अपनी बात

काश, भाजपा विधायक मनीष जायसवाल के हृदय में सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले विद्यार्थियों के लिए भी यही उदारता देखने को मिलता तो कितना अच्छा होता

भाजपा या अन्य किसी भी दल में कई ऐसे विधायक हैं, जो धनबल से बहुत ही मजबूत हैं। इसी धनबल के कारण उन्हें सम्मान भी प्राप्त होता है, तथा पार्टी का टिकट भी प्राप्त होता है, क्योंकि आजकल जिसके पास धन नहीं हो, वो विधायक क्या, एक नगरपालिका का भी चुनाव नहीं जीत सकता, ये ध्रुव सत्य है। इसी धन के बल पर ये विधायक कुछ ऐसे-ऐसे भी काम करते हैं, जिसकी चकाचौंध देखकर एक सामान्य व्यक्ति भी वैसा ही बनने की कोशिश करने लगता है, यही आजकल का समाज है।

हमनें कई बार देखा है कि हजारीबाग के विधायक मनीष जायसवाल अपने स्कूलों (जो उनकी अपनी प्रोपर्टी हैं) में पढ़नेवाले बच्चों को झारखण्ड विधानसभा लाकर उन्हें विधानसभा की कार्यवाही दिखाई हैं। जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम हैं। यह होना भी चाहिए। इससे बच्चों में अपने विधानसभा के बारे में, उसकी कार्यवाही के बारे में विस्तार से जानने का मौका मिलता है।

हमनें यह भी देखा है कि जब मनीष जायसवाल के स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चे जब विधानसभा आते हैं तो वे अपने इन बच्चों के साथ विधानसभा में ग्रुपिंग फोटो खिंचाना नही भूलते। बच्चे भी बडे प्यार से उनके साथ फोटो खिंचाते हैं। अब सवाल उठता है कि मनीष जायसवाल अपने स्कूलों में पढ़नेवाले इन बच्चों को विधानसभा लाकर विधानसभा की कार्यवाही दिखाई।

क्या इसी प्रकार वे अपने विधानसभा में पड़नेवाले सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए यही सुविधा प्रदान कराई हैं? भाई, आप तो जनप्रतिनिधि है, आप विधायक है, पूरे हजारीबाग के हैं, तो ये क्या अपने स्कूल के बच्चों पर इतना ध्यान और आपके ही इलाके में पड़नेवाले सरकारी स्कूलों के बच्चों पर ध्यान ही नहीं। क्या विधायक होकर आप ऐसी दोरंगी नीति अपनायेंगे, अच्छा लगेगा?

अब सवाल उठता है कि झारखण्ड विधानसभा में कितने विधायक हैं, जो अपने इलाके में पड़नेवाले सरकारी स्कूलों के बच्चों को विधानसभा की कार्यवाही दिखाने में रुचि रखते हैं। उत्तर होगा – एक भी नहीं। लेकिन हमनें देखा है कि कई ऐसे सरकारी व निजी संस्थानों द्वारा संचालित विद्यालय हैं, जो स्वयं अपने बच्चों को विधानसभा की कार्यवाही दिखाने में रुचि रखते हैं और वे इसके लिए जैसे ही विधानसभा कार्यालय से संपर्क करते हैं, उन्हें तुरन्त अनुमति भी मिल जाती हैं।

विद्रोही24 ने जब इसमें रुचि ली तो बताया गया कि इस वर्ष बजट सत्र के दौरान आदर्श मध्य विद्यालय देवगांव चक्रधरपुर के 22, साईनाथ विश्वविद्यालय के 15, आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी के 14, स्वामी विवेकानन्द कॉलेज ऑफ एजूकेशन झारखण्ड के 20, एमएमके हाई स्कूल बरियातू रांची के 46, राजकीय+2 उच्च विद्यालय कांके के 36, कार्तिक उरांव एभोम स्कूल टेगरवासी, मांडर के 30 विद्यार्थियों ने विधानसभा की कार्यवाही देखी।

जबकि वर्तमान मानसून सत्र में योगदा सत्सग विद्यालय के 76, एंगेल्स हाई स्कूल हजारीबाग के 37, आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी के 20, डीपीएस बोकारो के 57 विद्यार्थियों ने विधानसभा की कार्यवाही देखी। हमें मालूम है कि जब विधानसभा की कार्यवाही देखने के बाद योगदा सत्संग विद्यालय के बच्चे मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिले थे तो उन बच्चों के चेहरे पर खिला मुस्कान का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था। जैसे बच्चे खुशी से झूम रहे थे। वैसे ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भी उनसे मिलकर आह्लादित दिखे।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि होना तो ये चाहिए कि जब बजट सत्र या मॉनसून सत्र या शीतकालीन सत्र चलें, तो राज्य का शिक्षा विभाग, सरकारी विद्यालयों में पढ़नेवाले नौंवी व दसवीं के छात्रों जिन्हें राजनीतिक, सामाजिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में रुचि हैं, उनका एक ग्रुप बनाकर हमेशा विधानसभा की कार्यवाही देखने के लिए आमंत्रित करें। इन मेधावी बच्चों के लिए हर सत्र में कुछ सीटें आरक्षित कर दी जाये।

साथ ही इन बच्चों को सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों के साथ भी मिलवाया जाये, ताकि वे अपनी जिज्ञासा को शांत कर सकें। मौका मिले तो इन्हें राज्य के मुख्यमंत्री, विधानसभाध्यक्ष और विपक्ष के नेता से भी दो मिनट के लिए मिलवाये जाये, ये सचमुच झारखण्ड के भविष्य के लिए आनेवाले समय में मील का पत्थर साबित होगा, क्योंकि आनेवाला समय तो इन्हीं बच्चों का हैं, तो क्यों नहीं, अभी से इन्हें तैयार कर दिया जाये।