता के लिए चुनौती बन रहा है। पूरे विश्व में क्लाइमेट चेंज को लेकर आज चिंतन और मंथन किया जा रहा है।
आज वृक्षों को, जंगलों को कैसे बचाया जाए इस पर सरकार के साथ-साथ कई संस्थाएं काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले हमारे पूर्वज क्लाइमेट चेंज पर चर्चा नहीं करते थे, वे वृक्ष बचाने की मुहिम नहीं चलाते थे, हमारे पूर्वज बहुत ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं हुआ करते थे, लेकिन उन्होंने पूरी शिद्दत और ईमानदारी के साथ जंगल को जीवन का अभिन्न अंग समझा था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गतिशील मानव को ऐसी जगह खड़ा होना पड़ा जहां मानव जीवन पर्यावरण संरक्षण के लिए जूझ रहा है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार वृक्षों के संरक्षण के लिए कृत संकल्पित है। इस वर्ष राज्य में दो करोड़ से अधिक वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया है। राज्य में 50 हजार एकड़ भूमि पर बिरसा हरित ग्राम योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री वनधन योजना के तहत पेड़ लगाने पर 75% अनुदान दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों का विचरण समय-समय पर होता है क्योंकि जानवर भी गतिशील प्राणी होते हैं। हाथी का भी संरक्षण और मानव जीवन का भी संरक्षण हम सभी की प्राथमिकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में हाथियों द्वारा घरों को क्षतिग्रस्त किया जाता है, नुकसान पहुंचाए गए घरों की क्षतिपूर्ति हेतु मुआवजा राशि में भी वृद्धि की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आम लोगों के भागीदारी से ही हाथियों को भी संरक्षित करने में सफलता मिल सकेगी।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि रांची कभी समर कैपिटल के रूप में जाना जाता था। एकीकृत बिहार के समय गर्मी के महीनों में रांची में ही विधानसभा सत्र का आयोजन किया जाता था। रांची के इर्द-गिर्द क्षेत्र में आज भी सर्दी के महीनों में बर्फ जमता है। रांची के आसपास कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां वो पेड़ मिलते हैं जो बर्फीले पहाड़ों में पाए जाते हैं। इस प्रदेश में एक समय था जब चाय के बागान हुआ करते थे लेकिन यह सभी चीजें धीरे-धीरे लुप्त होते गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समस्या ऊपर से नहीं आया बल्कि हमने खुद से समस्याओं को खड़ा किया है, इन समस्याओं का समाधान हमें स्वयं ढूंढना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर व्यक्ति को इस बात के लिए संकल्पित होना होगा हो कि आज किसी भी कीमत पर अपने घर-आंगन को हरा-भरा, राज्य को हरा-भरा रखने हेतु प्रतिबद्धता के साथ कार्य करना है।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पिछले वर्ष आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम में मैंने वन विभाग के पदाधिकारियों से कहा था कि जंगलों की कटाई और अवैध खनन की शिकायत हेतु एक टोल फ्री नंबर जारी करें जिस पर आम जनता शिकायत दर्ज करा सके। मुझे इस बात की खुशी है कि विभाग द्वारा टोल फ्री नंबर जारी किया गया और हजारों की संख्या में शिकायतें दर्ज हुई तथा उन शिकायतों पर विभाग द्वारा कार्रवाई भी की गई।
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित सभी लोगों से आग्रह किया कि आज वन महोत्सव के दिन आप सभी लोग एक एक पेड़ जरूर लगाएं और उस पेड़ को जरूर बचाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी लोग घर में कोई भी उत्सव हो, या अपने माता-पिता के याद में, या बच्चों के जन्मदिवस पर एक पेड़ अवश्य लगाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य प्रकृति के साथ जुड़े यह नितांत आवश्यक है। क्लाइमेंट चेंज बहुत तेजी से हो रहा है।
उन्होंने कहा कि समय किसी का इंतजार नहीं करता है। समय रहते अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन हम सभी को ईमानदारी के साथ करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को हरा भरा रखने के लिए हमारी सरकार ने कानून बनाया है कि शहरी क्षेत्र में जो परिवार अपने घरों के कैंपस में पेड़ लगाएंगे प्रति पेड़ उन्हें 5 यूनिट बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी। यह तो सरकार की एक नीति है परंतु हमें इससे हटकर भी पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य करने पड़ेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य अलग होने के समय कुछ लोगों ने इस राज्य का नाम झारखंड नहीं बल्कि वनांचल रखे जाने की वकालत की थी। हमारे आदिवासी एवं मूलवासी आंदोलनकारी नेतृत्वकर्ताओं ने आंदोलन के शुरुआती दिनों से ही इस प्रदेश का नाम झारखंड के रूप में ही रखे जाने हेतु लम्बी लड़ाई और संघर्ष की थी। आदिवासियों एवं मूलवासियों ने लम्बे समय तक आंदोलन किया।
अलग झारखंड राज्य आंदोलन में ना जाने कितने लोगों की शहादत और कुर्बानी के बाद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के नेतृत्व में वर्ष 2000 में हमें अलग झारखंड राज्य मिला। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने मोबाइल एप्लीकेशन आधारित हाथी विचरण निगरानी प्रणाली ऐप, वन विभागीय वेबसाइट, राष्ट्रीय ट्रांजिट पास प्रणाली का उद्घाटन तथा जलवायु परिवर्तन अनुकूलन से संबंधित बुकलेट का लोकार्पण भी किया।