हेमन्त सोरेन बहुत ही खराब है और भाजपा के सारे के सारे नेता महर्षि वशिष्ठ की कामधेनु गाय के थन से निकले दूध से धूले हुए हैं, क्यों सही कहा न हमने बाबूलाल मरांडी जी?
भाजपा के किसी भी बड़े व खुद को संस्कारित बतानेवाले स्वघोषित नेता से अगर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के बारे में पूछिये, तो वह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को बहुत ही भ्रष्ट व खराब बतायेगा, पर उससे ये पूछिये कि तुम्हारी पार्टी के अंदर जो बड़े नेता हैं, उनके बारे में क्या ख्याल है? तो वह यही कहेगा कि उसके यहां सारे के सारे नेता महर्षि वशिष्ठ के यहां वास करनेवाली कामधेनु गाय के थन से निकलनेवाली दूध से धूले हुए हैं।
यह मैं क्यों लिख रहा हूं? दरअसल उसके लिखने के कई कारण हैं। आज ही राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी व वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का एक ट्विट आया है। उस ट्विट को पहले ध्यान से पढ़िये, तो बातें समझ में आ जायेगी। उनका टिव्ट इस प्रकार है …
‘मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के खिलाफ अमर्यादित वीडियो कंटेंट यू ट्यूब चैनल पर दिखाने के आरोप में गढ़वा के एक लोकल प्रेस रिपोर्टर मीकू खान को राँची पुलिस ने गिरफ़्तारी कर जेल भेज दिया है। पुलिस ने यह कार्रवाई झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडेय द्वारा दर्ज कराये गये एफ़आइआर पर किया है। इसी मामले में इस पत्रकार पर एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में दूसरा मामला गढ़वा में भी रतन कुमार सिंह ने भी दर्ज कराया है।
मेरा मानना है कि निश्चित रूप से किसी भी व्यक्ति के खिलाफ किसी व्यक्ति द्वारा बिना सिर पैर के आपत्तिजनक सामग्री का प्रसारण नहीं किया जाना चाहिए न ही इसे बढ़ावा देना चाहिए। लेकिन कुछ नासमझ एवं सोशल मीडिया के अल्प जानकार युवकों को ऐसे जुर्म के लिये जेल भेजने की सजा देने की कार्रवाई से सरकार को बचना चाहिए।
बेहतर होता कि जेल भिजवाने के बदले मुख्यमंत्री मीकू खान को बुलाकर डांट-फटकार देते और भविष्य में ऐसी गलती नहीं करने की चेतावनी देकर सुधरने का मौक़ा देते तो समाज में एक अच्छा मैसेज जाता और अगर मीकू खान को जेल भेजने का ही सनक हेमंत सोरेन जी पर सवार हो गया था तो सत्ता की ताक़त पर दूसरे-तीसरे व्यक्ति का इस्तेमाल करने बदले खुद से उस पर मुक़दमा करने का साहस करते और तब जेल भेजते।’
बाबूलाल मरांडी के इस ट्विट को कोई पढ़ेगा तो यही कहेगा कि भाजपा के नेताओं के कितने उच्च विचार है। उनकी कितनी सुंदर सोच है। वे अपराधियों पर भी दया करते हैं। लेकिन सच्चाई क्या है? जो बाबूलाल मरांडी राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को उपदेश दे रहे हैं। वे यही उपदेश अपने ही नेता, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके रघुवर दास को क्यों नहीं देते?
वे अपने प्रिय राष्ट्रीय नेता रघुवर दास से यह क्यों नहीं पूछते कि उनके शासनकाल में कितने पत्रकारों पर झूठे केस कराये गये? किसके इशारे पर केस कराये जाते थे? कितने पत्रकारों को जेल भेजने के लिए उनके शासनकाल का मुख्यमंत्री आवास सक्रिय रहता था? कैसे उस वक्त मुख्यमंत्री आवास में बैठकर तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को खुश करने के लिये कनफूंकवों का समूह आईपीएस अधिकारियों से भाजपा कार्यकर्ता की तरह काम लेता था? कैसे वे आईपीएस अधिकारी मुख्यमंत्री आवास से मिले संदेश के अनुसार अपने नीचे के पुलिसकर्मियों को उन पत्रकारों के झूठे केसों को ट्रू करने के लिए दबाव डालते थे?
