स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पूर्व ED ने CM हेमन्त को जमीन घोटाले से संबंधित कांड को लेकर पूछताछ के लिए मुख्यालय बुलाया, इधर बाबूलाल ने ट्विट के माध्यम से जमकर भड़ास निकाली
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से जमीन घोटाले से संबंधित कांड संख्या 25/23 में जैसे ही राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को समन मिला। यह समाचार आग की तरह फैली। इस समाचार को भाजपाइयों ने भी चटखारे लेकर जमकर फैलाया। देखते ही देखते सभी बड़े/छोटे अखबारों, बड़े-छोटे चैनलों व छोटे-छोटे पोर्टलों में ये खबर सुर्खियां बन गई। कई भाजपा नेताओं ने भी इसे लेकर ट्विट किया। सर्वाधिक खतरनाक टिव्ट हमेशा की तरह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का रहा। तो सबसे पहले बाबूलाल मरांडी का ट्विट ही देख लीजिये …
‘समाचार माध्यमों से पता चला कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय का समन मिला है। उन्हें 14 अगस्त को ईडी कार्यालय में पेश होना है। इससे पहले 18 नवम्बर 2022 को उनसे अवैध खनन मामले में दस घंटे की पूछताछ हो चुकी है, इस बार हेमन्त सोरेन द्वारा खुद के एवं अपने परिवार के नाम से राजधानी रांची में आदिवासियों की दर्जनों जमीन हड़पने में हुए घोटाले एवं मनी लांड्रिंग में पूछताछ होगी।
आजादी के बाद हेमन्त सोरेन शायद पहले ऐसे सीटिंग सीएम हैं, जिनसे दो अलग-अलग मामलों में जांच एजेंसियों ने पूछताछ के लिए अपने दफ्तर बुलाया है। आजाद भारत के इतिहास में सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री का खिताब पाने के लिए आपको बधाई हेमन्त बाबू। हमें पता है कि अब आप आदिवासी के नाम पर जनता की सहानुभूति पाने की कोशिश करेंगे।
जांच एजेंसियो पर सवाल उठायेंगे, पर ये जवाब नहीं देंगे कि अवैध खनन हुआ या नहीं, आपने और आपके खानदान ने गरीब आदिवासियों कि जमीन हड़पी है या नहीं। जब गलत तरीके से कमाने की बात आती है तो आपके साथी प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल, पंकज मिश्रा हो जाते हैं, और जब फंसते हैं तो आदिवासी कार्ड खेलते हैं।’
इधर कई राजनीतिक पंडितों का कहना है कि प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जो पूछताछ के लिए समन जारी किया है। उसका डेट बड़ा ही गजब है। याद करिये, 15 अगस्त का दिन भारतीय स्वतंत्रता दिवस का दिन होता है। ठीक उसके एक दिन पहले मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाना, आश्चर्यजनक लगता है।
निश्चय ही 14 अगस्त का डेट होने से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर एक मानसिक दबाव तो जरुर बनेगा, क्योंकि ठीक उसके दूसरे दिन उन्हें रांची के मोराबादी मैदान में ध्वजोत्तोलन भी करना होगा, साथ ही उन्हें जनता को संबोधित करना भी पड़ेगा। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इस मानसिक दबाव को झेल पायेंगे? राज्य की जनता का ध्यान फिलहाल उसी ओर होगा।
भले ही प्रवर्तन निदेशालय कुछ भी कहें कि वो भ्रष्टाचार को लेकर अपना काम कर रहा हैं, लेकिन उसे नहीं पता कि एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और उनके चाहनेवालों को ये कहने का मौका अवश्य मिलेगा कि ईडी जैसी केन्द्रीय एजेंसियां उन्हें जान-बूझकर परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही और इस बार उसने राष्ट्रीय स्वतंत्रता दिवस के आस-पास के दिन का मौका चुना है, ताकि वे मानसिक दबाव में रहकर झंडोत्तोलन करें व राज्य की जनता को संबोधित करें।
राजनीतिक पंडितों का ये भी कहना है कि भले ही इसका परिणाम कुछ भी हो, लेकिन इसका राजनीतिक फायदा उठाने में एक बार फिर हेमन्त सोरेन और उनकी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा सफल रहेगी, जनता की सहानुभूति भी हेमन्त सोरेन को आसानी से प्राप्त हो जायेगी, क्योंकि जनता यही समझेगी कि हेमन्त सोरेन को परेशान करने के लिए जान बूझकर 14 अगस्त का दिन चुना गया।