कैसे मुख्यमंत्री आवास में बैठा व्यक्ति रांची के प्रतिष्ठित अखबारों को मैसेज देता था कि फलां पत्रकार के खिलाफ फलां थाना में केस हुआ है? उसके खिलाफ आप बढ़ा-चढ़ाकर तेल-मसाला लगाकर खबर बनाकर छापे। रांची के कई स्वघोषित प्रतिष्ठित अखबार मुख्यमंत्री आवास पर बैठे लोगों के इशारे पर वो खबर छापा भी, साथ ही उन सभी अखबारों में होड़ लगी कि उस पत्रकार की इज्जत लूटने में कौन प्रमुख स्थान बनाता है और कनफूंकवों के दिलों में जगह बनाता है, तो उसमें रांची के दो अखबार प्रमुख थे। आप जान लीजिये, उन दोनों अखबार के नाम के आगे “दैनिक” लगा होता हैं। मतलब समझ लीजिये।
एक बात और, कोई ज्यादा भौकाली न दिखाये, उस दिन की अखबार आज भी वो पत्रकार बड़ी सावधानी से रखा है ताकि जब इस संबंध में कभी उस पत्रकार द्वारा लिखी जा रही पुस्तक बाजार में आये तो उसकी कटिंग उस पुस्तक में दिख सकें, ऐसे लोगों को जनता के सामने नंगा कर सकें, क्योंकि ये घटना तो इतिहास बनने जा रही है। जब इतिहास के पन्ने उनकी आनेवाली पीढ़ी पलटेगी तो खुद ब खुद कहेगी कि उसके लोग कितने गंदे और कितने घटिया विचार रखते थे।
सवाल उठता है कि जिस प्रकार से भौकाल टीवी के संचालक ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, विधानसभाध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो और मंत्री मिथिलेश ठाकुर के खिलाफ आपत्तिजनक व घोर निन्दनीय समाचार प्रकाशित किया है। वो अक्षम्य अपराध है। वह किसी भी प्रकार से सभ्य समाज की भाषा हो ही नहीं सकती। ऐसे लोगों को तो उनके किये की सजा मिलनी ही चाहिए पर ऐसे लोगों की मदद करने में भाजपा के लोग सक्रिय हो जाये, उसके पक्ष में बयान देने लगे, तो पता लग जाता है कि भाजपा के लोग कितने अच्छे हैं?
यही उनके कुकर्म, उन्हें झारखण्ड में पतन की ओर ले जा रहे हैं, पर उन्हें इसका भान ही नहीं हो रहा। शायद बाबूलाल मरांडी को पता नहीं कि जिस दिन रघुवर दास के शासनकाल में पत्रकारों पर दमन करने के लिए किसी व्यक्ति विशेष यानी भाजपा कार्यकर्ता को आगे कर, एक ईमानदार पत्रकार को झूठे केस के चक्कर में फंसाया गया था, उसी दिन उस ईमानदार पत्रकार ने अपनी टीक खोल दी थी और कहां था कि जब तक इस रघुवर सरकार को वो मिट्टी में नहीं मिला देगा, तब तक वो चैन से नहीं बैठेगा।
अंततः उस ईमानदार पत्रकार की जीत हुई। ईश्वर ने उसका साथ दिया। आज भले ही रघुवर दास भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है, पर सच्चाई यह भी है कि वे किसी जिंदगी में अब एक नगरपालिका का भी चुनाव नहीं जीत सकते। क्योंकि उसे उक्त ईमानदार पत्रकार का शाप है। उन्हें तो भोगना ही पड़ेगा और भोगेंगे वे अखबार भी जिन्होंने 2017 में पाप किये हैं। कुछ पत्रकार व संपादक तो भोग लिये। कुछ लाइन में हैं, अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।